माँ शारदे-लीला
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कन्या रूप ले माँ शारदे,
वेदों का अध्ययन करतीं।
कानन कुण्डल, कंठ-हार,
बालिके अम्बे हिय हरतीं।।
माँ शारदे…..!!
उत्सुक नैना, छवि मनोहारी,
अधर मंद मुस्कान लिए,
ज्ञानदायिनी ज्ञान बांच रहीं,
कर पुस्तक ले ध्यान धरे,
पावन, सुखकारी, मनभावन,
वेष निराला माँ धरतीं।।
माँ शारदे….!!
खिले कमल-दल हर्षित हुए,
पवन सुगंध बिखराए रही,
ऋतु बसंत चहुँ दिशा छायी,
नये उपवन सी धरा सजे,
ज्ञानप्रदायनी माँ, वीणाधारिणी,
सप्त सुरों की वर्षा करतीं।।
माँ शारदे…..!!
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
दिनांक :- ३१/०१/२०२३.