Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2021 · 1 min read

रास्ते चलिए

चलना है तो मेरे रास्ते चलिए।
मेरे नहीं खुद के वास्ते चलिए।
ये डगर थोड़ी मुश्किल तो है,
परेशानियों को हौसलों से नापते चलिए।
मुश्किलें होती हैं आसान मगर मुश्किल से।
आपको प्यार होना चाहिए अपनी मंज़िल से।
थोड़ा आराम से चलिए मत हाँफते चलिए।
परेशानियों को हौसलों से नापते चलिए।
मुश्किलों के आगे हौसलों का व्यवधान रखिए।
हर एक ठौर पर अपने आपको सावधान रखिए।
अपनी खामियों को भी अक्सर झांकते चलिए।
परेशानियों को हौसलों से नापते चलिए।
अपने आपमें हरदम मस्त रहिए।
मनो मष्तिष्क से चुस्त दुरुस्त रहिए।
अच्छे बुरे को सलीके से भाँपते चलिए।
परेशानियों को हौसलों से नापते चलिए।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
196 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो तुम्हें! खूब निहारता होगा ?
वो तुम्हें! खूब निहारता होगा ?
The_dk_poetry
रखना जीवन में सदा, सुंदर दृष्टा-भाव (कुंडलिया)
रखना जीवन में सदा, सुंदर दृष्टा-भाव (कुंडलिया)
Ravi Prakash
बेदर्दी मौसम🙏
बेदर्दी मौसम🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अजर अमर सतनाम
अजर अमर सतनाम
Dr. Kishan tandon kranti
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
*शिवोहम्*
*शिवोहम्* "" ( *ॐ नमः शिवायः* )
सुनीलानंद महंत
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
Ansh
रुचि पूर्ण कार्य
रुचि पूर्ण कार्य
लक्ष्मी सिंह
🌹लफ्ज़ों का खेल🌹
🌹लफ्ज़ों का खेल🌹
Dr Shweta sood
सभी मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
सभी मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
surenderpal vaidya
मुल्क
मुल्क
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमें आशिकी है।
हमें आशिकी है।
Taj Mohammad
"बिन स्याही के कलम "
Pushpraj Anant
मैं और दर्पण
मैं और दर्पण
Seema gupta,Alwar
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
Ramswaroop Dinkar
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय प्रभात*
हिन्द की भाषा
हिन्द की भाषा
Sandeep Pande
दगा बाज़ आसूं
दगा बाज़ आसूं
Surya Barman
देवतुल्य है भाई मेरा
देवतुल्य है भाई मेरा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सिलसिले..वक्त के भी बदल जाएंगे पहले तुम तो बदलो
सिलसिले..वक्त के भी बदल जाएंगे पहले तुम तो बदलो
पूर्वार्थ
है तो है
है तो है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
सत्य कुमार प्रेमी
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कलरव में कोलाहल क्यों है?
कलरव में कोलाहल क्यों है?
Suryakant Dwivedi
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
SHAMA PARVEEN
सदा प्रसन्न रहें जीवन में, ईश्वर का हो साथ।
सदा प्रसन्न रहें जीवन में, ईश्वर का हो साथ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैंने फत्ते से कहा
मैंने फत्ते से कहा
Satish Srijan
రామయ్య రామయ్య
రామయ్య రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कान खोलकर सुन लो
कान खोलकर सुन लो
Shekhar Chandra Mitra
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
Anil Mishra Prahari
Loading...