Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Oct 2016 · 5 min read

‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-1 ||
————————————-
दिन अच्छे सुन बच्चे आये
आये लेकर बढ़े किराये ,
बढ़े किराए , डीजल मंहगा
डीजल मंहगा , हर फल मंहगा ,
हर फल मंहगा समझे बच्चे
बच्चे मान इन्हें दिन अच्छे |
–रमेशराज —

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-2 ||
———————————-
दिन अच्छे आये हैं कैसे
कैसे जियें बताओ ऐसे ,
ऐसे ही यदि बढ़ीं कीमतें
बढ़ीं कीमतें , बढ़ीं आफ़तें,
बढ़ीं आफ़तें , बनकर डाइन
आये हैं कैसे अच्छे दिन !!
–रमेशराज —

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-3 ||
————————————–
खेले नेता कैसी होली
कैसी होली , दाग़े गोली
दाग़े गोली वोटों वाली
वोटों वाली , नोटों वाली
नोटों वाली रँग की वर्षा
कैसी होली खेले नेता ?
–रमेशराज —

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-4 ||
———————————
नेता के हाथों में कट्टा
कट्टा , घर डालर का चट्टा
चट्टा लगा बने जनसेवक
जनसेवक पर चील बाज वक
चील बाज वक सा ही कुनबा
कुनबा के संग हंसता नेता |
–रमेशराज —

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-5 ||
————————————–
गन्ना खट्टा राजनीति का
राजनीति का , छद्म प्रीति का
छद्म प्रीति का खेल-तमाशा
खेल-तमाशा करता नेता
नेता धमकाता ले कट्टा
राजनीति का गन्ना खट्टा |
–रमेशराज —

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-6 ||
—————————-
” शासन का ये कैसा बादल ?
बादल बढ़ा रहा है मरुथल,
मरुथल निगल गया खुशहाली
खुशहाली से जन-जन खाली,
खाली झोली मिले न राशन
राशन लूट ले गया शासन | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-7 ||
————————————-
” अजब व्यवस्था, हालत खस्ता
हालत खस्ता, दिखे न रस्ता,
दिखे न रस्ता, लुटता जन-जन
जन-जन का दुःख लखे शासन,
शासन मूक-वधिर हलमस्ता
हलमस्ता की अजब व्यवस्था ! ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-8 ||
————————————-
” नेता बोले, वोट हमें दो
वोट हमें दो, नोट हमें दो
नोट हमें दो, तर जाओगे
तर जाओगे, सब पाओगे
सब पाओगे, रम-रसगोले
रम-रसगोले, नेता बोले | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-9 ||
————————————
” लूटें जन की खुशियाँ सब दल
दल-दल में हैं, अब खल ही खल,
अब खल ही खल, अति उत्पाती
अति उत्पाती, अति आघाती,
अति आघाती जन को कूटें
जन को कूटें, खुशियाँ लूटें | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-10 ||
———————————–
“आँखें पुरनम, बहुत दुखी हम
बहुत दुखी हम, कहीं खड़े यम,
कहीं खड़े यम, कहीं फटें बम
कहीं फटें बम, चीखें-मातम,
चीखें-मातम, अब ग़म ही ग़म
अब ग़म ही ग़म, आँखें पुरनम | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-11 ||
————————————-
” आज़ादी के सपने खोये
सपने खोये , जन – जन रोये ,
जन – जन रोये , अब क्या होगा ?
अब क्या होगा , क्रूर दरोगा !
क्रूर दरोगा संग खादी के
सपने खोये आज़ादी के |
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-12 ||
————————————-
” सत्ता का मद आज बोलता
आज बोलता , जहर घोलता
जहर घोलता , जन जीवन में
जन जीवन में , जल में वन में
जल में वन में , नेता के पद
नेता के पद, सत्ता का मद | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-13 ||
—————————————
माँगे रिश्वत बाबू – अफसर
बाबू – अफसर , भारी जन पर ,
भारी जन पर , नित गुर्राए
नित गुर्राए , काम न आये
काम न आये , देखो जुर्रत
देखो जुर्रत , माँगे रिश्वत | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-14 ||
————————————-
” सत्ता का मद आज बोलता
आज बोलता , जहर घोलता
जहर घोलता , जन जीवन में
जन जीवन में , जल में वन में
जल में वन में , नेता के पद
नेता के पद, सत्ता का मद | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-15 ||
————————————
” तोड़े छत्ता, शहद निचोड़े
शहद निचोड़े , कम्बल ओढ़े
कम्बल ओढ़े , धुंआ करे नित
धुंआ करे नित , हो आनन्दित
हो आनन्दित , जिसकी सत्ता
जिसकी सत्ता , तोड़े छत्ता | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-16 ||
———————————–
” नेताजी के रूप निराले
रूप निराले , मद को पाले
मद को पाले , तनिक न डरते
तनिक न डरते , फायर करते
फायर करते , काम न नीके
काम न नीके , नेताजी के | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-17 ||
———————————–
जन को खाएं , मौज उड़ायें
मौज उड़ायें , ईद मनाएं
ईद मनाएं नेता – अफसर
नेता – अफसर , धन – परमेश्वर
धन – परमेश्वर अति मुस्काएं
अति मुस्काएं , जन को खाएं |
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-18 ||
—————————————
मत जा प्यारे , अफवाहों पर
अफवाहों पर , इन राहों पर
इन राहों पर , वोट – सियासत
वोट – सियासत , छल का अमृत
छल का अमृत जन – संहारे
जन – संहारे , मत जा प्यारे |
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-19 ||
———————————–
हरदम अब तो सत्ता के यम
यम गम देते चीखें मातम ,
मातम से हम उबरें कैसे
कैसे हल निकलेंगे ऐसे ?
ऐसे में बदलो ये सिस्टम
सिस्टम लूट रहा है हरदम |
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-20 ||
———————————–
” धन पशुओं को पुष्ट करें सब
पुष्ट करें सब ये नेता अब
ये नेता अब , जन को लूटें
जन को लूटें , मारें – कूटें
मारें – कूटें अति निर्बल जो
पुष्ट करें सब धन पशुओं को | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-21 ||
———————————–
“छल के माला, सच को ठोकर
ठोकर मारे पल-पल जोकर,
जोकर जिसकी कायम सत्ता
सत्ता जो शकुनी का पत्ता,
पत्ता चल करता सब काला
काला डाले छल के माला | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-22 ||
————————————–
” जनता चुनती जाति – रंग को
जाति – रंग को , अति दबंग को
अति दबंग को जीत मिले जब
जीत मिले जब , मद में हो तब
मद में हो तब , नादिर बनता
नादिर बनता , कटती जनता | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-23 ||
—————————————-
” सदविचार सदनीति यही अब
अब बन डाकू हम सबके सब
हम सबके सब कुण्डल छीनें
कुण्डल छीनें , मारें मीनें
मारें मीनें कर ऊंचा कद
कद का भोग – विचार बना सद | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-24 ||
————————————–
” कर परिवर्तन , बहुत जरूरी
बहुत जरूरी , दुःख से दूरी
दुःख से दूरी तब होगी हल
तब होगी हल , चुनें वही दल
चुनें वही दल, खुश हो जन – जन
खुश हो जन – जन , कर परिवर्तन | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-25 ||
———————————-
” सद विरोध पर पल – पल हमले
हमले किये असुर ने – खल ने
खल ने चाही वही व्यवस्था
वही व्यवस्था , दीन अवस्था
दीन अवस्था में हो हर स्वर
स्वर पर चोटें सद विरोध पर | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-26 ||
————————————–
” इस सिस्टम पर चोट किये जा
चोट किये जा , वीर बढ़े जा
वीर बढ़े जा , ला परिवर्तन
ला परिवर्तन , दुखी बहुत जन
दुखी बहुत जन , मातम घर – घर
चोट किये जा इस सिस्टम पर | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-27 ||
” वीर वही है लड़े दीन-हित
लड़े दीन-हित , तुरत करे चित ,
तुरत करे चित , उस दुश्मन को
उस दुश्मन को , दुःख दे जन को ,
जन को सुख हो , नीति यही है
लड़े दीन-हित , वीर वही है | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-28 ||
——————————————-
“सौदागर हैं ये इज्जत के
ये इज्जत के , धन-दौलत के
धन-दौलत के , नत नारी के
नत नारी के , औ ‘ कुर्सी के
कुर्सी पर ये ज्यों अजगर हैं
ज्यों अजगर हैं , सौदागर हैं | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-29 ||
———————————-
” सपने खोये आज़ादी के
आज़ादी के , उस खादी के
उस खादी के , जंग लड़ी जो
जंग लड़ी जो , सत्य – जड़ी जो
जो थी ओजस , तम को ढोए
आज़ादी के सपने खोये | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-30 ||
———————————-
” जाति-धरम के लेकर नारे
लेकर नारे , अब हत्यारे
अब हत्यारे , जन को बाँटें
जन को बाँटें , मारें-काटें
काटें जन को वंशज यम के
लेकर नारे जाति-धरम के | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-31 ||
———————————-
” घर लूटा घर के चोरों ने
चोरों ने, आदमखोरों ने
आदमखोरों ने सज खादी
खादी सँग पायी आज़ादी
आज़ादी में गुंडे बनकर
करते ताण्डव आकर घर-घर | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-32 ||
———————————-
” अजब रंग है आज सियासी
आज सियासी , बारहमासी
बारहमासी व्यभिचारों की
व्यभिचारों की , व्यापारों की
व्यापारों की , सेक्स सन्ग है !
सेक्स सन्ग है !, अजब रन्ग है | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-33 ||
———————————-
” नेता चाहे , चकलाघर हों
चकलाघर हों , सब लोफर हों
सब लोफर हों , लोकतंत्र में
लोकतंत्र में , इसी मन्त्र में
इसी मन्त्र में , चले व्यवस्था
चले व्यवस्था , चाहे नेता | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-34 ||
———————————-
” पांच साल के बाद मदारी
बाद मदारी, कर तैयारी
कर तैयारी , करे तमाशा
करे तमाशा , बन्दर नाचे
बन्दर नाचे , कर-कर वादे
कर-कर वादे , पांच साल के | ”
(रमेशराज )

|| ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’-35 ||
———————————-
” राजा ने की यही व्यवस्था
यही व्यवस्था, यौवन सस्ता
सस्ता ब्लू फिल्मों का सौदा
सौदा ऐसा जिसमें नेता
नेता चाहे नव शहजादी
यही व्यवस्था राजा ने की | ”
(रमेशराज )
———————————————————–
रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ-२०२००१

Language: Hindi
365 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में सुरेंद्र मोहन मिश्र पुरातात्विक संग्रह : एक अवलोकन*
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में सुरेंद्र मोहन मिश्र पुरातात्विक संग्रह : एक अवलोकन*
Ravi Prakash
You come in my life
You come in my life
Sakshi Tripathi
कहाँ है मुझको किसी से प्यार
कहाँ है मुझको किसी से प्यार
gurudeenverma198
जहर    ना   इतना  घोलिए
जहर ना इतना घोलिए
Paras Nath Jha
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
कवि रमेशराज
2579.पूर्णिका
2579.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नन्हीं बाल-कविताएँ
नन्हीं बाल-कविताएँ
Kanchan Khanna
ये मेरा हिंदुस्तान
ये मेरा हिंदुस्तान
Mamta Rani
वो जो हूबहू मेरा अक्स है
वो जो हूबहू मेरा अक्स है
Shweta Soni
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
आर.एस. 'प्रीतम'
"दीवारें"
Dr. Kishan tandon kranti
यूँही तुम पर नहीं हम मर मिटे हैं
यूँही तुम पर नहीं हम मर मिटे हैं
Simmy Hasan
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
💐प्रेम कौतुक-503💐
💐प्रेम कौतुक-503💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
राजयोग आलस्य का,
राजयोग आलस्य का,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हमारी मंजिल को एक अच्छा सा ख्वाब देंगे हम!
हमारी मंजिल को एक अच्छा सा ख्वाब देंगे हम!
Diwakar Mahto
हम ख़्वाब की तरह
हम ख़्वाब की तरह
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
Harminder Kaur
निगाहें
निगाहें
Shyam Sundar Subramanian
नन्हे बाल गोपाल के पाच्छे मैया यशोदा दौड़ लगाये.....
नन्हे बाल गोपाल के पाच्छे मैया यशोदा दौड़ लगाये.....
Ram Babu Mandal
नन्हें बच्चे को जब देखा
नन्हें बच्चे को जब देखा
Sushmita Singh
#धर्म
#धर्म
*Author प्रणय प्रभात*
चांदनी न मानती।
चांदनी न मानती।
Kuldeep mishra (KD)
सूरज की किरणों
सूरज की किरणों
Sidhartha Mishra
पाश्चात्यता की होड़
पाश्चात्यता की होड़
Mukesh Kumar Sonkar
चाहत के ज़ख्म
चाहत के ज़ख्म
Surinder blackpen
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
माँ गौरी रूपेण संस्थिता
Pratibha Pandey
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
Loading...