सिद्धार्थ गोरखपुरी Tag: मुक्तक 110 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सिद्धार्थ गोरखपुरी 3 Oct 2023 · 1 min read चाहिए भागदौड़ के बाद सुहानी रात होनी चाहिए। रात मे भी हल्की सी बरसात होनी चाहिए। जिंदगी में गर कभी बिखर भी जाए आदमी, फिर जिंदगी में एक नई शुरुआत होनी... Hindi · मुक्तक 1 49 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 16 Sep 2023 · 1 min read उज्जर चढ़ी जइबा गर घोड़ा पर त ओहू के खच्चर क देबS गड़हा -गुड़ही के झील बता अंतिम में समुन्दर क देबS रंग -विरंगा जबर धतिंगा जे -जे तुंहके आँकत बा... Bhojpuri · मुक्तक 1 642 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 May 2023 · 1 min read शाम -ए -मजदूर रह- रह कर वक्त -ए - मुहूरत निकलती है के मालिकों को भी मजदूर से ज़रूरत निकलती है मशला.... मानों तो अन्योन्याश्रित का ही है पर शाम -ए - मजदूर... Hindi · मुक्तक 181 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 31 Jan 2023 · 1 min read पूछकर ज़ब वो.. थक गया अनगिनत सवाल पूछकर न जाने कैसे - कैसे जंजाल -ओ- बवाल पूछकर तसल्ली ही हो रही थी के सवाल खतम हुआ.... उसने मुझे गफलत में डाल... Hindi · मुक्तक 105 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Jan 2023 · 1 min read दुःखा देता है वो तो बस बात -ए - हवा देता है अब कौन किसको कब दुआ देता है जमाना ख़राब है जरा सम्भल के रहो जिसको मौका मिले वही दिल दुःखा देता... Hindi · मुक्तक 1 147 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Jan 2023 · 1 min read औकात जानता है सुबह - दोपहर - शाम,दिन रात जानता है कही - अनकही हर एक बात जानता है तुम महज उड़ रहे हो... ये तुम्हे भी इल्म रहे, वैसे खुदा तुम्हारी भी... Hindi · मुक्तक 1 90 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Jan 2023 · 1 min read नव वर्ष की शुभकामनाएं नूतन वर्ष में हर्ष मिले और नर - नारायण का साथ मिले खुशियाँ दर पर वर्षा सम बरसे प्रेम -सौहार्द अगाध मिले दृढ सोच को तनिक संकोच न हो सफलता... Hindi · मुक्तक 1 244 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Dec 2022 · 1 min read चाहता हूँ मैं कहां चाँद तारा चाहता हूं मैं तो बस तेरा सहारा चाहता हूं चल सकूँ विश्वास लेकर दो कदम बस मैं वही भरोसा दुबारा चाहता हूँ Hindi · मुक्तक 2 117 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Oct 2022 · 1 min read बात चले पाँव आहिस्ते से रखकर मेरे जज़्बात चले आँखें खुली रहीं और सामने मेरे रात चले बारात तारों की लेकर घूम रहा है चंदा सूरज निकले तो मेरी भी कोई बात... Hindi · मुक्तक 1 201 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 Aug 2022 · 1 min read दीदार मोहब्बत लफ्ज में समाए और बेशुमार हो जाए मोहब्बत में राधा - कृष्ण सा किरदार हो जाए मैं तो बस खो जाऊँ तेरे इर्द -गिर्द ही कहीं यार, ग़र एक... Hindi · मुक्तक 2 222 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 21 Jul 2022 · 1 min read न पूछ ये न पूछ के क़ीमत कितनी है बस मान ले हकीकत जितनी है शेयर मार्केट सा हो गया है रिश्ता अबतो बुलंदी पे है तो बिकेगा बेतहाशा नहीं तो रद्दी... Hindi · मुक्तक 2 2 306 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 17 Jul 2022 · 1 min read आया किसी का वक्त आया किसी का दौर आया मैं जहाँ से चला था बस उसी ठौर आया आंधियाँ आयीं और उड़ा ले गईं शजर को अरसे बाद शजर -ए -किस्मत... Hindi · मुक्तक 1 207 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Jul 2022 · 1 min read गुरु आदमी जब आदमी के रूबरू होता है तो मानो एक - दूसरे का गुरु होता है कौन गुरु है कौन शिष्य ये वक़्त बताता है ये सिलसिला वक्त के साथ... Hindi · मुक्तक 1 269 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Jul 2022 · 1 min read आजकल रिश्ते को संजोकर रख लिए है आजकल परिवार में वैसे कुछ फासले हैं आजकल आदमी से आदमी का अब कोई बंधन न टूटे बाँटते फिर रहें हैं प्यार फिर हम... Hindi · मुक्तक 1 126 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 29 Jun 2022 · 1 min read पानी में जुबान उनकी आग लगाए पानी में मत्स्य प्रेमी के भाग जगाए पानी में माथा हिल जाए जैसे है गुड़भंग पिया फिर आहिस्ते से फाग सुनाए पानी में -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 1 2 142 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 3 Jun 2022 · 1 min read बात चले पाँव आहिस्ते से रखकर मेरे जज़्बात चले आँखें खुली रहीं और सामने मेरे रात चले बारात तारों की लेकर घूम रहा है चंदा सूरज निकले तो मेरी भी कोई बात... Hindi · मुक्तक 1 420 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read कोरट में जीजा ई राशन कार्ड वाला मामला देख कर आखिरकार साली ने जीजा से अर्ज कर ही डाला- राशन अब न ले के अइहा बुलेट पे जीजा वायरल क देइ वीडियो केहू... Bhojpuri · मुक्तक 295 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 May 2022 · 1 min read वक़्त माना वक़्त का तकाजा है कोई पूरा है तो कोई आधा है वक़्त अपने वक़्त पे भले न बदले मैं इसे बेवक्त बदलूँगा मेरा वादा है -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 2 113 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Apr 2022 · 1 min read लिखे आज तक शब्द मैंने तो तुम तक लिखे आज तक मैंने कुछ एक मुक्तक लिखे आज तक राहें आसान होतीं तो लिखते और कुछ, हमने राहों के कंटक लिखे आज तक -सिद्धार्थ... Hindi · मुक्तक 2 4 335 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Apr 2022 · 1 min read चला गया हमको हमारा वास्ता देकर चला गया ये वक़्त न जाने क्या - क्या लेकर चला गया आरजू हमारी थी कि ठहर जाए थोड़ी देर कुछ कहा-सुना नहीं क्योंकर चला गया... Hindi · मुक्तक 103 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Apr 2022 · 1 min read हे माँ अवनि हे माँ अवनि! इस जग का सब भार तुम्हारे ऊपर है जीव -जन्तु, वनस्पतियों का आधार तुम्हारे ऊपर है खुशियाँ तुम बिन सम्भव ही नहीं संसार तुम्हारे ऊपर है तुम्हारे... Hindi · मुक्तक 108 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 16 Apr 2022 · 1 min read सदरीबाज़ सदरी गदर मचाती जाए कवि बना है सदरीबाज़ बिन सदरी के मंच न चढ़ना मंचों से कर दो आगाज सदरी के पीछे है हृदय धड़कता आती है धक्-धक् आवाज़ कवि... Hindi · मुक्तक 90 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 16 Apr 2022 · 1 min read ओम लिखा है भक्ति भाव भाव से ओत - प्रोत मन प्रभु चरित्र का व्योम लिखा है मन में उपजे हर कलुष विचार का भक्ति में आहुति होम लिखा है शब्द असंख्य लिखे... Hindi · मुक्तक 193 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 Apr 2022 · 1 min read नींबू महंगाई की गहरी चोट पर रेट के कुंठित घाव चढ़ गए रहन - सहन के साधन भी महंगाई के अलाव चढ़ गए आदमी के रिहाईड्रेशन का सहारा एक मात्र नींबू... Hindi · मुक्तक 1 1 169 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Apr 2022 · 1 min read आदमी भटक जाता है मन भले ही दुख दर्द में अटक जाता है ख्वाब! ख़्वाब है जो दूर तलक जाता है हालात खराब हों तब भी ख़्वाब नहीं डगमगाते फिर आदमी न जाने क्यों... Hindi · मुक्तक 118 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 Apr 2022 · 1 min read जला दिए कुछ पन्ने तुम्हारी मोहब्बत के हमने जला दिए कुछ हसरतों को मेरी तुम सबने जला दिए आंसुओं से क्या भिगोया मैंने मोहब्बत की किताब को, फिर सारी किताब को हमारे... Hindi · मुक्तक 221 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Feb 2022 · 1 min read चिल्ल पों चिल्ल पों चिल्लम पर है और चिल्ल पों टोंटी पर है नहीं चिल्ल पों महुआमिश्र पर नहीं चिल्ल पों बोटी पर है नहीं चिल्ल पों दल बदल पे हैं नहीं... Hindi · मुक्तक 1 277 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Jan 2022 · 1 min read आईना कानों की जरूरत कम पड़े,सब कुछ सुनाई दे हकीकत सामने आए,कि न फिर कोई दुहाई दे बनाने वाले अबके बार ऐसा आईना बना देना कि चेहरे के पीछे का भी... Hindi · मुक्तक 230 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Jan 2022 · 1 min read जानता है उसकी आदत है ये जमाना जानता है वो टूटकर भी मुस्कुराना जानता है लाख जुल्मों सितम के बाद भी किसी का दिल न दुखाया उसने, अरे यार!वो भी दिल दुखाना... Hindi · मुक्तक 215 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Jan 2022 · 1 min read निवाले से खबर है ना तेरे, न मेरे हवाले से खबर है ठंड का हो रहा गरीबों पर बुरा असर है भरपेट भोजन भी नहीं होता मयस्सर यह ग़रीब के निवाले से खबर है... Hindi · मुक्तक 184 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Jan 2022 · 1 min read राब्ता आ बैठ मेरे पास, तूँ कहाँ भागता है. तूँ मन जैसा चंचल, यहाँ वहां भागता है. तेरे सिवा न है कोई मेरा, मेरा तो बस तुझसे राब्ता है. -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 539 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Oct 2021 · 1 min read दर्द ने दर्द ने मेरे दिल को है ऐसे छुआ। दुख रहा है बहुत यार क्या है हुआ। कोई भी दिखता है न अपना यहां, कौन देगा मेरी धड़कनों को दुआ। मैं... Hindi · मुक्तक 1 286 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Oct 2021 · 1 min read रास्ते चलिए चलना है तो मेरे रास्ते चलिए। मेरे नहीं खुद के वास्ते चलिए। ये डगर थोड़ी मुश्किल तो है, परेशानियों को हौसलों से नापते चलिए। मुश्किलें होती हैं आसान मगर मुश्किल... Hindi · मुक्तक 190 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Oct 2021 · 1 min read मां लोग क्या से क्या हो गए देखते-देखते। सिर्फ़ मां ही मां रही ताउम्र गिरते परते। लोगों के वास्ते कुछ किया तो क्या ख़ाक किया, गर कुछ कर न सका तूँ... Hindi · मुक्तक 2 302 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Oct 2021 · 1 min read मझदार समंदर की लहर तेज है , मेरी नाव भी मझदार है। ऐ लहर थोड़ी ठहर, मुझे साहिल की दरकार है। मुसीबत में मेरी जिंदगी है ,अब तो तेरी बहार है।... Hindi · मुक्तक 1 286 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 Oct 2021 · 1 min read दुपहरी झूठ के आगे सच्ची कहानी न ठहरी। कान ही है न बहरा, बुद्धि भी हुई बहरी। सबको आया नजर बस सुनहरा सा दिन, आया न ये नजर की कैसी है... Hindi · मुक्तक 213 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 Oct 2021 · 1 min read आज रावण जलाया जाएगा दशहरा है आज, आज रावण जलाया जाएगा। राम को अच्छा और रावण को बुरा बताया जाएगा। राम राम और राम का नाम ही होगा हर तरफ , राम की आड़... Hindi · मुक्तक 1 325 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 Oct 2021 · 1 min read चिकनी चुपड़ी बातें उम्मीदें, वादे,इरादे और चिकनी चुपड़ी बातें। इन सब के पीछे बैठी हैं ,दुख की कई जमातें। जीवन में नहीं कुछ निश्चित ये जानती है ये दुनिया, जीवन को बिता देती... Hindi · मुक्तक 1 483 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Oct 2021 · 1 min read परी कौन ढूंढे तेल की तेज धार देख के , खरी कौन ढूंढे। पीस पर्याप्त है ,तो फिर तरी कौन ढूंढे। ये मोहब्बत का खेल है गुरु! तुम्हे मालूम क्या है? दिल जाकिनी... Hindi · मुक्तक 1 443 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Oct 2021 · 1 min read किसान किसान उग्र कहाँ होता है । उसका तो सारा जहाँ होता है। पसीने से खेत को सींचा। बंजर और रेत को सींचा। फसल नष्ट हो तो धुँआ होता है। किसान... Hindi · मुक्तक 190 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Oct 2021 · 1 min read खाकी से डर है चाटुकारिता के दौर में ,अब बेबाकी से डर है। शराब से ज्यादा अब ,हर एक साकी से डर है। जांच के नाम पर कब कत्ल हो जाये किसे पता, ख़ाकी... Hindi · मुक्तक 1 235 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Oct 2021 · 1 min read इबादत न होती दिलों में बेइन्तहा गर चाहत न होती। तो मोहब्बत क़भी भी इबादत न होती। ये दिल आशियाना क़भी भी न होता, और दिल में किसी की हिफाज़त न होती। न... Hindi · मुक्तक 1 244 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Sep 2021 · 1 min read मकान हो गए जब लोग अपने लोगों से अनजान हो गए। आपसी रिश्तों में अनेको व्यवधान हो गए। जब लोग ही जुड़ के रह सके न एक साथ , फिर गली ,मोहल्ले,गांव,शहर वीरान... Hindi · मुक्तक 4 4 409 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Sep 2021 · 1 min read बीते कल की यादें अब झूठी कसमें खातें हैं लोग और झूठे होते वादे हैं। तोल- मोल आया ही नहीं ,हम रिश्तों में सीधे- सादे हैं। मेरे जेहन में घूमती यादें दिल को सुकूँ... Hindi · मुक्तक 3 2 440 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Sep 2021 · 1 min read हिंदुस्तान जलेबी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मदमस्त हुई है, खाने में अफगान जलेबी। तालिबान से अगर नजर भटके, तो थोड़ा सा खा लो हिंदुस्तान जलेबी। जनता बाढ़ में त्रस्त हुई है ये भी खबर... Hindi · मुक्तक 1 373 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 Aug 2021 · 1 min read सांवरा है तूँ मन भ्रमर सा है तुम्हारा और बांवरा है तूँ। सोच उजली है तुम्हारी और सांवरा है तूँ। मन मेरा भटकाया तुमने छल किया छलिया रहोगे, मेरी जद तुझ तक है... Hindi · मुक्तक 355 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 26 Aug 2021 · 1 min read जरूरी ख्वाहिशें हैं अधूरी और अधूरी रहेगी। क्योंकि साथ तो अपने बस मजबूरी रहेगी। मुझे सुनने की आदत कब की चली गयी, मुझसे वही बात कहना जो जरूरी रहेगी। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 1 260 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Aug 2021 · 1 min read भुलाए गए थे महफ़िल में उसकी पराए गए थे। नये - नये तजुर्बे आजमाए गए थे। कहना भूल गए ये सबसे कहा वो, पर हम भूले नहीं थे भुलाए गए थे। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 1 278 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Aug 2021 · 1 min read लिंक उधर लिंक है और इधर लिंक है। किसका नहीं और किधर लिंक है। मुझे मेरी किस्मत को बदलवाना है, कोई आके बता दे अगर उधर लिंक है। लिंक लग जाएगा... Hindi · मुक्तक 2 240 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Aug 2021 · 1 min read लड़ रहा है वो सबसे लड़ाई लड़ रहा है जो खुद अपनी बड़ाई कर रहा है। अपने आप को है मास्टर बताया, पर अभी वो पढ़ाई कर रहा है। वो सबसे लड़ाई लड़... Hindi · मुक्तक 1 380 Share Page 1 Next