डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' Language: Hindi 578 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Mar 2020 · 1 min read जोगीरा सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा झूम उठी सागर की नगरी होली का त्योहार प्रीत बढ़ाए घर-आँगन में टेसू की बौछार कि साली घर में आई ..... जोगीरा सा रा रा... Hindi · दोहा 1 441 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Mar 2020 · 1 min read काशी की होली 'काशी की होली' ---------------------- काशी नगरी धूम मची है, अस्सी घाटों पर किलकारी। तन-मन भीगा गंगा तीरे,रँग डालें भर-भर पिचकारी। लाल अबीर कपोल रँगे हैं, नीले-पीले अंबर छाए। हाथों में... Hindi · कविता 1 1 272 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Mar 2020 · 1 min read रिश्ते जो रिश्ते दम तोड़ रहे वो अर्थहीन हो जाते हैं, जीवन की जागीर बने ये अपनों को तड़पाते हैं। रिश्ते कई रंग में रँगे हुए ये अब तक समझ न... Hindi · कविता 362 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Mar 2020 · 2 min read छंदमुत रचना मुक्त छंद रचना "एकाकार" सुनो, तुमने क्या सोचा..... तुम्हारे जाने के बाद- मैं टूटे तारों की रागहीन वीणा बन जाऊँगी? स्पर्श करती सुरमयी तरंगों से तुम्हारा पता पूछूँगी? अब्धि की... Hindi · कविता 331 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Mar 2020 · 3 min read कुंडलिया कुंडलिया छंद कुंडलिया छंद वैभव प्रतिभा मैथिली, रहते न मोहताज़। रौशन करते जगत को, हो जाता आगाज़।। हो जाता आगाज़, लोक का मान बढ़ाते। होता जब अवरोध,सूर्य सम शान दिखाते।।... Hindi · कुण्डलिया 1 300 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read 'गुलाबी ठंड का मौसम' (कविता) गुलाबी ठंड गुलाबी ठंड का मौसम नेह में अगन लगाता है, ओस के मोती झरते हैं कोहरा मन लुभाता है। सजन की बाहें देती हैं नर्म शॉल की गरमी, अधर... Hindi · कविता 1 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read 'कोयल या उसके पर्याय' वर्ण पिरामिड विषय--कोयल या उसके पर्याय विधा --वर्ण पिरामिड ===================== (1) ये पिक कूँ बोले मिश्री घोले गीत सुनाए मन अकुलाए साजन नहीं आए -------------------- (2) जा बैरी कोकिल वनप्रिया हरती जिया... Hindi · कविता 1 262 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read 'ये कैसा खुमार' 'ये कैसा खुमार ये कैसा खुमार है ? भावों का ताना-बाना पहनने को आतुर शब्द कलम का मनुहार कर रहे हैं और अंतस से अभिसिंचित हो रचना का उपहार दे... Hindi · कविता 1 1 223 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read 'तुम क्या जानो' 'तुम क्या जानो?' कौन समझेगा मेरे अंतस की घुटन को तानों की चुभन को श्वास की तपन को ? भोर में जब लाली की रौनक छितराती है, दूर बगिया में... Hindi · कविता 1 237 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read 'यादें' 'यादें' सुनो! तुम्हारी यादें बंद दरवाज़े पर आकर दस्तक देती हैं, जैसे आज भी वो मेरा पता पूछ रही हों। उन्हें क्या मालूम तुम्हारे बिना ये शहर, ये गलियाँ ,... Hindi · कविता 1 1 235 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read कैसा ये मधुमास प्रिय? 'कैसा ये मधुमास प्रिय?' कैसा ये मधुमास प्रिये! जीवन की मधुरिम राहों में पाया नव अहसास प्रिये! झुलस गए आशा के पौधे यौवन झरता पातों से सूख गयीं खुशियों की... Hindi · कविता 2 1 210 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read कैसा ये मधुमास प्रिय? 'कैसा ये मधुमास प्रिय?' कैसा ये मधुमास प्रिये! जीवन की मधुरिम राहों में पाया नव अहसास प्रिये! झुलस गए आशा के पौधे यौवन झरता पातों से सूख गयीं खुशियों की... Hindi · कविता 2 1 251 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Feb 2020 · 1 min read 'बेरहम वक्त' (ग़ज़ल) 'बेरहम वक्त' याद मन को आज बहलाती नहीं दर्द की ग़ज़लें सनम भाती नहीं। बेरहम था वक्त छीना शहर भी लापता पहचान मुस्काती नहीं। प्रीत की मैं वेदना कैसे सहूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 243 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2019 · 2 min read गीत वीभत्सता का क्रूर नृत्य परिणाम था , संहार का । प्रण मौर्य के , विस्तार का ।। चहुँ ओर थीं , लाशें पड़ीं । बिन दाह के , जाती सड़ीं... Hindi · गीत 2 2 574 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2019 · 2 min read गीत वीभत्सता का क्रूर नृत्य परिणाम था , संहार का । प्रण मौर्य के , विस्तार का ।। चहुँ ओर थीं , लाशें पड़ीं । बिन दाह के , जाती सड़ीं... Hindi · गीत 4 2 280 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Aug 2019 · 2 min read कविता विधा-गीत विषय-'वृद्धाश्रम' विधान-16, 14 (ताटंक छंद, अंत तीन गुरु से) ~~~~ "वृद्धाश्रम" ~~~~~~ मुखड़ा ~~~~ जीर्ण-शीर्ण ममता की मूरत,वृद्धाश्रम में रोती है। गीली लकड़ी सी जलकर वो,अपनी आँखें खोती है।... Hindi · कविता 1 465 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read हाइकु “मेंहदी” (हाइकु) (1)मन भावन मेंहदी रचे हाथ पिया का साथ। (2)पीस पत्तियाँ करतल सजाईं खूब रचाईं। (3)मेंहदी लगी जो पिया मन भाई सुर्ख कलाई। (4)प्रीत बढ़ाएँ मेंहदी रचे हाथ पिया... Hindi · हाइकु 2 1 417 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read कविता रोला छंद मात्रा विधान- 24 मात्रिक छंद, 11 ,13 पर यति, विषम चरण के अंत में गुरु लघु, सम चरण के अंत में 2 गुरु "सृष्टि को आन बचाओ" देवलोक... Hindi · कविता 1 259 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read गीत "मूक-व्यथा मैं किसे सुनाऊँ?" ------------------------------------ प्रीति राम की,समझ न पाऊँ। मूक -व्यथा मैं,किसे सुनाऊँ? भक्त भीलिनी, पंथ बुहारे नयन नीर भर, बाट निहारे।। कंद-मूल फल, चखि-चखि डारे। सुमन बिछा पथ,... Hindi · गीत 1 1 266 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read दोहे शहद, सेब सिरका मिला,जल में लें नित मीत। लीवर की पीड़ा मिटे, सूजन हो भयभीत।। इसबगोल भूसी दही,पालक-रस का पान। कब्ज मिटा ये स्वस्थता, करता हमें प्रदान।। अश्वगंधा, शतावरी,आमलकी का... Hindi · दोहा 2 1 449 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read घनाक्षरी "बेटी" -------- पिता की है शान बेटी, माँ का स्वाभिमान बेटी, घर की है आन बेटी, गर्भ न गिराइए। मनोहारी कामना सी, उपकारी भावना सी, सुखकारी धारणा सी, कोख न... Hindi · घनाक्षरी 1 2 860 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read कविता भक्ति रस प्रधान विषय - मकरन्द छंद विधान~ [ नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु] (111122,111122,11111111,111122) 26 वर्ण,4 चरण,यति 6,6,8,6,वर्णों पर दो-दो चरण समतुकांत,पहली दूसरी यति... Hindi · कविता 1 1 528 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 5 min read गीत 'रेत' #सघन मित्रवत साथ रेत का, तेरी याद दिलाता है। मंद पवन का झोंका छूकर, दे संदेश रुलाता है।। #रेत समेटे अहसासों की, सुंदर स्वप्न सजाया था। कोमल अँगुली के... Hindi · गीत 1 516 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 5 min read गीत “आशाओं के दीप” आशाओं के दीप जलाकर सुंदर स्वप्न जगाए रखना, नया जोश उल्लास भरे तुम सुरभित सुमन खिलाए रखना। मन में उपजी प्रीत पिया की रोम-रोम हर्षित कर देती... Hindi · गीत 1 546 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 3 min read ग़ज़ल मुकद्दर में मेरे मुहब्बत नहीं है। मुझे कोई शिकवा, शिकायत नहीं है। तराजू में तोली मुहब्बत हमारी उन्हें दिल लगाने की आदत नहीं है। ख़ता जो न की थी सज़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 296 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 2 min read दोहे #फूल-फूल डाली खिले ,भ्रमर करे गुंजार। राह प्रेम फिसलन भरी, स्वार्थ पूर्ण आधार।। #ईश्वर माली जगत का, मानुष का अवतार। चौरासी लख योनि का,सतत करे उद्धार।। #कली काल मंगल चरण,... Hindi · दोहा 1 313 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read कुंडलिया कुंडलिया चक्की पीसे भोर में, दूजी भूख मिटाय। दो पाटन के बीच में, ममता पिसती जाय। ममता पिसती जाय,स्वजन पर प्यार लुटाती। अरमानों को पीस, श्रमिक की श्रेणी पाती। सुन... Hindi · कुण्डलिया 1 456 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 23 Jun 2019 · 1 min read गीत मुखड़ा ---------- रंग वासंती छिने हैं, ज्वलित मन निर्जन हुआ है। ओढ़कर संत्रास मरुधर,तप्त अब जीवन हुआ है। अंतरा --------- (1)तिमिर सम वैधव्य पाकर,रेत सूखी रह गई, कामना भी राख... Hindi · गीत 1 634 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jun 2019 · 1 min read ग़ज़ल बेवफ़ाई आशिक़ी में बेवफ़ाई ने रुलाया है बहुत। मुस्कुराके दर्द होठों ने छुपाया है बहुत। हो रही बारिश सुलगती हैं यहाँ तन्हाइयाँ बेवफ़ाई की मशालों ने जलाया है बहुत। धूप... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 213 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jun 2019 · 1 min read कविता विषय - मकरन्द छंद विधान~ [ नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु] (111122,111122,11111111,111122) 26 वर्ण,4 चरण,यति 6,6,8,6,वर्णों पर दो-दो चरण समतुकांत,पहली दूसरी यति अंत तुकान्तता हो... Hindi · कविता 734 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jun 2019 · 1 min read कविता विषय - मकरन्द छंद विधान~ [ नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु] (111122,111122,11111111,111122) 26 वर्ण,4 चरण,यति 6,6,8,6,वर्णों पर दो-दो चरण समतुकांत,पहली दूसरी यति अंत तुकान्तता हो... Hindi · कविता 1 266 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 May 2019 · 1 min read ग़जल "मज़दूर" सुखों का त्याग कर निर्धन श्रमिक जीवन बिताते हैं। लिए छाले हथेली पर नयन सपने सजाते हैं। चला गुरु फावडा भू पर उठाकर शीश पर बोझा प्रहारों का वसन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 381 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 20 Apr 2019 · 1 min read कविता सिसकते वृक्ष बना मानव धरा दानव सिसक हर वृक्ष कहता है, घुटन जीने नहीं देती भयावित वृक्ष रहता है। हरित आभा धरा को दे किया श्रृंगार उपवन का, ज़हर पीकर... Hindi · कविता 466 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Apr 2019 · 1 min read ग़ज़ल "आदमी" 2122 2122 212 ऐब दुनिया के गिनाता आदमी। आपसी रंजिश बढ़ाता आदमी। चंद सिक्कों में बिकी इंसानियत भूल गैरत आजमाता आदमी। चाल चल शतरंज की हैवान बन भान सत्ता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 259 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Apr 2019 · 1 min read गीत विषय- "शपथ" आज शपथ खोओ तुम वीरों माँ का मान बढ़ाओगे, भारत वीरों की जननी है समता भाव जगाओगे। आतंकी हमलावर छाए इनको मार भगाओगे, मातृभूमि की शान बने तुम... Hindi · गीत 1 269 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल ख्वाब में आए हमारे यूँ हक़ीक़त की तरह। हो गए शामिल दुआ में आप बरकत की तरह। आरजू है उम्रभर का साथ मिल जाए हमें हसरतें दिल की कहें रखलूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 306 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल गिरगिटों सी आदमी की आज फ़ितरत हो गई। बेइमानों की जहाँ में रोज़ इज़्ज़त हो गई। दे दग़ा महबूब ने जागीर समझा है मुझे आज तोड़ा मौन तो मानो क़यामत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 286 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल किसी-किसी की नज़र आसमान होती है। हसीन ख्वाब जमीं शादमान होती है। जिन्हें है खौफ़ नहीं रास्तों की मुश्किल का बला का जोश इरादों में जान होती है। यहाँ जो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 247 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल 221 2122 221 2122 "बेबसी" दिलदार की मुहब्बत बेज़ार लग रही थी। हर हार आशिक़ी में स्वीकार लग रही थी। उजड़े हुए चमन की काँटों भरी कहानी हालात से मुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 538 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल एक प्रयास 122 122 122 122 कभी झूठ जग से छुपाया न जाए। छुपा कर दिलों में दबाया न जाए। लगी चोट दिल पे किसी के सितम से उसे पीर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 249 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल *फ़रेबी* फ़रेबी जात का आशिक वफ़ा को आजमाता है। जिसे कल फ़िक्र थी मेरी वही दिल को सताता है। सनम की याद के अहसास मेरे चाँद, तारे हैं ज़माने में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 235 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल *धोखा* 2122 1212 22/112 बस इसी बात का गिला मुझको। हर कदम पर मिला दग़ा मुझको। बेवफ़ा यार गैर सा निकला दाग़ मेरे दिखा रहा मुझको। खा गई प्यार में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 514 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल *बारिश* कँटीले तीर के खंजर चलाने आ गई बारिश। तबाही का हमें मंज़र दिखाने आ गई बारिश। लिपट कर ख़्वाहिशें दिल से फ़फ़क कर रो न पाईं थीं तुम्हारी प्रीत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 273 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल 1222 1222 1222 1222 बारिश हमारी माँग मोती से सजाने आ गई बारिश। तुम्हारे नाम की चुनरी उड़ाने आ गई बारिश। धरा बेचैन होकर देखती थी रास्ता घन का हरित... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 245 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल 2122 1212 22/112 सिर्फ़ इस बात का गिला मुझको। खुद-ब-खुद वो डुबा रहा मुझको। बेवफ़ा यार गैर सा निकला दाग़ मेरे दिखा रहा मुझको। भूल जाती भुला नहीं पाई अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 227 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Mar 2019 · 1 min read मुक्तक अँधेरे रास क्या आते उदासी सह नहीं पाया। तुम्हारे बिन गुज़ारीं रात तन्हा रहह नहीं पाया। मिला धोखा मुहब्बत में नहीं उम्मीद थी जिसकी- गिला,शिकवा, शिकायत को कभी मैं कह... Hindi · मुक्तक 523 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Mar 2019 · 1 min read मुक्तक अँधेरे रास क्या आते उदासी सह नहीं पाया। तुम्हारे बिन गुज़ारीं रात तन्हा रहह नहीं पाया। मिला धोखा मुहब्बत में नहीं उम्मीद थी जिसकी- गिला,शिकवा, शिकायत को कभी मैं कह... Hindi · कविता 1 612 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Mar 2019 · 1 min read कविता प्राजक्ता का ललित सुमन बिखर रही है रजत चाँदनी छिटकाती यौवन मतवाला, प्राजक्ता के ललित सुमन का खिला यामिनी गात निराला। कोमल, सुरभित,श्वेत वर्णीय केसर देह सहज मन भायी, तम... Hindi · कविता 1 257 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Mar 2019 · 3 min read लेख "वर्तमान समय में घरेलू महिलाओं में समय की कमी क्यों ,हक़ीक़त के धरातल पर कारण व निवारण" सहधर्मिणी, संस्कारिणी, नारायणी की प्रतीक नारी की महत्ता को शास्त्रों से लेकर साहित्य... Hindi · लेख 1 610 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Mar 2019 · 3 min read लेख "वर्तमान समय में घरेलू महिलाओं में समय की कमी क्यों ,हक़ीक़त के धरातल पर कारण व निवारण" सहधर्मिणी, संस्कारिणी, नारायणी की प्रतीक नारी की महत्ता को शास्त्रों से लेकर साहित्य... Hindi · लेख 1 270 Share Previous Page 4 Next