ओ अंबे मैया
शुभ दिवस जय माता दी
हंसासिनी,पद्मासिनी
हस्तखड़ग,मर्दांगिनी।।
अम्बे,जगदम्बे भवानी
गौरी ,तू ही कात्यायनी।।
तेरा करूँ कैसे गुणगान ।हो
ओ अंबे मैया ,जग दंबे मैया
तू ही सँवारे बिगड़े काम।हो
दर पे तेरे जो भी आता
शीश झुका के सब पा जाता।
तेरी कृपा पे टिका संसार ।हो
ओ अंबे मैया ,जगदंबे मैया
तू ही बनाये बिगड़े काम। हो
वर्ष में दो बार सजे दरबार
दीन दुखी तेरी करते पुकार
तू तो है जग जननी मैया ,
पूरी करती आस,नाव खिबैया
भरती सभी के तू भंडार ,हो
ओ अंबे मैया ,जगदंबे मैया
बिगड़े,बना दे मेरे काज।हो
आई न कभी तेरे दर पे मैया
मेरी पीड़ा तू समझती है मैया
फल पुष्प क्या भेंट में लाऊँ
करूँ श्रृंगार या चुनरी उड़ाऊँ
नहीं जानूँ विधि,जपूँ तेरा नाम ।हो
ओ अंबे मैया,जगदंबे मैया
हो गयी सुबह से अब शाम ।
दे दर्शन पूरी कर आस रे।
ओ अंबे मैया….।
मनोरमा जैन पाखी
भिंड,मध्य प्रदेश