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3 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

रद़ीफ़ो का ही सिलसिला कहते-कहते ।
ग़ज़ल रुक गई काफ़िया कहते-कहते ।

कि संसद से सड़कों,गली औ’ घरों तक,
हवा थम गई वाक़या कहते – कहते ।

बुराई ने मुझको छुआ तक नहीं है,
वही थक गए हैं बुरा कहते – कहते ।

हमारी उन्हें फ़िक्र कुछ भी नहीं है,
थके हम उन्हें बावफ़ा कहते – कहते ।

बदलना पड़ेगा निज़ाम – ए -मुहब़्ब़त,
हुई इंतिहा इब़्तिदा कहते – कहते ।

कोई न चला राह-ए-उल्फ़त अभी तक,
थके सब नबी रास्ता कहते – कहते ।

—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
2 Likes · 22 Views
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