Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2019 · 3 min read

लेख

“वर्तमान समय में घरेलू महिलाओं में समय की कमी क्यों ,हक़ीक़त के धरातल पर कारण व निवारण”

सहधर्मिणी, संस्कारिणी, नारायणी की प्रतीक नारी की महत्ता को शास्त्रों से लेकर साहित्य तक सर्वदा स्वीकारा गया है।
नारी को प्रारंभ से ही कोमलता, सहृदयता,त्याग-समर्पण, क्षमाशीलता,सहनशीलता की प्रतिमूर्ति माना जाता रहा है। महिला का नैसर्गिक गुण, उसकी प्रवृत्ति परिवार के लिए सर्मपण की होती है।उसका श्रम परिवार को पोषित करने के लिए होता है और नारी पूरी संवेदनशीलता के साथ अपनी गृहस्थी का निर्माण करती है। भारत के गौरवमयी इतिहास पर नज़र डालें तो भारतीय नारी अपने तेज, तपोबल, सहनशीलता, कर्तव्यपरायणता, धर्मानुकूल आचरण और सन्मार्ग के रूप में प्रतिष्ठित थी। युग बदला, परिस्थिति बदलीं, नारी की स्वयं की सोच और समाज के नारी के प्रति दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया।आज नारी ने शिक्षा की जागरूकता , कठिन श्रम, कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और अवसरों की उपलब्धता के आधार पर कई नए क्षेत्रों में पदार्पण किया है। सुश्री टीयाशा अद्या और सुश्री बानो हरालु ने मत्स्य विडाल के शिकार पर रोक लगाने के लिए संघर्ष किया तो सुश्री वी.नानाम्ल ने योग की शिक्षा देने के लिए बेहतरीन योगदान दिया। आज उनके विद्यार्थी देशभर में योग की शिक्षा देने के कार्य में जुटे हुए हैं।

आर्थिक स्वावलम्बन जहाँ परिवार को मजबूती प्रदान करता है, वहीं घरेलू महिलाओं को निजी व्यस्तताओं ने भिन्नता प्रदान की है। विघटित परिवार आज स्वच्छंद ज़िंदगी जी रहे हैं। संयुक्त परिवार में घर के मुखिया की सोच, कायदे-कानून के अनुरूप गृहणियों को जीवन-यापन करना पड़ता था फलस्वरूप दिनभर घरेलू कामकाज के लिए भी समय कम पड़ जाता था।आज एकल परिवार में जीवन-यापन के उपलब्ध साधनों ने ज़िंदगी सुगम व खर्चीली बना दी है। स्थिति ये है कि पति को काम पर और बच्चों को स्कूल भेजकर महिलाएँ शेष समय स्वयं के रहन-सहन, ब्यूटी-पार्लर, ऑन लाइन शॉपिंग, किटी पार्टी ,मोबाइल पर गेम खेलने, चेटिंग करने, सेल्फी खींचने व दूसरों को भेजने, बातें करने या फिर सोने में व्यतीत कर देती हैं।पार्लर जाने का मतलब वैक्सिंग,आईब्रोज़ सैटिंग, ब्लीच, फेशियल, बॉडी मसाज, हेयर केयर, पैडी क्योर, मैडी क्योर वगैहरा-वगैहरा।सूट, साड़ी के साथ मैचिंग पर्स, नैलपालिश, लिप्सटिक, सैंडिल खरीदने में पूरा दिन बर्बाद, किटी में गईं तो पूरी दोपहर गायब।
समय का दुरुपयोग करने के साथ ही साथ भौतिकवादी युग की अंधी दौड़ में शामिल आज की घरेलू महिलाएँ अपनी ज़िम्मेदारियों से भी विमुख होती जा रही हैं। बच्चों में संस्कार का बीजारोपण करने की बजाय स्वयं गैरज़िम्मेदार होती जा रही हैं।

आज नारी को स्वयं को पहचानना होगा, वो स्वयं को कितना पहचानती है, कितना महत्व रखती है, खुद के बारे में क्या सोचती है। ये कुछ अहम प्रश्न हैं, जिसे उसे जानना जरूरी है, क्योंकि संस्कारों की वाहिनी नारी पर पीढ़ियों को शिक्षित एवं सुसंस्कारित करने का दायित्व है।
दूसरों को शिक्षित व सुसंस्कारित करने से पहले अपने अधिकारों व परिवार के प्रति स्वयं के कर्तव्यों को समझकर उनका निर्वहन करना होगा तभी परिवार सुशिक्षित, संस्कारी बन सकेगा।आमदनी के अनुरूप बजट बनाकर मासिक व्यय करना होगा तभी परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सकेगी।दिनभर मोबाइल में उलझे रहने की बजाय अधिक से अधिक समय घर, बच्चों व पति के साथ गुज़ारते हुए रिश्तों में मिठास घोलना होगा।स्वतंत्रता व स्वच्छंदता के अंतर को समझते हुए रचनात्मक व सामाजिक कार्यों में संलग्न होना होगा तभी आज की घरेलू महिलाएँ समाज का नव निर्माण कर देश की उन्नति में महती योगदान प्रदान कर सकेंगी।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
महमूरगंज, वाराणसी(उ. प्र.)

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 243 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
धनवान -: माँ और मिट्टी
धनवान -: माँ और मिट्टी
Surya Barman
लड़की
लड़की
Dr. Pradeep Kumar Sharma
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
Shweta Soni
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश होना।
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश होना।
सत्य कुमार प्रेमी
गरीब और बुलडोजर
गरीब और बुलडोजर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
'अशांत' शेखर
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
नमः शिवाय ।
नमः शिवाय ।
Anil Mishra Prahari
शुभह उठता रात में सोता था, कम कमाता चेन से रहता था
शुभह उठता रात में सोता था, कम कमाता चेन से रहता था
Anil chobisa
आरती करुँ विनायक की
आरती करुँ विनायक की
gurudeenverma198
कागजी फूलों से
कागजी फूलों से
Satish Srijan
परमूल्यांकन की न हो
परमूल्यांकन की न हो
Dr fauzia Naseem shad
श्रीराम अयोध्या में पुनर्स्थापित हो रहे हैं, क्या खोई हुई मर
श्रीराम अयोध्या में पुनर्स्थापित हो रहे हैं, क्या खोई हुई मर
Sanjay ' शून्य'
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
Neelam Sharma
■ खरी-खरी...
■ खरी-खरी...
*Author प्रणय प्रभात*
3218.*पूर्णिका*
3218.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
Ravi Prakash
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे
Buddha Prakash
मुहब्बत ने मुहब्बत से सदाक़त सीख ली प्रीतम
मुहब्बत ने मुहब्बत से सदाक़त सीख ली प्रीतम
आर.एस. 'प्रीतम'
मैं भी आज किसी से प्यार में हूँ
मैं भी आज किसी से प्यार में हूँ
VINOD CHAUHAN
सौंदर्य छटा🙏
सौंदर्य छटा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
!! घड़ी समर की !!
!! घड़ी समर की !!
Chunnu Lal Gupta
"तब तुम क्या करती"
Lohit Tamta
" यादों की शमा"
Pushpraj Anant
उलझ नहीं पाते
उलझ नहीं पाते
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
गुप्तरत्न
वार्तालाप
वार्तालाप
Shyam Sundar Subramanian
मोहब्बत शायरी
मोहब्बत शायरी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...