Mamta Singh Devaa 445 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 Next Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read पैसा पैसों की खनक से जुर्म दब जाता है , पैसों के आगे रिश्ता खो जाता है , बिन पैसा गुण भी ढक जाता है पैसा हो तो अवगुण भी तर... Hindi · कविता 4 6 276 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read दिन गिनना सबका तरीका अपना - अपना दिन गिनना सबका तरीका अपना - अपना कोई जागकर कोई सोकर , कोई हँस कर कोई रोकर , कोई चिंता से कोई आराम से , कोई सुबह से कोई शाम... Hindi · कविता 4 434 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read दादी जी का जन्मदिन ज़िन्दगी का ये पल हर किसी की तकदीर में नही , हमारी किस्मत कि उनकी आँखों से इतने सालों का सफर देखें तो सही , इस सफर में सुख -... Hindi · कविता 3 2 382 Share Mamta Singh Devaa 5 Jul 2020 · 1 min read मुरलीधर मुरलीधर तुम भी तो रोये थे आदरणीय माता - पिता का कष्ट देख कर प्यारी माँ यशोदा से लिपट कर अपनी राध से बिछड़ कर मित्र सुदामा की दरिद्रता पर... Hindi · कविता 1 4 519 Share Mamta Singh Devaa 5 Jul 2020 · 1 min read कर्म प्रधान कहते हैं... किस्मत बड़ी बलवान तो कर्म का कहाँ स्थान ? अगर कर्म है प्रधान तो किस्मत का क्या काम ? इन दोनों विरोधाभास में हम सब है घिरे सबके... Hindi · कविता 1 4 297 Share Mamta Singh Devaa 5 Jul 2020 · 2 min read दिली इच्छा मैं फिर आना चाहूँगी अम्माँ कि डाँट खाने बाबू का प्यार पाने मैं फिर .......... रसोईं में अम्माँ का आँचल थामने उनके स्वाद को अपने हाथों में उतारने मैं फिर... Hindi · कविता 2 6 305 Share Mamta Singh Devaa 5 Jul 2020 · 1 min read " एक प्रश्न " थप्पड़ बड़ा या गाली ये सवाल है बड़ा सवाली सबके सामने ये दोनों बड़े अपमानित से लगते हैं अकेले में क्या ये बड़े सम्मानित से लगते हैं ? स्वरचित एवं... Hindi · कविता 1 2 432 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read मनमोहना मनमोहना..... तुमने हमेशा दिल की ही था सुना इतनी रानियों और पटरानियों के रहते सिर्फ़ राधा को ही था चुना , गोपियों से हैं तुम्हारे आज भी दिल के नाते... Hindi · कविता 4 6 634 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read आजादी किस मायने में ? आज़ादी..... किसी मायने में सोच की विचार की समझ की रिश्तों की समानता की भाषा की परिभाषा की क्या मिली है हमें ??? आज़ादी..... सही मायने में नासमझी की कुविचारों... Hindi · कविता 3 2 406 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read कहीं कुछ कमी सी है हवा में सरसराहट कम है धूप में गरमाहट कम है , होली में फगुआहट कम है दिवाली में जगमगाहट कम हैं , चूड़ियों में खनखनाहट कम है पायलों में छनछनाहट... Hindi · कविता 4 4 572 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read प्रारम्भ दिन - प्रतिदिन हिम्मत लस्त हौसला पस्त लेकिन मेहनत पर विश्वास ज़बरदस्त , राह में रोड़े शब्दों के कोड़े लेकिन डटी रही मन को जोड़े , इस आशा में कभी... Hindi · कविता 4 2 650 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read तब और अब कभी... कानों को सुख देता था सन्नटे को चीरता वो हो हल्ला और अच्छा लगता था दिन - भर गलचौर करना , सुकून देता था... सबका हुक्म बजा लाना बेवजह... Hindi · कविता 4 4 323 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read समझौता अजीब से हालात के बीच जीना कितना कठिन फिर भी जीते हैं , लेकिन हालत को बदलने की चेष्टा नही करते हैं , करते हैं सिर्फ बड़ी - बड़ी बातें... Hindi · कविता 3 2 637 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read सोच भविष्य की भूत होता ही है भूलने के लिए भविष्य की सोचिये वर्तमान को देखिये क्या बीता वक्त ही मिला है शिकायतेंं करने के लिए । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह... Hindi · कविता 3 2 601 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read दोस्ती एक वरदान दोस्ती एक वरदान है जो सबको नही मिलती , कई जन्मों के कर्मों की देन है जो सबको नही मिलती , ये एक सौभाग्य है जो सबको नही मिलती ,... Hindi · कविता 4 4 869 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read जिंदगी ज़िंदा रहना ज़रूरी है ये कैसी मजबूरी है , मरने की इच्छा है तो कानून की उपेक्षा है , अजब ज़िंदगी है गजब ज़िंदगी है , क्या - क्या रंग... Hindi · कविता 4 2 307 Share Mamta Singh Devaa 3 Jul 2020 · 1 min read मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 ) " वक्त से " तुम रहते हो तो मैं आशाओं के पुल बनाने लगती हूं खुशियोंकी लकीरें खींचने लगती हूं कि शायद तुम रूको इसी उम्मीद में दिन गुजर जाते हैं लेकिन तुम नही... Hindi · कविता 3 4 446 Share Mamta Singh Devaa 2 Jul 2020 · 1 min read जाल हर तरफ फैला साजिशों का जाल दिन ब दिन जीना मुहाल , दम घुटता पल - पल हर कदम पर दल - दल फँसने का डर हर क्षण , क्या... Hindi · कविता 2 2 230 Share Mamta Singh Devaa 2 Jul 2020 · 1 min read हकीकत जिन्दगी मिलना आसान जिन्दा रहना मुश्किल , दोस्त बनना आसान दोस्ती निभाना मुश्किल , सपने देखना आसान सपनों को सच करना मुश्किल , झूठ बोलना आसान सच बोलना मुश्किल ,... Hindi · कविता 1 2 239 Share Mamta Singh Devaa 2 Jul 2020 · 1 min read असली मजा इस जहाँ में ऐसा कुछ नही जो है नही फिर भी कमी ही कमी सोचा कभी क्यों है ऐसा ? अरे नही ! सबकी वजह नही है पैसा शायद है... Hindi · कविता 1 2 245 Share Mamta Singh Devaa 2 Jul 2020 · 1 min read ये सच है ये सच है.... उलझने होती ही हैं सुलझने के लिए इच्छाएँ होती ही हैं मचलने के लिए , सपने होते ही हैं सच करने के लिए बेहूदगी होती ही हैं... Hindi · कविता 2 2 234 Share Mamta Singh Devaa 2 Jul 2020 · 1 min read बुरे कर्म कहते हैं सब मर कर जाते हैं स्वर्ग या नर्क , लेकिन कुछ लोग बुरे कर्म से ज़िंदा हैं मरे से , बिलबिला रहे है सड़े से , सोच है... Hindi · कविता 2 2 401 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read बचपन प्यारी अटखेलियाँ नन्हीं सहेलियाँ भाँती हैं मुझको इनकी पहेलियाँ , छुप्पन - छुपाई झगड़ा - लड़ाई रूठना - मनाना गुस्सा - हँसाई , यही वो दिन हैं थोड़े पलछिन हैं... Hindi · कविता · बाल कविता 1 4 260 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read " छुट्टियाँ " आये आये दिन आये छुट्टियों के देखो दिन आये , अब मस्ती सैर - सपाटा होगा टीचर का नही चाँटा होगा , देर से सो कर उठना है पाठ नही... Hindi · कविता · बाल कविता 2 2 593 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read जन्मोत्सव प्रभु श्री राम का प्रभु आप तो रघुवंश हैं ईश्वर के अंश हैं पूर्वज हमारे आप दशरथ के वंश हैं , प्रभु आपके धैर्य के आगे सबके शीश झुके हैं प्रभु के घर में... Hindi · कविता 2 2 180 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read मेघा मेघा.... क्यों नही रहे हो गरज नैना गये है तरस अब तो जाओ तुम बरस, काशी को तृप्त करो अपने मेघो में जल से लिप्त करो, शिव की नगरी को... Hindi · कविता 1 2 345 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 2 min read इंसाफ मेरा बलात्कार मेरा जलना कोयला बन सड़क पर पड़े रहना इतना आसान नही है मेरी पीड़ा को समझना , इस दरिंदगी को ना जाने हैवानों ने कैसे किया होगा ना... Hindi · कविता 1 2 331 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read अपने लिए भी जीना अपने लिए भी जीना....... अजीब सा एहसास है जिसको सौगात में मिले उसके लिये जन्नत जिसको अचानक मिले उसके लिये बिन मांगी मन्नत , अपने लिए भी जीना …… अजीब... Hindi · कविता 1 2 248 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read सचिन... सचिन अलविदा क्रिकेट कहते हुये तुम संतुलन से भरे थे भावनाओं को पकड़ के संयम से खड़े थे , पर वो तो दिल से आँखों के रास्ते सरक गई और हम... Hindi · कविता 2 2 241 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read कोरोना वाकई खतरनाक है ?? कोरोना के नाम पर बड़ी बड़ी बातें हैं बड़े बड़े झूठ हैं , नियम का पालन वो करते नही वाकई बड़े ढ़ीठ हैं , बाहर कितना भी काम कर लो... Hindi · कविता 1 2 212 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 2 min read " भविष्य का आईना " तुमने क्या सोचा की मैं कौन हूँ ? भविष्य का आईना हूँ मैं नही सोचना की मैं मौन हूँ , तुम्हारी एक - एक चाल से वाकिफ हूँ तुम मानो... Hindi · कविता 1 2 629 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read हाँ ! हम सब मज़दूर हैं ( 01/05/2020...मज़दूर दिवस ) हाँ ! ये जो मज़दूर हैं मेहनत से नही दूर हैं पसीने से भरपूर हैं थकान से बेहद चूर हैं , क्या होती है मज़दूरी ? नही मेहनत से होती... Hindi · कविता 2 2 229 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 2 min read " मेरे बचपन का एक राज़ " मेरा बचपन शैतानी और समझदारी दोनों से भरा था शतप्रतिशत एकदम तपे सोने जैसा एकदम खरा था , शैतानियाँ निराली थीं रोज़ नित नयी शैतानी की सवारी थी अम्माँ की... Hindi · कविता 2 4 518 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read " संहारक " केरल में हथिनि के साथ हुआ अक्षम्य - जघन्य अपराध किसी भी रुप में स्वीकार नही है... ये मानव के रूप में हैवान हैं इन्हें ज़रा नही मानवता का भान... Hindi · कविता 600 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read जज़्बा विरोधियों का झुंड लगातार दबोचने की ताक में आस लगाये बैठा , फिर भी मैं आराम से हँसती हुई गुज़र जाती हूँ , तब सब चौकते हैं और एक दूसरे... Hindi · कविता 1 311 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read कोरोना.....कोरोना.....कोरोना..... कोरोना.....कोरोना.....कोरोना..... देखो तुम डरो ना सही बात मानो ना ग़लत तुम करो ना देखो तुम डरो ना पास तुम आओ ना हाथ साफ़ करो ना देखो तुम डरो ना बाहर... Hindi · कविता 2 2 187 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read " परिवर्तन " हर बार बार - बार हमें माँ तुम ही दुलारती थी , जब भी डर जाते हैं हम तो अपने आँचल में छुपाती थी, हमें जन्म से आदत थी तुम्हारी... Hindi · कविता 1 2 352 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read हैवानियत दर हैवानियत ( हैदराबाद दरिंदगी ) उसको तो क्रूरता से मार दिया हैवानों ने और हमें फिर से घेर लिया सवालों ने , खुद को हम ज़िंदा कहते हैं और बात - बात पर शर्मिंदा रहते... Hindi · कविता 2 205 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read साम - दाम - दण्ड - भेद अन्याय जब हद से बढ़ जाये तब न्याय से खेलो कृष्ण को ध्यान में रख कर दिमाग से खेलो , साम - दाम - दण्ड - भेद साम - दाम... Hindi · कविता 2 287 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 2 min read " रिश्ता प्यार का " प्रतिमा : जब समझती है तो बहस क्यों कर रही है चुप रह... सुधा : बसह कहाँ कर रही हूँ मैं तो रिक्वैस्ट कर रही हूँ प्लीज़ भाभी मेरी बात... Hindi · लघु कथा 2 498 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 3 min read कुटज* आपबीती पति को कम उमर में हार्ट अटैक हुआ था हास्पिटल में थे ...दोनो बच्चे छोटे और मेरा दिमाग काम नही कर रहा था लेकिन मेरे अलावा बाकी घर वालों... Hindi · कहानी 2 2 229 Share Mamta Singh Devaa 1 Jul 2020 · 1 min read केरल की कुदरती आपदा पर अपने जाँबाज़ सैनिकों को समर्पित कुदरत जितना उत्पात दिखाओ अपनी आदत से बाज़ ना आओ , उपर अगर भगवान खड़े हैं नीचे इंसानी अवतार अड़े हैं , मात नही खायेगें हम हार नही जायेगें हम... Hindi · कविता 1 2 478 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read अनलॉक - 1 , " अज्ञानता " प्रभु के द्वार खुलेंगे अब इस आसरे बैठे है सब , कैसी ये अज्ञानता है इंसान प्रभु को ही नही जानता है , जो सर्वत्र विद्धमान है उसी से हम... Hindi · कविता 2 4 245 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read कल्पनाओं का रूप मैं जब अपनी इच्छाओं - कल्पनाओं को साकार करती हूँ तब उन्हें मिट्टी में सान कर चक्के पर डाल कर अलग - अलग रूपों में आकार देती हूँ , मेरा... Hindi · कविता 2 178 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read तिरंगा ?? ये जो तिरंगा है बड़ा ये सतरंगा है , दिखता है ये तीन रंग में लेकिन है ये हर रंग में , प्यार के रंग से देखो तो रंग जाता... Hindi · कविता 2 231 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read कान्हा कान्हा तुम हर साल पुराने रूप में जन्म लेते हो अपना दसवाँ अवतार लेना हर बार भूल जाते हो ? यहाँ इतनी त्रासदी और पीड़ा है सबके अंदर नफरत का... Hindi · कविता 2 230 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read वादा बहुत हिल हुज्जत के बाद पिता ( रंजना यानी मै ) मेरे अंतरजातीय विवाह के लिए राज़ी हुये थे परंतु एक बात उन्होंने ख़ास करके कही कि " तुम समझदार... Hindi · लघु कथा 2 307 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read भगवान ये सब हमें जिसने सिखाया है उन सब पर भगवान की ही माया है , उनके अस्तित्व को अस्वीकारना बड़ा कठिन है मनुष्य योनी का जन्म ही बड़ा जटिल है... Hindi · कविता 2 239 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read डर कई दिनों से अपनी शकल नही देखी है आईने में , डर लगता है फिर कोई ना बोल दे अपनी शकल देखी है आईने में ? स्वरचित एवं मौलिक ममता... Hindi · कविता 2 219 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read " धागा मन्नतों का " बचपन से देखते बड़े हुये इन मन्नतों के धागों को इन पेड़ों पर गहरी आस्थाओं के साथ बंधे हुये , एक - एक धागा बड़े जतन से बांधा है सबने... Hindi · कविता 1 2 349 Share Previous Page 7 Next