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28 Mar 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

ख्वाब में आए हमारे यूँ हक़ीक़त की तरह।
हो गए शामिल दुआ में आप बरकत की तरह।

आरजू है उम्रभर का साथ मिल जाए हमें
हसरतें दिल की कहें रखलूँ अमानत की तरह।

ख़्वाहिशों की शिद्दतों से आपको हासिल किया
मिल गए हो ज़िंदगी में एक मन्नत की तरह।

हो रहा महसूस बिखरा है फ़िजा में इत्र सा
जिस्म में खुशबू महकती है नज़ारत की तरह।

प्रीत पाकर आपकी अब बढ़ रही है तिश्नगी
इश्क की सौगात जैसे है इनायत की तरह।

शाम गुज़रें सुरमयी आगोश भरती यामिनी
प्यार में खुशियाँ मिलीं मुझको विरासत की तरह।

चूमती उन चौखटों को आपके पड़ते कदम
आज उल्फ़त भी लगे ‘रजनी’ इबादत की तरह।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
महमूरगंज, वाराणसी (उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

1 Like · 278 Views
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