Pakhi Jain 152 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Pakhi Jain 4 Dec 2021 · 1 min read बदलते रिश्ते शुभ संध्या स्नेह का धागा, संवाद की सुई और क्षमा की दो बूंद जीवन की चादर में उधड़ते रिश्तों की,तुरपाई कर देती है..! ??जय जिनेन्द्र?? फिर दिसंबर की धूप ढली... Hindi · कविता 2 638 Share Pakhi Jain 4 Dec 2021 · 2 min read अनगढ़ शब्द ,लंबी कविता 15--व्यक्तित्व रहस्य की पर्तों से झांकता ,नेत्र वलय में ठहरता कुछ तो हो सम्मोहित सा करने वाला तन की दीवारों को भेद स्वयं में ही सिमटता अजब आकर्षण बातों में... Hindi · कविता 2 2 475 Share Pakhi Jain 28 Nov 2021 · 3 min read रेडियो रूपक --निर्णय नेपथ्य से पानी बरसने का टिप टिप टिपा टिप संगीत सुनाई दे रहा है साथ ही फिल्मी गाने की आवाज भी जो कुछ लोगों की आवाजों के बीच दब... Hindi · कहानी 1 601 Share Pakhi Jain 23 Nov 2021 · 2 min read प्रतिगीत गीत तर्ज ...हमने देखी है इन आँखों की .. प्रतिगीत ...सृजन प्रतिगीत ... हम ने देखी हैं तेरे दिल से निकलती आरज़ू, ख़ुद ही छूके इसे आँखों से असकाम न... Hindi · गीत 1 359 Share Pakhi Jain 22 Nov 2021 · 1 min read एक बह्र -दो गज़ल एक बह्र दो रंग #1गज़ल तवारी मश्क़ ए सुखन सादर समीक्षार्थ एक प्रयास 12122 12122 रदीफ ठहरा काफि़या मुहाल कलम का मेरे , कमाल ठहरा न फिर किसी का ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 199 Share Pakhi Jain 22 Nov 2021 · 1 min read डाल अवगुंठन काव्यानुवाद अभिज्ञान शांकुतलम् से उस समय का श्लोक जब शकुंतला आश्रम से विदा हो रही है और सखी अनुसूया उसके साथ है ।मार्ग में विरहाकुल चकवी को देख कर शकुंतला... Hindi · गीत 1 412 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read मैं भारत हूँ--3 : जटा बढ़ाए बंजारा मन ढूढ़ रहा नित ठौर..!! इकतारा बजता टुनटुन मैं भारत हूँ। अतीत के स्वर्णिम पन्नों में बिखरी पुरा संपदा करती गौरव गान मैं भारत हूँ। ललित... Hindi · कविता 1 541 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read मैं भारत हूँ--2 .: रचना-2 गीत गा रही हवा सुहानी इठलाती कहती मैं भारत हूँ । इंद्रधनुष के रंग सजीले आभा बिखराते कहते मैं भारत हूँ। उड़ते पाखी नील गगन कलरव करते कहते... Hindi · कविता 1 272 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read मैं भारत हूँ --1 [04/07, 18:20] ..: मैं भारत हूँ मैं भारत हूँ ,हाँ मैं भारत हूँ अपने ही संस्कारों में घिरा मैं भारत हूँ। नीला नभ ऊपर ,नीचे वसुंधरा हरी शान से लहराता... Hindi · कविता 576 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read फर्क पड़ता है "सुबह आठ बजे से निकली अब तीन बजे आ रही हो?कालेज के बाद दो घंटे कहाँ थी?" मोहित ने पूछा "भाई, देखा तो आपने निर्मल के साथ थी। वही छोड़ने... Hindi · लघु कथा 1 333 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read तुम कौन स्वतंत्र अभिव्यक्ति , तुम कौन .. हरीतिमा की मखमली चादर , श्वेत शफ़्फ़ाक बदन पर काले मोतियों से सजी मेरे ख्बावों ,सपनों को समेटे ... तू कौन ?? फडफडाते पन्नों... Hindi · कविता 1 422 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 1 min read तेजाब की जलन ...तेजा़ब अटैक के परिप्रेक्ष्य में , तेजाब की जलन ^^^^^^^^^^^^^^^ एक दंश .एक चोट और बस गूँजा हाहाकार तुम्हारी अपुष्ट वासना की हुई जब यूँ हार प्यार,इश्क,मुहब्बत ,जज्बात तेरे लिये... Hindi · कविता 444 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 3 min read समीक्षा 30/07/2021 सावन कृष्ण षष्ठी दिन शुक्रवार काव्यांचल परिवार के संरक्षक एवं छंद ज्ञाता आद.अमरनाथ अग्रवाल जी को सादर प्रणाम?? 1फरवरी ,1941 इस दिन जन्म हुआ एक चिंतक,लेखक और कविहृदय ,छंदज्ञाता... Hindi · लेख 471 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 1 min read वेदना पूछते हैं हुआ क्या आज *तुमको* मुस्कुरा देते हैं अधर कहें क्या और कैसे? कितना कुछ है समोया हुआ कहीं कहीं छितरा हुआ सा..। एकाकीपन, बेगानापन जैसे खुद से ही... Hindi · कविता 2 359 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 3 min read बढ़ता ब्लडप्रेशर... आलेख -- बढ़ता ब्लडप्रेशर और बदलता खानपान वर्तमान जीवनशैली जहाँ एक तरफ हाई फाई हुई है वहीं दूसरी तरफ अनेक रोगों का जनक भी बनी है। एक समय था जब... Hindi · लेख 208 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 9 min read स्नेह की तड़प शीर्षक :- स्नेह की तड़प रचना ने कभी पिता का प्यार महसूस नहीं किया था। उसके हिस्से का प्यार उसकी बड़ी बहन रानी को ही मिलता। ऐसा नहीं कि रचना... Hindi · कहानी 565 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 1 min read गीत गीत.. मन चंचल है ,मन व्याकुल है बिखरा बिखरा ,तन आकुल है। तू बनता पतवार अगर तो छूटा नहीं किनारा होता। हम भी होते साथ आज यदि तूने दिया सहारा... Hindi · गीत 1 1 321 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 1 min read आना मन के द्वार मेरे मन के आँगन का , वह झरोखा खुला हुआ है , आओगे तुम!! आना ही होगा, नेह निमंत्रण पड़ा हुआ है। ले आना सर्द मौसम में , कॉफी से... Hindi · कविता 454 Share Pakhi Jain 12 Nov 2021 · 1 min read साँझ मुक्तक फिर साँझ और ,पश्चिम फिर लाल गुलाबी हुआ सर्द सी शाम हुई, पाखी मन फिर फानी हुआ डूबी तन्हाई उदासियों में कोई गमख्वार न था छोड़ के चल दिया... Hindi · मुक्तक 1 1 203 Share Pakhi Jain 12 Nov 2021 · 1 min read बाल दिवस विशेष जय माँ शारदे बालदिवस विशेष श्रम की भेंट चढ़ा है शैशव,कर में फावड़ा ओ पलरिया, जले जब ज्ञान कि ज्योति हे विभु! छौनों से तब छिने कुदलिया। कोस रहे हा!बाप... Hindi · कविता 1 1 255 Share Pakhi Jain 8 Nov 2021 · 3 min read घर नहीं आऊँगा कहानी "मम्मी मैं होली पर नहीं आ पाऊँगा ,ऑफिस से एक दिन की ही छुट्टी मिली है।"बेटे की आवाज में तल्खी थी। "ऐसा क्यों , त्यौहारों पर भी छुट्टी नहीं?क्या... Hindi · कहानी 1 573 Share Pakhi Jain 3 Nov 2021 · 1 min read शब्दसृजन शब्दसृजन शब्द विलोम शब्द सड़क राह ,संपर्क माप अमाप ,छापा आपदा अनापत्ति ,खुशी आपत्ति व्यामोह तकदीर निर्मोह बडवानल कामाग्नि दावानल ज्वाला भँवर कूल ,किनारा बवंडर भँवर अंधड छंद मुक्त नम... Hindi · कविता 1 216 Share Pakhi Jain 2 Nov 2021 · 1 min read अंतर्द्वंद नमन माँ शारदे! विषय:- #अन्तर्द्वन्द ===================== टिकी निगाह क्षितिज पर ,सवालों के नभ में दायित्वों का बोझ बंधा ,क्यों नारी आँचल में। गर्भ से लेकर मरण तक ,देती परीक्षा हर... Hindi · कविता 1 2 254 Share Pakhi Jain 30 Oct 2021 · 6 min read उत्सव शीर्षक:–उत्सव “साथी रे गम नहीं करना ,जो भी हो आहें न भरना । ये जीवन है इकतारा,इसका हर सुर प्यारा..।” “कभी चुप भी रहा करो।जब देखो तब गुनगुन,हँसना ,खिलखिलाना..।”पायल को... उत्सव - कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 5 480 Share Pakhi Jain 30 Oct 2021 · 7 min read उत्सव जिंदगी कितने रंग दिखा सकती है ,कोई नहीं जानता। पल में धूप तो पल में बारिश। कभी कभी अचानक कुछ ऐसा भी घट जाता है कि यकीन करना भी मुश्किल... उत्सव - कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 5 378 Share Pakhi Jain 27 Oct 2021 · 3 min read संस्मरण पारलौकिक शक्तिया दो-तीन घटनाएं याद आती हैं। जिनसे हम स्वयं रु-ब-रु हुये हैं। एक घटना है जब हम उन्नीस -बीस साल के थे। मम्मी के देहाँत के बाद अंतिम क्रिया... Hindi · लेख 2 232 Share Pakhi Jain 26 Oct 2021 · 2 min read पुरुष विमर्श शीर्षक:-- पुरूष विमर्श ◆◆◆◆◆◆◆ पारूल कुछ लिखना चाह रही थी पर समझ न आरहा था क्या लिखे।कभी कभी लगता था कि शब्द जैसे रूठ गये ।यूँ ही बेमन से मोबाइल... Hindi · लघु कथा 2 909 Share Pakhi Jain 26 Oct 2021 · 1 min read पगडंडियां गाँव की पगडंडियां विधा- छंदमुक्त,स्वतंत्र बोली- हिन्दी- देशज 27.03.2018 को लिखी गयी कविता ============= कच्ची पक्की धूर सी गलियाँ लगती थी सुहानी सी गलियाँ एक मोड़ से खतम तो मिलती... Hindi · कविता 1 444 Share Pakhi Jain 26 Oct 2021 · 1 min read हरसिंगार -२८/०४/ २०१९को लिखी शेफाली (हरसिंगार)पर कविता छंदमुक्त ,स्वतंत्र ●●●●●● तेरे सुर्ख लबों से जब ,हरसिंगार झरे , महके खुश्बू से तेरी फिजाँ जवाँ लगे। गुलज़ाफरी,कहूँ या शेफा़लिका तुमको, शिवली बन... Hindi · कविता 1 212 Share Pakhi Jain 26 Oct 2021 · 1 min read मिटाना है शुभ साँझ यूँ ही ...चलते चलते मुमकिन सब है यहाँ , यह किसे बताना है आदतों का गुलाम , आज तो जमाना है। झुकने की नहीं आदत , झुकाना सीख... Hindi · कविता 1 484 Share Pakhi Jain 21 Oct 2021 · 1 min read गीत जय माँ हंसासिनी मन के उद्गार कमल कदम ,सिंह आसन कर वीणा ,पुस्तक, शासन श्वेतांबरा ,पद्मासना ,माँ भवानी सुन ले पुकार तू है अंबे रानी ...। करुणा की सागर मैया... Hindi · गीत 1 220 Share Pakhi Jain 21 Oct 2021 · 2 min read बंद दरवाजा शीर्षक बंद दरवाजा- ◆◆◆ "कितने लोगों से मिली आज ?"अंतर्मन ने पूछा "तुझे नहीं मालुम क्या जो मुझसे ही जानना है?"जैसे झुंझला गयी अक्सा । "मालुम है ,तभी तो पूछा।सच... Hindi · लघु कथा 1 531 Share Pakhi Jain 13 Oct 2021 · 1 min read गुलाब प्रतीक रहा मन की कोमलता का , भावनाओं के प्रस्फुटन का, मन की नम भूमि पर , अँकुआती अभिव्यक्ति का। बना प्रतीक भिन्नता का कभी सुख-समृद्धि का। पूंजीवादी सभ्यता का... Hindi · कविता 2 2 192 Share Pakhi Jain 13 Oct 2021 · 1 min read दीप और बाती बन वर्तिका खुद ही जलती रही दर्द दीप का ,तूलिका लिखती रही। तपता रहा पूरी विभावरी जो, लड़ता रहा खुद से ,सोचता रहा। निशीथ संग युद्ध इस कदर वह किस... Hindi · कविता 2 2 323 Share Pakhi Jain 12 Oct 2021 · 1 min read ओ अंबे मैया शुभ दिवस जय माता दी हंसासिनी,पद्मासिनी हस्तखड़ग,मर्दांगिनी।। अम्बे,जगदम्बे भवानी गौरी ,तू ही कात्यायनी।। तेरा करूँ कैसे गुणगान ।हो ओ अंबे मैया ,जग दंबे मैया तू ही सँवारे बिगड़े काम।हो दर... Hindi · कविता 1 255 Share Pakhi Jain 12 Oct 2021 · 2 min read विवशता की कीमत शीर्षक विवशता की कीमत- ◆◆◆ "कितने की है यह मूर्ति ?" "सा'ब जी ,पाँच सौ रुपये की।"निरीह कातर स्वर उभरा "क्या..?लूट मची है क्या ?ऐसा क्या है तेरी इस मूर्ति... Hindi · लघु कथा 1 282 Share Pakhi Jain 11 Oct 2021 · 3 min read रावण दहन की प्रासंगिकता ?????? जय माँ वाग्वादिनी ????? ????? अश्विन सुदी छठमी ????? तारीख11अक्टूबर सन् 2021,दिन सोमवार ????????????? अषाढ से भादों माह तक हुई बारिश के बाद क्वार मास का कृष्ण पक्ष पितृ... Hindi · लेख 1 2 646 Share Pakhi Jain 10 Oct 2021 · 1 min read कोठों की कैदी कुकुभ छंद 16-14 अंत में दो गुरु करुण रस शीर्षक -कोठों की कैदी प्राणहीन सी पड़ी हुई थी , देख कर वो मुस्कुराया । अपने ही पौरुष पर उसको ,कितना... Hindi · गीत 2 406 Share Pakhi Jain 10 Oct 2021 · 2 min read कन्या पूजन नमन मंच दिन रविवार विधा गद्य विषय कन्या पूजन का औचित्य आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ आज कन्या पूजन एक विसंगति बन कर रह गया है।कोई इसे सार्थक,तार्किक... Hindi · लेख 1 2 260 Share Pakhi Jain 9 Oct 2021 · 1 min read मचल पड़ी तिमिर को चीर ,रवि रश्मि निकल पड़ी। मंद स्मित देखो ,कलरव को मचल पड़ी। कोलाहल खग वृंद करते,पाखी नभ छू रहे। खनखन खनकते कँगना,अँगना में गूँज रहे। नखरीली पायल निगोड़ी,,पल्लू... Hindi · गीत 2 343 Share Pakhi Jain 9 Oct 2021 · 1 min read आये क्यों थे जाना था यूँ रुठ कर ,पास इतने आये क्यों थे? सुला दिये थे अहसास सभी,जगाए क्यों थे? बेशक न थी जिंदा,पर जी तो रहे थे यारा, रंगहीन चित्र में रंग... Hindi · मुक्तक 1 164 Share Pakhi Jain 9 Oct 2021 · 1 min read मन ललक रहा मुक्तक अश्क पूरित नैन हैं,दर्द ये क्यूँ छलक रहा। हो कौन मेरे,रिश्ता क्या,मन क्यूँ तड़प रहा। घेरे उदासियाँ तुझे क्यों इस तरह ,हक क्या, जानने को आकुल यह मेरा मन... Hindi · मुक्तक 1 221 Share Pakhi Jain 9 Oct 2021 · 1 min read विद्याधारी छंद मापनी .. 222 222 222 222 कारे-कारे गेसू तेरे लूटे चैना, जागे-जागे नैना,सोई-सोई रैना। गोरी तेरी भोली बातें ,झूठा वादा। काली आँखें झूठी आँसू आये ज्यादा।। पानी की धारा सी... Hindi · गीत 460 Share Pakhi Jain 9 Oct 2021 · 1 min read एक शाश्वत मौत.. फिर वही झील में कंकड़ उछाल कर तेरा जाना। और मैं सिहरती रहती हूँ देर तक उन्हीं कँपकपाती लहरों की तरह। जो छपाक् से फेंके कंकड़से झनझनाती रहती हैं देर... Hindi · कविता 2 172 Share Pakhi Jain 8 Oct 2021 · 2 min read विदाई शीर्षक--विदाई..... "बिट्टू,उठ बेटा...देर हो रही है.।" "सोने दो न मम्मी.." दामिनी के पल्लू को अपनी मुट्ठी मेंकसते हुये बोली बिट्टू। "तूझे कैसे समझाऊँ,मेरी लाडो ...अगर तुझे आज सोने दिया,तो तू... Hindi · लघु कथा 1 284 Share Pakhi Jain 8 Oct 2021 · 5 min read नवरात्रि लेख हो.सकता है मेरे इस आलेख से आप सभी सहमत न हों। नवरात्रि और दशहरा पर मेरे स्वप्रेरित विचार ~~~~~~~~~~~ शुभ संध्या मित्रो जय माँ शारदे विजय दशमी की हार्दिक अनंत... Hindi · लेख 2 2 244 Share Pakhi Jain 8 Oct 2021 · 1 min read नटवर नागर कहलाए गीत ****************** रखकर वंशी निज अधरों पर श्याम मंद-मंद मुस्काये। सोचे,बजाऊँ धुन कौनसी , नील कंठ को हरषाये। एक द्वंद छिड़ी है कान्हा के मन-मस्तिष्क के बीच मन-मुकुर झलकत है... Hindi · गीत 2 4 420 Share Pakhi Jain 5 Oct 2021 · 3 min read काव्य रत्न जय वीणावादिनी 05/10/2021 "पाखी_मन की बतियाँ" काव्य रत्न लेखक :-अमरनाथ अग्रवाल ,लखनऊ अग्रवाल समाज के कुछ कवियों को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है जिनमें से शकुंतला जी को... Hindi · लेख 1 2 406 Share Pakhi Jain 30 Sep 2021 · 3 min read योजक चिह्न वर्तनी का प्रयोग जय माँ शारदे विराम चिह्न --1 यह आपने अपने स्कूल में पढ़ा होगा । कोई भी पाठ पुराना नहीं होता। पुनरावृति का आशय मात्र सीखना है। और... Hindi · लेख 2 2 463 Share Pakhi Jain 29 Sep 2021 · 2 min read साहित्य में बढ़ता स्तरहीन रचनाकर्म बढ़ता स्तरहीन रचनाकर्म साहित्य का सीधा ,सरल अर्थ है सा+हित ..यानि वह लेखन या पुस्तक जिसमें हित की बात शामिल हो । हित --परिवार का,समाज का,शहर-नगर कादेश का,राष्ट्र का ,... Hindi · लेख 5 9 316 Share Previous Page 3 Next