Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2018 · 1 min read

मुक्तक

मेरी आंखों को पढ़ लो तुम बड़ी ही उदास रहती हैं ,,

तेरी उल्फत में दिन ओ रात यूं ही चुपचाप बहती हैं ,,

तूझसे दूर रहकर अब गुज़ारा हो नही पाता ,,

बोझिल मेरी आंखें सनम रुक रुक के चलती हैं ,,

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 341 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
डॉ.सीमा अग्रवाल
राधा अब्बो से हां कर दअ...
राधा अब्बो से हां कर दअ...
Shekhar Chandra Mitra
करी लाडू
करी लाडू
Ranjeet kumar patre
"सुपर स्टार प्रचारक" को
*Author प्रणय प्रभात*
स्वार्थ
स्वार्थ
Sushil chauhan
हादसे
हादसे
Shyam Sundar Subramanian
रंगरेज कहां है
रंगरेज कहां है
Shiva Awasthi
राम नाम की जय हो
राम नाम की जय हो
Paras Nath Jha
उठो द्रोपदी....!!!
उठो द्रोपदी....!!!
Neelam Sharma
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
जानते हो मेरे जीवन की किताब का जैसे प्रथम प्रहर चल रहा हो और
जानते हो मेरे जीवन की किताब का जैसे प्रथम प्रहर चल रहा हो और
Swara Kumari arya
वार्तालाप
वार्तालाप
Pratibha Pandey
मैं लिखता हूं..✍️
मैं लिखता हूं..✍️
Shubham Pandey (S P)
16, खुश रहना चाहिए
16, खुश रहना चाहिए
Dr Shweta sood
ऑन लाइन पेमेंट
ऑन लाइन पेमेंट
Satish Srijan
रिश्तों की कसौटी
रिश्तों की कसौटी
VINOD CHAUHAN
3329.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3329.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
Manju Singh
शीर्षक – वह दूब सी
शीर्षक – वह दूब सी
Manju sagar
विचार
विचार
Godambari Negi
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
खुद की तलाश में मन
खुद की तलाश में मन
Surinder blackpen
सिसकियाँ
सिसकियाँ
Dr. Kishan tandon kranti
*गुरुओं से ज्यादा दिखते हैं, आज गुरूघंटाल(गीत)*
*गुरुओं से ज्यादा दिखते हैं, आज गुरूघंटाल(गीत)*
Ravi Prakash
मत कर ग़ुरूर अपने क़द पर
मत कर ग़ुरूर अपने क़द पर
Trishika S Dhara
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
DrLakshman Jha Parimal
*रिश्ते*
*रिश्ते*
Dushyant Kumar
मुक्ति का दे दो दान
मुक्ति का दे दो दान
Samar babu
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
Sanjay ' शून्य'
बलबीर
बलबीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Loading...