Rita Singh Language: Hindi 134 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rita Singh 25 Jan 2024 · 1 min read दोहे : राघव राघव मनहर रूप है, प्यारे हैं सरकार । सोहे टीका भाल पर , उर सजते हैं हार ।। पीत वसन में भा रहे , कौशल्या के लाल । मंद मंद... Hindi 118 Share Rita Singh 19 Jan 2024 · 1 min read सजी सारी अवध नगरी सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं हमारी ही प्रतीक्षा के , सुखद परिणाम आए हैं ।। जले दीपक सजी बाती , सजे आँगन सुमनलड़ियाँ । खड़ी... Hindi 1 76 Share Rita Singh 5 Aug 2023 · 1 min read दोहे - शीर्षक : समय दोहे (समय) कर मन सच्ची साधना , जीवन है उपहार । गँवा मनुज मत व्यर्थ ही , मिले न बारंबार ।। मानव सच यह जान ले , समय बड़ा अनमोल... Hindi 2 123 Share Rita Singh 29 Jun 2023 · 1 min read आषाढ़ी दोहे सावन को दे भूमिका , लिखता उर्वर पाठ । कर्म शील आषाढ़ है , रचता सबके ठाठ ।। हुआ विदा आषाढ़ है, दे बारिश सौगात । सावन द्वारे है खड़ा... Hindi 1 152 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read मानव तुम कौन हो मानव तुम कौन हो ? मानव तुम कौन हो ? क्या तुम माँ के गर्भ में पले उस भ्रूण का केवल विकसित रूप हो जो ईश्वर प्रदत्त एक निश्चित आकृति... Poetry Writing Challenge · कविता 4 190 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read नत मस्तक हुआ विज्ञान नत मस्तक हुआ विज्ञान आज प्रकृति के आगे , प्रदूषण की है मार पड़ी कहाँ जाएँ मनुज अभागे । साँस लेना हुआ दूभर प्राण वायु नखरे दिखाए, बता दो ऐ... Poetry Writing Challenge 2 395 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 2 min read माला के जंगल कुछ तपस्वी से लगते हैं शांत भाव से तप करते हैं हरे भरे तरोताजा से प्रफुल्लित मन खड़े रहते हैं । कुछ बुझे - बुझे मुरझाये से हैं कुछ झाड़... Poetry Writing Challenge 2 242 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read आओ रोपें एक तरू हम आओ रोपें एक तरू हम अपनी प्यारी सुता के नाम सींचें उसको नेह नीर से आएगा वह सभी के काम । नेह नीर से सिंचित तरुवर बेटी जैसी चिन्ता करते... Poetry Writing Challenge 2 196 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read गगन भवन में घन हैं छाए गगन भवन में घन हैं छाए शीतल पवन संग लहराए , तपती धरती के आँचल में हरा भरा संदेशा लाए । तरुवर बाग बाग मुस्काए क्यारी , पौध धान लहराए,... Poetry Writing Challenge 3 1 282 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read तांडव प्रकृति जब करती है तांडव प्रकृति जब करती है विज्ञान अँधेरे में छिप जाता मशीने खड़ी खड़ी रोती हैं आधार उनका भी हिल जाता । आंधी तूफान के रूप में नर्तन हवा जहाँ करती... Poetry Writing Challenge 1 266 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read गूँजे कानन सूना सूना क्या मानव लीला तेरी लील गया तू जंगल सारे , करें रुदन सब वनवासी बचे नहीं वृक्ष घर हमारे । घूमें गज हरि सड़कों पर खोजें जल भोजन बेचारे, भटक... Poetry Writing Challenge 2 170 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read सावन ने खोले पट अपने सावन ने खोले पट अपने मेघों ने डेरा है डाला , घुमड़ घुमड़ कर दे दी आहट , बरस उठा वो घन मतवाला । भीगे हैं वन ,भीगे उपवन भीग... Poetry Writing Challenge 2 1 272 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read सजी धरा है सजा गगन है सजी धरा है सजा गगन है सज गया सृष्टि का कण कण है रँग बिरंगे पुष्पों की स्मित से मुस्काने लगा जन गण मन है । नवल धवल बने तरु... Poetry Writing Challenge 3 335 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read चैत्र मास के सुंदर जंगल हरे भरे हैं नवल धवल से लगते जैसे धुले धुले से ताजगी लिए मुस्काए से मानो सजकर खड़े हुए हैं जैसे कहीं गमन को आतुर चैत्र मास के सुंदर जंगल... Poetry Writing Challenge 2 203 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read बना माघ है सावन जैसा बसंत ऋतु में मेंघों ने है यह कैसी ताल लगाई है, भोर पहर ही देखो नभ से बरखा भी गाती आई है । रिमझिम रिमझिम गान सुनाती मीठे मीठे भाव... Poetry Writing Challenge 2 147 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read जल बिन सूना है संसार जल जीवन का है आधार जल जग का करता उद्धार । जल सृष्टि का एक उपहार जल से भू पर बनी बहार । जल औषध का एक प्रकार करता रोगों... Poetry Writing Challenge 2 402 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read आयी बसंती सुबह सुहानी आयी बसंती सुबह सुहानी सजी धरा अब बन पटरानी ओढ़ चुनरिया पीत वर्ण की मनहु राज करे महारानी । आयी बसंती सुबह सुहानी ।। उठो सुगंधी पवन चली है कितनी... Poetry Writing Challenge 2 1 117 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read सूरज प्राची से जब झांके सूरज प्राची से जब झांके , धरती पर मुस्काता कौन । खग समूह में पर फैलाये , कलरव गीत सुनाता कौन । धीर गंभीर नील नीरमय, रहा धरा के चरण... Poetry Writing Challenge 286 Share Rita Singh 7 Jun 2023 · 1 min read दहके दिनकर दिनभर अंबर दहके दिनकर दिन भर अंबर धरती तपती बाहर अंदर , कुपित हुई है पवन घूमती लिये तेज लूओं का खंजर । जेठ माह है अकड़ दिखाता घुमा रहा गरमी का... Poetry Writing Challenge 300 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read कंकड़ पत्थर के जंगल में कंकड़ पत्थर के जंगल में तरुवर छाँव कहाँ से लाऊँ , तपस में तपती मीनारों की कैसे अब मैं तपन मिटाऊँ । पूछ रही नव पीढ़ी मेरी कैसी होती छाँव... Poetry Writing Challenge 3 1 372 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read बोली चिड़िया डाली डाली बोली चिड़िया डाली डाली उपवन की कर लो रखवाली , पहले शिकार बस मैं ही थी अब पात पात भी चुन डाली । गिन गिन काटे तरुवर सारे लूट लिये... Poetry Writing Challenge 2 300 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read छाया धुंध का राज गगन में छाया धुँध का राज गगन में फैला विष है आज चमन में तरुवर पात सभी मुरझाये मानों झुलसे बड़ी अगन में । झूठे बोल कुहासा आया उसने घेरी भोर अकड़़... Poetry Writing Challenge 1 196 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read वैसाख मास संग अपने बैसाख मास सँग अपने कनक उपहार लाया है , हुआ कण कण है प्रफुल्लित जन मन सब हरषाया है । चमके खेत स्वर्ण – आभ से कृषक हृदय मुस्काया है... Poetry Writing Challenge 1 178 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read चैत्र माह का हैं उपहार नव नव पल्लव सज्जित तरुवर चैत्र माह का हैं उपहार , कोमल कोपल महक डाल पर करती सुरभित पवन बयार । मानो वृक्ष वर बन सँवरकर सेहरे की लड़ियाँ रहे... Poetry Writing Challenge 272 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read गुलमोहर तुम हो शहजादे गुलमोहर तुम हो शहजादे तुमको मेरी राधे राधे , तप्त हवाओं संग खेलते बने बड़े ही सीधे साधे । माथ सुमन सोहें अति सुंदर रंग लाल है बड़ा मनोहर, झुलसे... Poetry Writing Challenge 196 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read अमलतास तरु एक मनोहर तेज ताप पर प्रतिस्पर्धा में जीत सदा ही है वो पाता , पीत वसन में सँवर - सँवर कर जो लहर - लहर है मुस्काता । तप्त हवाओं के स्पर्शों... Poetry Writing Challenge 158 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read क्यों मानव तुम समझ न पाये काट वनों को भवन बनाये क्यों मानव तुम समझ न पाये, ठंडी छाँव गँवाकर है अब अपनी करनी पर पछताये । धूल धुंआ धुंध दानव जैसे अपना पूरा मुख फैलाये,... Poetry Writing Challenge 1 281 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read सर सर बहती हवा कह रही... सर - सर बहती हवा कह रही मत काटो मनुज पँख हमारे , स्वस्थ साँस का स्रोत यही हैं समझो सच जीवन का प्यारे । नहीं रहेंगे विपिन अगर तो... Poetry Writing Challenge 1 259 Share Rita Singh 6 Jun 2023 · 1 min read सूरज हरता जग की कालिमा, करता है उजियार । अग्नि तत्व है जीव को , देता रवि उपहार ।। सूरज नभ से दे रहा , दुनिया को संदेश । उठो उजालों... Poetry Writing Challenge 1 283 Share Rita Singh 12 Apr 2023 · 1 min read फुदक फुदक कर ऐ गौरैया फुदक फुदक कर ऐ गौरैया मेरे आंगन आ जाना । मीठा मीठा कलरव अपना आकर जरा सुना जाना । राजू - रानी ढूँढ रहे हैं कहाँ गयी हो गौरैया, नहीं... Hindi 2 368 Share Rita Singh 5 Apr 2023 · 1 min read कहाँ गया वह समय पुराना कहाँ गया वो समय पुराना सहेलियों का संग सुहाना । खट्टी - मीठी सारी बातें करती सखियाँ दिन औ' रातें , दूरी हों चिट्ठी लिखती थीं मन की मन से... Hindi 2 249 Share Rita Singh 28 Oct 2022 · 1 min read सघन अंधियारी छायी है सघन अंधियारी छायी है तारों ने आस जगायी है मत कुंठा पालों तुम रजनी सपनों की बारी आयी है । हिय में आशा दीप जलेंगे मन के सारे तमस मिटेंगे,... Hindi 3 4 227 Share Rita Singh 11 Oct 2022 · 1 min read कार्तिक मास दोहे काली बदरी ओढ़नी, ओढ़ कार्तिक मास । लाया सर्दी अंक में ,बना उमस को ग्रास ।। छाये घन नभ आँगना, करते ठंडी भोर । तुहिन कणों से साजती,धरती की हर... Hindi 2 409 Share Rita Singh 27 Sep 2022 · 1 min read भव्या अभाव्या भाव्या भवानी भव्या अभव्या भाव्या भवानी भवमोचिनी हो तुम्हीं भाविनी , चितिः चिता और चित्तरूपा सर्वास्त्रधारिणी सत् - स्वरूपा । काली कराली कौमारी कुमारी क्रिया क्रूरा कात्यायनी कैशोरी , बुद्धिदा बहुला ब्राह्मी... Hindi 1 326 Share Rita Singh 14 Sep 2022 · 1 min read हिन्दी हिन्दी भाषा प्रेम की , जिसका कहीं न तोल । अनगिन इसके रूप हैं ,मीठे जिनके बोल ।। हिन्दी मातृ समान है, देती सीख अपार । तुलसी सूर कबीर में... Hindi 1 1 280 Share Rita Singh 30 Aug 2022 · 1 min read चन्दौसी मेला चलो सखी चंदौसी मेला गणपति बप्पा आये हैं रंग बिरंगी झांकी सारी अनगिन झूले लाये हैं । चाँट पकौड़ी इडली डोसा गोल गप्पे और समोसा छोले भटूरे पाव भाजी दही... Hindi 2 2 341 Share Rita Singh 26 Aug 2022 · 1 min read शुभ सवेरा कल कल सुर में गाती नदिया सुबह सुबह इतराती है गुंजन करती चिड़िया देखो नभ में जा इठलाती है । पाती तरुओं पर लहराकर मानों ताल लगाती है देख धरा... Hindi 3 4 324 Share Rita Singh 20 Apr 2022 · 1 min read हर बेटी के नायक पापा हर बेटी के नायक पापा करते हैं सब लायक पापा कारज अपने सभी निभाते बनें नहीं अधिनायक पापा । जग में सबसे न्यारे होते जनक सिया के प्यारे होते अपनी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 5 237 Share Rita Singh 14 Apr 2022 · 2 min read ये माला के जंगल ये माला के जंगल कुछ तपस्वी से लगते हैं शांत भाव से तप करते हैं हरे भरे तरोताजा से प्रफुल्लित मन खड़े रहते हैं । कुछ बुझे - बुझे मुरझाये... Hindi · कविता 2 3 940 Share Rita Singh 20 Aug 2021 · 1 min read मैं भारत हूँ मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ मैं युग युग खड़ी इमारत हूँ मै भारत हूँ मैं भारत हूँ । मैं वेद पुराणों की गाथा मैं भू का उन्नत सा... Hindi · गीत 2 693 Share Rita Singh 1 Nov 2018 · 1 min read माँ तो बस माँ होती है माँ तो बस माँ होती है , सारा घर जब सो जाता है मीठे सपनों में खो जाता है देख सभी को खुश होती है हो निश्चिन्त तब ही सोती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 30 976 Share Rita Singh 1 Nov 2018 · 1 min read माँ तो बस माँ होती है माँ तो बस माँ होती है , सारा घर जब सो जाता है मीठे सपनों में खो जाता है देख सभी को खुश होती है हो निश्चिन्त तब ही सोती... Hindi · कविता 1k Share Rita Singh 29 Sep 2018 · 1 min read अब मुरारि शंख बजा दो धरा बनी यह रणभूमि है घर घर में संग्राम छिड़े अब मुरारि शंख बजा दो जन जन हैं अविराम लड़े । द्वंद्व मचा बंधु बंधु में करते वे प्रतिद्वंद्व खड़े... Hindi · गीत 1 457 Share Rita Singh 19 Jan 2018 · 1 min read माँ तो बस माँ होती है माँ तो बस माँ होती है , सारा घर जब सो जाता है मीठे सपनों में खो जाता है देख सभी को खुश होती है हो निश्चिन्त तब ही सोती... Hindi · कविता 350 Share Rita Singh 14 Jan 2018 · 4 min read प्रकृति में सूर्य तत्व की महत्ता और पर्यावरण संरक्षण मकर संक्रांति पर विशेष - प्रकृति में सूर्य तत्व की महत्ता और पर्यावरण संरक्षण ----------------------------------------- सूर्य प्रकृति का केन्द्र है । उससे ही प्रकृति अपनी समस्त शक्तियाँ प्राप्त करती है... Hindi · लेख 2k Share Rita Singh 27 Dec 2017 · 1 min read शूल/काँटा बने तुम भी पहचान चमन की चुभन नहीं शान हो गुलशन की । कोमल कितना साथ तुम्हारा तुम बिन अधूरी महक सुमन की । तुम तपस्वी बड़े ही अडिग हो... Hindi · कविता 321 Share Rita Singh 12 Dec 2017 · 1 min read बदरा तुम क्यों शीत काल में बदरा क्यों तुम शीत काल में अंबर के घर आये हो । कैसी कामना पूरी करने बिन बुलाये ही छाये हो । शरद गुलाबी को देखकर मंद मंद मुस्काये हो... Hindi · कविता 269 Share Rita Singh 13 Nov 2017 · 1 min read कुहासा भानु तेरी रश्मि के सँग आँख मिचौली करे कुहासा नभ जल थल सब राहों में विलंब सदा करे कुहासा शीत काल में डेरा डाले है मनमर्जी करे कुहासा कामकाज में... Hindi · मुक्तक 476 Share Rita Singh 30 Sep 2017 · 1 min read नीर वेदना से बहता है गीत ------ नीर वेदना से बहता है नीरस में भी रस मिलता है ।। जीवन सतत सरस बहता यह भले दूरियॉ हों प्रियवर से विरहा मन कविता कहता यह सुमिरन... Hindi · कविता 466 Share Rita Singh 12 Sep 2017 · 1 min read प्रद्युम्न हम बहुत शर्मिंदा हैं प्रद्युम्न हम बहुत शर्मिंदा हैं तेरे कातिल क्यों जिंदा हैं ? माँ का आँचल कह रहा तड़पकर क्यों मिला लाल को मौत का फंदा है ? स्कूल तेरा कैसा ये... Hindi · कविता 666 Share Page 1 Next