मोहब्बत तो आज भी
मोहब्बत तो आज भी
बे पनाह है तुमसे
बस, ज़िक्र होता है
जब तुम्हारा महफ़िल में
बात बदल दिया करते हैं हम.
हिमांशु Kulshreshtha
मोहब्बत तो आज भी
बे पनाह है तुमसे
बस, ज़िक्र होता है
जब तुम्हारा महफ़िल में
बात बदल दिया करते हैं हम.
हिमांशु Kulshreshtha