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20 Jul 2019 · 1 min read

विरह-2

जिंदगी से बहुत दूर
वो एक अलग सा मुकाम
जहाँ घिसटते दिन
बेख्वाब रातों से मिलकर
दिलाशा भी नही देते
बस एक अंतहीन चुप्पी
साधे अपनी अपनी
पारी का इंतजार

बेतरतीब लम्हे समेटता
अक्सर देखता हूँ
ये सर्द मुलाकात

तब दूर खयालों में
दबे पाँव
नजर आती है एक
चुलबुली सी हंसी
वो रुठ कर होठों
को सिकोड़ने की अदा
और दो नन्ही किलकारियां
जो दे जाते हैं
उदास लबों पर
कुछ पल की हँसी

फिर थके हाथों में
पाता हूँ सनसनी का आभास
और मैं समुंदर की कुछ
बूंदे
उछाल देता हूँ
नीले आसमान की ओर

Language: Hindi
3 Likes · 460 Views
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