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29 Sep 2018 · 1 min read

अब मुरारि शंख बजा दो

धरा बनी यह रणभूमि है
घर घर में संग्राम छिड़े
अब मुरारि शंख बजा दो
जन जन हैं अविराम लड़े ।

द्वंद्व मचा बंधु बंधु में
करते वे प्रतिद्वंद्व खड़े
नम भाव न दोनों में है
लड़ सदा ही स्वछंद पड़े ।

चक्र सुदर्शन घुमा तर्जनी
घृणा का संहार करो
छेड़ मधुर धुन मुरली की
नवल प्रेम संचार करो ।

मोर पंख सजा माथ पर
जग से सभी विवाद हरो
हो मिठास संबंधों में
मन ऐसे संवाद भरो ।

डॉ रीता सिंह

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 452 Views
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