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29 Jun 2023 · 1 min read

आषाढ़ी दोहे

सावन को दे भूमिका , लिखता उर्वर पाठ ।
कर्म शील आषाढ़ है , रचता सबके ठाठ ।।

हुआ विदा आषाढ़ है, दे बारिश सौगात ।
सावन द्वारे है खड़ा , करतीं बूँदें बात ।।

हरियाली भर ताजगी , खिला रही मुस्कान ।
आँचल धरती का सजा , आषाढ़ी अहसान ।।

रिमझिम रिमझिम गा रहीं , बूँदें रानी गीत ।
पावस सबकी हो सखी , क॔ठ लगाती मीत ।।

खेतों में भर नीर निधि , रोप दिये अरमान ।
अन्न दाता अधर खिले , कर पावस गुणगान ।।

डाॅ रीता सिंह
आया नगर , नई दिल्ली -47

Language: Hindi
1 Like · 145 Views
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