Comments (4)
5 Jul 2020 04:43 PM
श्री कृष्ण,को मशविरा मत आना, यहां रोने को, क्योंकि अब रुलाने वालों की तादाद ज्यादा हो गई है,यह आपका भाव है,बहन जी।
मेरा मशविरा तो यह है कि अब रोने को मत आना, अपितु रुलाने वालों को रुलाने को आना, और जो अब तक रुलाए जा रहे हैं, उनके आंसू पोंछने को तो आ ही जाना, क्योंकि जिन्होंने आंसू पोंछने थे,वहीं रुलाने रहे हैं।सादर आभार
Mamta Singh Devaa
Author
5 Jul 2020 05:35 PM
आपने जो कहा उस पर भी लिखा है…समीक्षा के लिए आभार ?
वर्तमान युग की परिस्थितियों पर कटाक्ष करती सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
दिल से आभार ?