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26 Sep 2023 · 1 min read

विधाता छंद

विधाता छंद

कलम सबकी पसंदीदा, मगर पेंसिल हमें भाए।
कराए सर कलम अपना,न आँसू एक भी लाए।
घिसे जितना उसे कोई, नुकीली और हो जाए,
खुशी के साथ जीने का, सरल पैगाम दे जाए।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

3 Likes · 2 Comments · 272 Views
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