निधि मुकेश भार्गव Language: Hindi 35 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid निधि मुकेश भार्गव 20 Jul 2018 · 1 min read कालू मामा मोटी मोटी तोंद को पकड़े कालू मामा कितने तगड़े ताव मुछों को देते रहते बिन बात पर कैसे बिगड़े मामी पर गुर्राते रहते मामी भागी आतीं लेकर आलू गोभी के... Hindi · कविता · बाल कविता 2 521 Share निधि मुकेश भार्गव 18 Jul 2018 · 1 min read माँ **** सुखद और सुंदर एहसासों की जीती जागती तस्वीर है माँ " कितना पवित्र और पाक .. .सा रिश्ता...है ना . माँ और उसके अंश का.. ...."माँ"होना..माँ बनना कोमल नन्हें... Hindi · कविता 4 3 619 Share निधि मुकेश भार्गव 18 Jul 2018 · 1 min read नमी बेबसी की आँखों में नमीं बेबसी की है या .. कमीं तेरी चाहत की है... यूँ लम्हा लम्हा पिघल कर हम... ... खामोश जिए जाते हैं.... लगी दिल की जीने नहीं देती..... Hindi · कविता 1 1 608 Share निधि मुकेश भार्गव 15 Jul 2018 · 1 min read हाइकू ******** हर्षित मन पाकर है गर्वित प्रेम सफल! ************* Hindi · हाइकु 1 286 Share निधि मुकेश भार्गव 15 Jul 2018 · 1 min read तुम आ जाओ कभी ऐसा ना हो अजनबी राहों में कहीं खो जाओ। मुकद्दर से चुराया है तुम्हें.. अनजान किस्से सा भूलकर समय सा न कहीं हो जाओ। अँधेरा बहुत है थमी सी... Hindi · कविता 285 Share निधि मुकेश भार्गव 15 Jul 2018 · 1 min read आशीष आशीष माँ तेरा ही था.. लेखनी को जो मेरी बल मिला.... अल्फाज उभरे जेहन में ऐसे.... नित नया आयाम मिला ... सम्बल मिला....ऐसा मुझे.. कि हर हालात में संवर गई......... Hindi · कविता 322 Share निधि मुकेश भार्गव 15 Jul 2018 · 1 min read मुक्तक मेरी आंखों को पढ़ लो तुम बड़ी ही उदास रहती हैं ,, तेरी उल्फत में दिन ओ रात यूं ही चुपचाप बहती हैं ,, तूझसे दूर रहकर अब गुज़ारा हो... Hindi · मुक्तक 1 1 410 Share निधि मुकेश भार्गव 15 Jul 2018 · 1 min read दोहा निर्मल मन में रोज ही, आते नवल विचार, प्रभु चरणों में बैठकर, मिले वही पर सार।। निधि भार्गव Hindi · दोहा 344 Share निधि मुकेश भार्गव 15 Jul 2018 · 1 min read पेड़ मत छीनों मुझसे हरियाली मेरी छाया सबको प्यारी रो रो कर मैं रूदन हूँ करता वार कुल्हाड़ी का जब पड़ता मेरे कष्ट का मर्म भी समझो इस तरह मत काटो... Hindi · कविता 316 Share निधि मुकेश भार्गव 15 Jul 2018 · 1 min read दोहा रोज-रोज मैं देखूँ सपने, होते नहीं साकार, नींद ऐसी सौतन है, डाले खलल हजार।। निधि भार्गव Hindi · दोहा 492 Share निधि मुकेश भार्गव 4 Jul 2018 · 1 min read कविता रात के कदमों में झाँझर मत बाँधना दबे पांव आने दो नींद में जो खोए हैं ना ख्वाब मेरे रूनझुन से उनकी कहीं जाग ना जाएं मन अवचेतन संजो रहा... Hindi · कविता 397 Share निधि मुकेश भार्गव 3 Jul 2018 · 1 min read "मैं तुम्हारी हूँ" कभी मेरी खातिर कितने स्वप्न पलकों की गलियों में संजोए थे तुमने वो स्वर्णिम एहसास कि..तुम मेरे हो,और मैं तुम्हारी,कितने ही सुखद स्वप्नों की जीती जागती तस्वीर बन गए थे....हम,तुम... Hindi · कविता 248 Share निधि मुकेश भार्गव 30 Jun 2018 · 2 min read आखिर कब तक #अब #हर #माँ #की #व्यथा--- ************** पार्वती आक्रोश से भरी हुई बरतनों पर अपना गुस्सा उतार रही थी।जोर जोर से अपशब्द और गालियाँ बकती हुई वो हांफ रही थी। गांव... Hindi · लेख 1 591 Share निधि मुकेश भार्गव 27 Jun 2018 · 1 min read अक्स अक्स तेरा मुझे जानिब तेरी यूँ करता है। तीरगी चीर के जैसे उजाला बिखरता है। मेरे नैना तेरी तस्वीर को तरसते हैं। मेरे जज़्बात तेरी चाह को मचलते हैं। है... Hindi · कविता 1 312 Share निधि मुकेश भार्गव 25 Jun 2018 · 1 min read ग़ज़ल हर कदम पर ख़ता करे कोई । ज़ुल्म सहके दुआ करे कोई । दिल्लगी ने तो दिल तोड़ दिया , अब प्यार से अदा करे कोई । है आजकल बेवफ़ाई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 252 Share निधि मुकेश भार्गव 24 Jun 2018 · 1 min read गीत वियोग व्योम सा विस्तृत होकर मन की धरती को है घेरे। आस लगी है जिस जिस जन से खड़े हुए हैं आंखे फेरे। तुम पर अवलंबित गीत लिखे जो क्या... Hindi · गीत 1 1 285 Share निधि मुकेश भार्गव 24 Jun 2018 · 1 min read देह हूँ मैं हाँ देह हूँ मैं.... मुझे भी लगती है भूख औ प्यास... जली हूँ कभी मैं... विरह अगन में.. कभी शीतल ब्यार मुझे डसती है...... बड़ी खूबसूरत मैं हूँ काया... मुझपे... Hindi · कविता 1 383 Share निधि मुकेश भार्गव 21 Jun 2018 · 1 min read दर्द के हिस्से दर्द के भी अनगिनत हिस्से होते हैं... जाने कितने दबे सहमें किस्से होते हैं दिल में यादों का तूफान लिए कितनी ही मुस्कुराहटें छुपकर मुँह फुलाए बैठी रहती हैं गुजर... Hindi · कविता 2 414 Share निधि मुकेश भार्गव 21 Jun 2018 · 1 min read ग़ज़ल ********************* दिल ने मेरे , तेरे दिल को पैग़ाम भेजा है । नज़रों ने मेरी , तेरी नज़रों को सलाम भेजा है । ********************* उल्फ़त उलझी हुई सी इक डोर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 319 Share निधि मुकेश भार्गव 21 Jun 2018 · 1 min read लफ्ज़ों की गहराई लफ्ज़ों की गहराई में जाना कभी.. लाखों उम्मीदें और भावनाएँ मिलेंगी मरी... सोच से परे होंगे ख्याल...और सिर्फ अंदर तक होगी नमी ही नमी ... यूंही नहीं निकल जाती वेदना... Hindi · कविता 277 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read मानवता भाव नि:स्वार्थ दिलों में लेकर... करो सेवा मानवता की दीन हीन को ना कभी धिक्कारो प्रतिपल है उन्हें आवश्यकता भी ... दोगे जो, वो ही पाओगे.. स्नेहसिक्त आशिर्वाद की। पल्लवित... Hindi · कविता 398 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read गुफ्तगू वो रात की गुफ्तगू वो रात की पहली मुलाकात की छुअन वो हवाओं की मधुर तेरे साथ की बेसाख्ता पुकारतीं रहीं मुझे वो एक आस सी वो वादियाँ गुलाब की मोहब्बतों की छाँव... Hindi · कविता 511 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल इस हिज्र के मौसम में तूफान उठाने को तुम याद बहुत आए हलचल सी मचाने को। इक घर की जुस्तजू में ये क़ब्र पाई हमने दो गज ज़मीन माँगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 268 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read यादें आजकल ना जाने क्यूँ तुम्हारी कमी खलती है बहुत... बंद दरवाज़ो में तुम्हारी यादें सिसकती है बहुत... ख्वाहिश हैं मेरी , मैं बनूँ मुकद्दर तुम्हारा... टूटे दिल की दीवारें दर्द... Hindi · कविता 453 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read मनमानियाँ इश्क की उफ्फ ये मनमानियाँ इश्क की... तुझसे ही मिली रूमानियाँ इश्क की.... तेरी खुमारी के साए में जीती हूँ... उफ्फ ये बेकरारियाँ इश्क की.... महफिलों में भी आलम तन्हाईंयों का... ऐसी... Hindi · कविता 1 531 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read मैं नहीं भटकती मैं नही भटकती मेरे अरमान भटकते हैं... नियति की स्याह चादर ओड़े दर्द में देखो कितना तड़पते हैं भयावह अँधेरी रातों में मरहम तो सिर्फ तेरी यादें हैं मैं कलुषित... Hindi · कविता 245 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read ग़ज़ल कर्ज था कोई जो उतार आए जिंदगी तुझको हम गुज़ार आए। हमने तो कोई भी खता ना की दर्र जितने मिले उधार आए। हम भी शिकवे गिले भुला देंगें तू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 274 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read विदाई स्मृति सारे घर को भीगी आँखों से निहार रही थी। ऐसे देख रही थी जैसे पता नहीं कभी लौटना होगा भी या नहीं।मैंने कहा.चल स्मृति नीचे सब इंतज़ार कर रहे... Hindi · कहानी 1 1 460 Share निधि मुकेश भार्गव 20 Jun 2018 · 1 min read आस की भोर आस की भोर मुझे बनना है बनके किरणें मुझे बिखरना है डूबते चाँद की हसरत छोड़ी उगते सूरज के साथ चलना है। निधि भार्गव Hindi · मुक्तक 512 Share निधि मुकेश भार्गव 19 Jun 2018 · 1 min read आभासी दुनियाँ ये सच है.... तुम हो.... मुझमें कहीं... यथार्थ से , आभासी दुनियाँ का द्वंद झेला है मैंने.... लगातार कितने दिनों उलझते प्रश्नों का बोझ उद्वेलित करता रहा मुझे। ना जाने... Hindi · कविता 411 Share निधि मुकेश भार्गव 19 Jun 2018 · 1 min read थोड़ा सा दिन थोड़ा सा दिन बचा कर रखा है तुम्हारे लिए.... आओगे न तुम? खुले किवाड़ को तकती मेरी व्याकुल निगाहें आतुर हैं वो पदचाप सुनने के लिए सुनकर जिसे मायूस मन,... Hindi · कविता 287 Share निधि मुकेश भार्गव 19 Jun 2018 · 1 min read रज़ा में दिन गुजारिए। कब तलक करोगे शिकवा यूं ज़िंदगी से अब तो रजा में इसकी ही दिन गुजारिए * * हूँ कब से यूं खड़ी मैं दिल थाम कर के अपना अब छोड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 227 Share निधि मुकेश भार्गव 19 Jun 2018 · 1 min read "पीली सी धूप" पीली सी धूप पहनकर जो इठलाई थी मन के आँगन में वो तुम ही थी न? मेरे कानों में गूँजते तुम्हारी झाँझर के स्वरों ने देखो कितने ही गीत गड... Hindi · कविता 1 687 Share निधि मुकेश भार्गव 19 Jun 2018 · 1 min read "कटु सत्य" जीवन के कटु सत्यों ने बहुत तड़पाया है.... सोचती हूँ तो रूह काँप सी जाती है... सांसें सीने में घुट जाती है... जब भी याद आतें हैं वो पल बीते... Hindi · कविता 700 Share निधि मुकेश भार्गव 19 Jun 2018 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल दिल अगर मचले तो जज़्बात लिखने लगती हूँ आँख रोती हैं तो आघात लिखने लगती हूँ रोज़ दिखलाती है जादूगरी क़लम मेरी चंद अल्फ़ाज़ में हालात लिखने लगती हूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 258 Share