Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2020 · 1 min read

जाल

हर तरफ फैला
साजिशों का जाल
दिन ब दिन
जीना मुहाल ,
दम घुटता
पल – पल
हर कदम पर
दल – दल
फँसने का डर
हर क्षण ,
क्या करें ?
कैसे बचें ?
यही सोचते
रोज जीते ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 04/09/11 )

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 209 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
क़ाफ़िया तुकांत -आर
क़ाफ़िया तुकांत -आर
Yogmaya Sharma
कमियाॅं अपनों में नहीं
कमियाॅं अपनों में नहीं
Harminder Kaur
साथ हो एक मगर खूबसूरत तो
साथ हो एक मगर खूबसूरत तो
ओनिका सेतिया 'अनु '
नई शिक्षा
नई शिक्षा
अंजनीत निज्जर
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हमें ना शिकायत है आप सभी से,
हमें ना शिकायत है आप सभी से,
Dr. Man Mohan Krishna
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मत छोड़ो गॉंव
मत छोड़ो गॉंव
Dr. Kishan tandon kranti
नारी शक्ति वंदन
नारी शक्ति वंदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं आदमी असरदार हूं - हरवंश हृदय
मैं आदमी असरदार हूं - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
चंदा मामा और चंद्रयान
चंदा मामा और चंद्रयान
Ram Krishan Rastogi
वो झील-सी हैं, तो चट्टान-सा हूँ मैं
वो झील-सी हैं, तो चट्टान-सा हूँ मैं
The_dk_poetry
मैं और मेरा
मैं और मेरा
Pooja Singh
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
Taj Mohammad
किसी से दोस्ती ठोक–बजा कर किया करो, नहीं तो, यह बालू की भीत साबित
किसी से दोस्ती ठोक–बजा कर किया करो, नहीं तो, यह बालू की भीत साबित
Dr MusafiR BaithA
विधाता छंद
विधाता छंद
डॉ.सीमा अग्रवाल
वक़्त बदल रहा है, कायनात में आती जाती हसीनाएँ बदल रही हैं पर
वक़्त बदल रहा है, कायनात में आती जाती हसीनाएँ बदल रही हैं पर
Sukoon
*अक्षय-निधि 【मुक्तक 】*
*अक्षय-निधि 【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
दाम रिश्तों के
दाम रिश्तों के
Dr fauzia Naseem shad
3378⚘ *पूर्णिका* ⚘
3378⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
जिस दिन तुम हो गए विमुख जन जन से
जिस दिन तुम हो गए विमुख जन जन से
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सारी जिंदगी कुछ लोगों
सारी जिंदगी कुछ लोगों
shabina. Naaz
मुद्रा नियमित शिक्षण
मुद्रा नियमित शिक्षण
AJAY AMITABH SUMAN
वर्षा ऋतु के बाद
वर्षा ऋतु के बाद
लक्ष्मी सिंह
मन में क्यों भरा रहे घमंड
मन में क्यों भरा रहे घमंड
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
बह्र 2122 1122 1122 22 अरकान-फ़ाईलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन काफ़िया - अर रदीफ़ - की ख़ुशबू
बह्र 2122 1122 1122 22 अरकान-फ़ाईलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन काफ़िया - अर रदीफ़ - की ख़ुशबू
Neelam Sharma
साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट  हो गया है
साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट हो गया है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
Loading...