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21 Jun 2018 · 1 min read

दर्द के हिस्से

दर्द के भी अनगिनत हिस्से होते हैं…
जाने कितने दबे सहमें किस्से होते हैं
दिल में यादों का तूफान लिए कितनी ही मुस्कुराहटें छुपकर
मुँह फुलाए बैठी रहती हैं
गुजर चुका अतीत वक्त वक्त पर
उभर कर कितने जख्म फिर से
जिंदा कर देता हैं
साँस भारी और धड़कनों के साथ
बहती वेदना कलेजा चाॅक कर जाती है
कब तक सिकुड़ती ख्वाहिशें
जहन से आँसू बन रिसती रहेंगी ?
कब तक तन्हाई सर्प दंश सी चुभती रहेगी?
अंत हीन आकाश सा खालीपन और बेबस आस बताओ ….
कब तक सिसकती रहेगी?
न अंत है विरह का
न खत्म कभी वेदना है
रचने को गीत प्रेम के कब तलक ये प्यास तरसती रहेगी?

Language: Hindi
2 Likes · 323 Views
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