Umesh Kumar Sharma 154 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Umesh Kumar Sharma 14 Jul 2020 · 1 min read ख्वाब भीड़ सड़को पर बैठी है मसले तय करने, घरों से जब वो निकली तो कहा गया सिर्फ , जरूरी सामान ही साथ ले कर चलें। इसलिए, अपनी सोच और समझ... Hindi · कविता 5 2 308 Share Umesh Kumar Sharma 14 Jul 2020 · 1 min read इल्म जो बात अनसुनी की थी, तुमने सोचा सुनी ही नही शब्दों को तकते तुम खामोशी कहाँ पढ़ पाते? जवाब दिया तो था "चुप रहकर" तुम्हे ये इल्म भी नही कि... Hindi · कविता 2 279 Share Umesh Kumar Sharma 14 Jul 2020 · 1 min read गणित संख्याओं की उपयोगिता जब समझ मे आने लगी। तो मूल्यों और मुद्दों को पीछे धकेल कर अंकगणित मोर्चे पर आ गयी। अपने और दूसरे के जोड़ घटाव से निकली ये... Hindi · कविता 7 4 294 Share Umesh Kumar Sharma 13 Jul 2020 · 1 min read उहाफोह गाँव की एक सोच जब पहली बार घर से बाहर निकली तो उसकी मुलाकात, शहर मे खड़ी कई सोचो से हुई। कुछ से उसने दोस्ती करली कुछ से बस तालमेल... Hindi · कविता 5 10 556 Share Umesh Kumar Sharma 13 Jul 2020 · 1 min read प्रश्नोत्तरी तुम्हारे साथ ढाई दशकों से ज्यादा का सफर यूँ तो अच्छा गुज़रा है बस तुम्हारी आकस्मिक परीक्षायें लेना- कि बताओ तो मैंने उस वक़्त कौन सी साड़ी पहनी थी या... Hindi · कविता 3 2 354 Share Umesh Kumar Sharma 12 Jul 2020 · 1 min read समानता "जाइये , आप नही समझेंगे" के बाद आपका "मौन धारण" , या ' हाँ , तुम ठीक कहती हो" और "अरे, तुम नही समझोगी" के बाद उनके द्वारा आधे घंटे... Hindi · कविता 5 4 269 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read मेरा घर और विस्तारवादी नीतियाँ जब हम अपने फ्लैट मे शिफ्ट हुए थे। ये बिल्कुल तय था कि बेड रूम मे दो वॉर्डरोब होंगे। एक तुम्हारा और एक इस नाचीज़ का। कुछ दिन तो समझौते... Hindi · कविता 6 5 482 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति, मैं तुमसे अक्सर उलझ जाता हूँ। तुम्हे आजादी तो है बेशक है। पर कहीं तो हद होगी। तुम्हारा मुखर होना और मौन रहना फिर यकायक बोल उठना मुझे परेशान... Hindi · कविता 4 6 418 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read विरह-६ तेरे खयाल तड़पा गए दिल को चुपके से कहा और वो मचल उठा तेरे खयाल बेसाख़्ता, बेमायने से एक हल्की झलक जिस्म में झुरझुरी और गुज़र गए हाथ हिलाकर तेरे... Hindi · कविता 4 2 406 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read देखभाल मुझको धीमी आवाज़ मे बात करता देख तुम्हारे कान किचन से दौड़कर बैडरूम के दरवाजे पर आकर ठिठके, और दरवाजे से जा चिपके दबाव बनने पर दरवाजा हल्की आवाज़ के... Hindi · कविता 3 2 528 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read रंग एक दुःखद बात पर तुमने बोला भी लिखा भी जब सड़कों पर उतरे तो अच्छा लगा कि प्रतिक्रिया अब भी खड़ी होती हैं, मैं भी साथ हो लिया और ये... Hindi · कविता 2 276 Share Umesh Kumar Sharma 10 Jul 2020 · 1 min read जहनियत जो बात कभी कही ही नही हमने वो सच का शोर करती आ गयी जमाने मे बेवजह सुर्खियों मे आये है हम बात झूठी सी लिखी है इस फसाने में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 266 Share Umesh Kumar Sharma 10 Jul 2020 · 1 min read तज़ुर्बा जो बात कभी हंसी मे उड़ाई थी वो आज मुझपे हँसती लौटी है। वो मुझसे भी बड़ी हो गयी है अब जिसे कहा था, चुप कर, अभी तू छोटी है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 257 Share Umesh Kumar Sharma 10 Jul 2020 · 1 min read प्रवक्ता टेलीविजन की स्क्रीन पर आये दिन कभी ढीली तो कभी कसी हुई रस्सियों पर बल्ली थामे दो खम्बो की दुरियों को कई बार नापने के बाद एक दिन जब मैं... Hindi · कविता 2 2 317 Share Umesh Kumar Sharma 9 Jul 2020 · 1 min read टेढ़ा मेढ़ा विकास इलाके मे, जल और कचरे के निकास के लिए जब नालियाँ सड़क के दोनों ओर चलने लगी, तो कुछ सीधे साधे घरों के बगल से वो भी बिल्कुल सीधी निकली।... Hindi · कविता 1 397 Share Umesh Kumar Sharma 9 Jul 2020 · 2 min read मुखबिरी बात उस जमाने की है जब मैंने मैट्रिक की परीक्षा पास करके बगल के गांव की कॉलेज में दाखिला लिया था। मिजाज में थोड़ी बेफिक्री और आवारगी आने लगी थी।... Hindi · लघु कथा 2 297 Share Umesh Kumar Sharma 9 Jul 2020 · 1 min read बिस्किट का पैकेट पापा ने अभी घर के सामान का थैला बस रखा ही था कि दो बच्चों ने अपने नन्हे हाथो को थैले मे एक साथ डाल दिया। दोनों का हाथ एक... Hindi · कविता 4 3 419 Share Umesh Kumar Sharma 8 Jul 2020 · 1 min read लड़कपन मे प्रथम दृष्टया पड़ोस की छत पर खड़ी दिखी थी तुम, इससे पहले कभी नही देखा था, तो सोचा उनकी रिश्तेदार हो। पहले हमने एक दूसरे को गौर से देखा, फिर आये दिन... Hindi · कविता 4 703 Share Umesh Kumar Sharma 7 Jul 2020 · 1 min read बिके हुए लोग सेना का मोर्चे पर मजबूती से डंटे होने के बाद सारा देश जब सबक सिखाने के लिए एक जुट होकर खड़ा हो गया। तब अचानक यहाँ कुछ लोगों को चीनी... Hindi · कविता 2 4 481 Share Umesh Kumar Sharma 7 Jul 2020 · 1 min read प्रश्न-पत्र मेरे हूँ, हाँ ठीक है!! एक दम, को सुनकर तुम एक पल विस्मित होकर, फिर एक हाथ से दरवाजे की चौखट पकड़कर, जब ये पहला प्रश्न मेरी ओर फेंकती हो... Hindi · कविता 2 489 Share Umesh Kumar Sharma 6 Jul 2020 · 1 min read बात तुमने जब ये कहा, नही,कोई बात नही!! तो फिर बहुत सारी बातों से पूछताछ लाजिमी हो गई। कि किस बात ने किस बात को क्या कहा? कयूं कहा? कैसे कहा?... Hindi · कविता 1 2 493 Share Umesh Kumar Sharma 6 Jul 2020 · 1 min read शब्द-२ तुम्हारी ताकत, चमक दमक, रुतबे का बखूबी अहसास है मुझे ये भी सच है आज जो कुछ भी हूँ तुम्हारी ही बदौलत हूँ। पर सदियों के तजुर्बे के बाद भी,... Hindi · कविता 2 6 408 Share Umesh Kumar Sharma 5 Jul 2020 · 1 min read शब्द शब्द कतार मे बैठे थे, मैं उस जानिब गुजरा तो हर एक ने इशारा किया, कि ये कहो!! इस तरह कहो!! और मुझको ही कहो!!! कुछ जो, भारी भरकम से... Hindi · कविता 5 2 444 Share Umesh Kumar Sharma 5 Jul 2020 · 1 min read इशारे सुबह तुमने जब मुँह बनाते हुए चाय का कप और अखबार रखा। चाय से निकली तुम्हारे गुस्से की गर्माहट चश्मे पर जाकर बैठ गई। अखबार की लाईने धुंधलाती गई। शायद... Hindi · कविता 1 5 594 Share Umesh Kumar Sharma 5 Jul 2020 · 1 min read दूरियाँ ट्रेन के डब्बे मे, तुम पास बैठे मिले आदतन, तुम्हारी भाषा, वेशभूषा खानपान को, मैं अपने फीते से नाप ही रहा था... कि अचानक हिचकियां आने पर तुम्हारी पानी की... Hindi · कविता 2 331 Share Umesh Kumar Sharma 5 Jul 2020 · 1 min read रोना एक रिश्तेदार की मौत पर उनके घर गया। माहौल गमगीन था। उनके पार्थिव शरीर के आसपास बैठी कई औरतें रो रही थी। वैसे तो उन्होंने अपनी जिंदगी भरपूर जी ली... Hindi · लघु कथा 1 604 Share Umesh Kumar Sharma 4 Jul 2020 · 1 min read कद छत पर खड़े होकर जब राह चलते लोग बौने नजर आये। तब ये अहसास छलका कि मैंने मकान के कद को भी अपने साथ शामिल किया है आज। Hindi · कविता 1 5 425 Share Umesh Kumar Sharma 4 Jul 2020 · 1 min read प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया , तुम अब वैसी नही रही। पहले तुम आमने सामने दिखा करती थी। और नजरो से होते हुए मन मे बैठ जाती थी। तुम मेरी राह तका करती थी... Hindi · कविता 1 4 552 Share Umesh Kumar Sharma 3 Jul 2020 · 3 min read मैं अपनी राय से परेशान था हर एक की किसी वस्तु, व्यक्ति,परिस्थिति, घटना के बारे में एक खास राय होती है। कभी कभी हम उसे जाहिर नहीं करना चाहते । और कभी कभी हमारी सोच ही... Hindi · लघु कथा 3 2 386 Share Umesh Kumar Sharma 2 Jul 2020 · 2 min read पहली बार कविता लिखने का अनुभव बात उस जमाने की है जब मैं आठवीं कक्षा का छात्र था। एक दिन क्लास टीचर ने आकर बताया कि स्कूल की मैगज़ीन छपेगी। छात्रों को अपनी स्वरचित कविताएँ देनी... Hindi · लघु कथा 1 2 374 Share Umesh Kumar Sharma 2 Jul 2020 · 2 min read उपहास एक शादी समारोह में खाने की प्लेट हाथ मे ली ही थी कि पीछे से एक परिचित सज्जन ने आवाज़ दी। कैसे हो? मैंने अभिवादन किया । उनकी नज़र मेरे... Hindi · लघु कथा 3 1 475 Share Umesh Kumar Sharma 1 Jul 2020 · 1 min read माँ माँ वो हर सुबह तुम्हारा बिना अलार्म के उठ कर किचन में खप जाना वहीं से मुझे उठने के लिए आवाज़ देना, मेरी उनींदी आंखों की मिन्नत कि थोड़ी देर... Hindi · कविता 5 2 597 Share Umesh Kumar Sharma 1 Jul 2020 · 1 min read जान पहचान तुम पास से गुजरे तो चेहरे पर हल्की मुसकुराहट बस फैलने को थी तुम्हे भावहीन पाकर आंखे सिकुड़ कर तुम्हे अपरिचित बनाने मे जुट गई। अब ये अजनबीयत कायम रहेगी... Hindi · कविता 1 1 354 Share Umesh Kumar Sharma 28 Jun 2020 · 1 min read बहस आज तुम किसी बात पर उलझे तो मेरी प्रतिक्रिया भी सिर्फ मुद्दे पर न टिक सकी। क्योंकि ये बात तुमने कही थी इसलिए मेरा जवाब तो तुमसे उलट होना लाजिमी... Hindi · कविता 3 2 721 Share Umesh Kumar Sharma 26 Jun 2020 · 1 min read रिश्ता तुम्हारे साथ गुजरे एक एक लम्हे का हिसाब तो नही है मेरे पास। जिंदगी इस तरह सहेज कर तो नही रखी मैंने। किसी रिश्तेदार के मकान में सोफे पर बैठी... Hindi · कविता 2 4 653 Share Umesh Kumar Sharma 29 Jul 2019 · 1 min read ओंस की बूंदों सा वो जिंदगी है हर पल, नवीनता लिए अपनी सारी अल्हड़ता अपना चुलबुलापन कुछ भी तो नही खोया है उसने वक़्त के इस छोर तक बचा लायी है वो सब कुछ... Hindi · कविता 2 2 421 Share Umesh Kumar Sharma 29 Jul 2019 · 1 min read पहला अहसास उसकी मुस्कुराती हुई नम होती आँखें मेरी सुप्त खुशियों को अंदर तक भिगोती रही एक अनजाना अहसास जो कभी था मेरे भीतर शायद बचपन के किसी खिलौने में छोड़ आया... Hindi · कविता 1 492 Share Umesh Kumar Sharma 22 Jul 2019 · 1 min read तुम्हारे आने से ताजगी पहन सिमटा सा मन खुलने लगा है तुम्हारे आने से बिखरता वक़्त ठहरा सा लगता है नई आहट से तुम्हारी आँखों में लहराती एक शाख देखी है आशाओं के... Hindi · कविता 1 350 Share Umesh Kumar Sharma 22 Jul 2019 · 1 min read विरह-५ मेरे घर की आबादी में शामिल है मेरी तन्हाई और हर पल गूँजता एक सन्नाटा निबाह ही लेता हूँ इनके साथ किसी तरह खामोशी से हां, कुछ मचलते ख्वाब और... Hindi · कविता 2 257 Share Umesh Kumar Sharma 22 Jul 2019 · 1 min read विरह-४ शाम ढलते ही तेरे खयालों की चुभन और एक उफनता ख़ालीपन बना जाता है माथे पर एक शिकन रोज की तरह लम्हों की सीढ़ियां बढ़ा लेती है कद अपना बदले... Hindi · कविता 3 2 360 Share Umesh Kumar Sharma 20 Jul 2019 · 1 min read सीमारेखा से परे लहराती शाख से टूटकर पत्ते अचानक उसे बेलिबास कर गए शिकायत जो की दबी जुबाँ में हवाओं से तो बेरुखी से भरी बोली अब तेरे आगोश में वो गर्मजोशी कहाँ... Hindi · कविता 2 205 Share Umesh Kumar Sharma 20 Jul 2019 · 1 min read विरह-3 तन्हा सा आधा अधूरा मेरे फलक का चांद मुँह छुपाए हुए नजरें उठी एक बेसाख्ता हंसी के साथ उसे हाले शरीक देख कर काली घटा के साये परेशां सोचों की... Hindi · कविता 3 253 Share Umesh Kumar Sharma 20 Jul 2019 · 1 min read विरह-2 जिंदगी से बहुत दूर वो एक अलग सा मुकाम जहाँ घिसटते दिन बेख्वाब रातों से मिलकर दिलाशा भी नही देते बस एक अंतहीन चुप्पी साधे अपनी अपनी पारी का इंतजार... Hindi · कविता 3 477 Share Umesh Kumar Sharma 20 Jul 2019 · 1 min read विरह-१ मेरे बिस्तर के उस हिस्से में जहां तेरा बसेरा था अब वहां बिखरे पड़े हैं तेरे ख्वाब मैंने डाल दी अपनी तन्हाई की चादर इस इजाजत के साथ कि जा... Hindi · कविता 4 2 639 Share Umesh Kumar Sharma 19 Jul 2019 · 1 min read नकाबे आ मिलकर ढूंढें एक नया अहसास अपनी नकाबे उतारकर शक्लें बदली सी होंगी पर घबरा मत यही हैं असली अक्स अपने बस परतें उतरी हैं झिझक मत सब कह डाल... Hindi · कविता 1 458 Share Umesh Kumar Sharma 19 Jul 2019 · 1 min read परिभाषित रिश्ते सब कुछ तो मिला जो चाहा था फिर क्यूं बिछता है मन ओंस की बूंदों सा एक नई सुबह की चाहत मे दिलों मे गर्मजोशी कहीं गुम सी हुई जाती... Hindi · कविता 2 420 Share Umesh Kumar Sharma 19 Jul 2019 · 1 min read एक विरह पाती- यूँ भी जो भी लिखा है तुझको ,खयालों की गर्द है हम चैन से हैं भाई , यहां किसको दर्द है ना ये हिज़्र-ए-यार होता, ना ये खयालो ख्वाब होते तो किसे... Hindi · कविता 1 426 Share Umesh Kumar Sharma 19 Jul 2019 · 1 min read गुमशुदा ये हाय हेलो का मौसम, ये तकल्लुफ से भरी बातें बेजान से इस शहर में ,जिन्दादिली सजा है ये लिपे पुते से चेहरे, ये थकी थकी निगाहें रौनक है बस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 277 Share Umesh Kumar Sharma 19 Jul 2019 · 1 min read उदास शाम एक उदास शाम मेरी तरह रोशनी से विदा लेती दो चार कदम बढ़कर मुड़कर देखती आस की नजरों से अनकही हूक दबाये बोझिल सांसें संभालती हांपती, रेंगती शाम की धुंधलाती... Hindi · कविता 2 464 Share Umesh Kumar Sharma 18 Jul 2019 · 1 min read बेटी एक नन्ही सी बच्ची मेरे पेट पर लेट कर नाचकूद कर अपने छोटे भाई की शिकायत का पुलिंदा लेकर मुँह चिढ़ाते हुए खिलखिलाते हुए एक दिन अचानक कद निकाल कर... Hindi · कविता 1 1 331 Share Previous Page 3 Next