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27 Feb 2020 · 1 min read

‘गुलाबी ठंड का मौसम’ (कविता)

गुलाबी ठंड

गुलाबी ठंड का मौसम
नेह में अगन लगाता है,
ओस के मोती झरते हैं
कोहरा मन लुभाता है।

सजन की बाहें देती हैं
नर्म शॉल की गरमी,
अधर को चूमती ज़ुल्फें
ठिठुर कर देती हैं गरमी।

जेब में हाथ डाले मैं
झूमती बेलों को लपकी,
रुचिर गालों को थपकी दे
सजन की नेह बूँद टपकी।

सिमट आगोश में उनके
सुधबुध मैं भुला बैठी,
हँसीन प्यार के जलवे
खुद उन पर मैं लुटा बैठी।

सजन का साथ प्यारा है
बरसता नूर न्यारा है,
भड़कते अरमानों के संग
सुहाता मौसम प्यारा है।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 1078 Views
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