गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
आपकी आत्मचेतना और आत्मविश्वास ही आपको सबसे अधिक प्रेरित करने
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ* आज दिनांक 1
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हिन्दी दोहा -स्वागत 1-2
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
💐प्रेम कौतुक-289💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
जो लोग बिछड़ कर भी नहीं बिछड़ते,
हिंदी दिवस
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)