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7 Jun 2023 · 1 min read

बना माघ है सावन जैसा

बसंत ऋतु में मेंघों ने है
यह कैसी ताल लगाई है,
भोर पहर ही देखो नभ से
बरखा भी गाती आई है ।

रिमझिम रिमझिम गान सुनाती
मीठे मीठे भाव जगाती,
सप्त सुरों को अंग लगाती
मधुरिम सी सुबह सजाई है ।

बना माघ है सावन जैसा
भीगा भीगा भादो जैसा,
बरखा बसंत ऋतु की मानों
हो रही आज सगायी है ।

बरसे ओले बिन आहट ही
गरजे बादल बिन मौसम ही,
पड़़ पड़ पड़ पड़ गिरती बूंदे
ज्यों बजा रहीं शहनायी हैं ।

डॉ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल

Language: Hindi
2 Likes · 146 Views
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