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6 Jun 2023 · 1 min read

सूरज

हरता जग की कालिमा, करता है उजियार ।
अग्नि तत्व है जीव को , देता रवि उपहार ।।

सूरज नभ से दे रहा , दुनिया को संदेश ।
उठो उजालों से सजो , अपना – अपना वेश ।।

भोर दीप ले भानु जी , आये प्राची ओर ।
रंग रही है लालिमा , धरती की हर कोर ।।

सूरज पूरब से चले , लेकर आभा साथ ।
आँचल धरती का खिला , सजी लालिमा माथ ।।

प्रभा देख दिनेश की ,करते कलरव गान ।
लगे सुहानी भोर है , नव पीढ़ी यह जान ।।

डॉ. रीता सिंह
चन्दौसी (सम्भल)

Language: Hindi
1 Like · 281 Views
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