मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
कैद हैं दिल में तेरे,
हर घड़ी मेरे जज़्बातों से
खेलने की
फ़िर ज़रूरत ही क्या है…!!
तुम तो डरे ही नहीं कभी
मुझको खोने से,
तुम्हें अफ़सोस होगा क्या
फ़िर, मेरे ना होने से.. !!!!
हिमांशु Kulshreshtha
मेरी तो धड़कनें भी
कैद हैं दिल में तेरे,
हर घड़ी मेरे जज़्बातों से
खेलने की
फ़िर ज़रूरत ही क्या है…!!
तुम तो डरे ही नहीं कभी
मुझको खोने से,
तुम्हें अफ़सोस होगा क्या
फ़िर, मेरे ना होने से.. !!!!
हिमांशु Kulshreshtha