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5 Oct 2021 · 3 min read

काव्य रत्न

जय वीणावादिनी
05/10/2021
“पाखी_मन की बतियाँ”

काव्य रत्न
लेखक :-अमरनाथ अग्रवाल ,लखनऊ

अग्रवाल समाज के कुछ कवियों को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है जिनमें से शकुंतला जी को छोड़ सब से परिचय हो चुका है।
किसी व्यक्ति विशेष को जानना ,आंकलन करना और फिर उनके कृत्यों की समीक्षा करना आसान काम नहीं है।पर अमरनाथ सर ने यह कर दिखाया ।इसम़े आपका श्रम ,लगन और समर्पण सभी दृष्टिगोचर होता है।
इसी क्रम में दो अन्य कवियों को स्थान दिया है जिनमें सर्वप्रथम आद.संजीव वर्मा सलिल जी हैं जिनसे रू-ब-रू मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ पर उनके क्रिया कलापों ने सहज ही एक सम्मानित स्थान बनाया है।
31अगस्त-2019को पूरी हुई इस पुस्तक का विमोचन सात अगस्त ,2020 को लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यालय के सभामंडप में लगभग 200 कलमकारों की उपस्थिति में हुआ था।
यह पुस्तक तभी प्राप्त हुई थी और तब प्रथम दृष्ट्या इसे पढ़ा था। मन की बात लिखने में संकोच हुआ ।क्यों कि कहाँ आकाश कुसुम और कहाँ हम जंगली फूल। कोई बराबरी ही नहीं। फिर यह पतली सी पुस्तक अन्य पुस्तकों के बीच दब कर खो सी गयी। मैं खोजती रही। आज यह पुनः हाथ आई तब इसे पुनः पढ़ा। दुबारा पढ़ने पर आद. अमरनाथ सर के कलम कौशल से विस्मृत रह गयी।
. . सच कहा है कि कलम में वह ताकत है जो किसी को चाहे शिखर चढ़ा दे और किसी को चाहे नींव में झुका दे।
पुस्तक में सात रत्नों को खोज कर गहन चिंतन के साथ स्थान दिया है।
बात करें प्रथम परिचय की तो आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी का गंभीर परिचय मिला जिनसे उन्हें समझना बहुत सरल हो गया। उनके द्वारा संपादित दोहा सलिला की जिस तरह बारीकी से समीक्षा की गयी है वह अन्यत्र मिलना मुश्किल है।साथ ही उनके द्वारा सृजित चर्चित पुस्तक काल है संक्राति का भी गहन विवेचन प्रस्तुत किया है।काल है संक्रांति का पुस्तक में जहाँ एक तरफ लीक से हटकर कुछ नया है तो नव परंपरा कायम करना।अक्सर माँ शारदे की वंदना के पश्चात लेखक की रचनाऐं शुरु हो जाती हैं पर यहाँ माँ शारदे के साथ ही भगवान चित्रगुप्त जी और अपने पूर्वजो(पुरखों)को भी विनयांजलि अर्पित की गयी है।
फिर रिश्तों को स्थान दिया तो बहन याद आई। बहुत ही सुंदरता से बहन द्वारा प्रदत्त उपहारों को प्रतिमानों से जोड़ा गया है तो वहीं माँ से बालसुलभ शिकायत भी की है। आपके द्वारा सलिल जी की इस पुस्तक को बहुत ही तीक्ष्ण नज़र से देखा गया है। निःसंदेह पढ़ने को प्रेरित करती है आपके द्वारा की गयी व्याख्या।
इसी क्रम में डा.निधि अग्रवाल ,झांसी जी के बावत् आपकी लेखनी ने परिचय समेटा है।यद्यपि परिचय संक्षिप्त है परंतु उनका व्यक्तित्व झलक उठा है।झांसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ा स्थल है ओर करगुआँ जी धार्मिक महत्व का क्षेत्र और दोनों स्थानों से परिचित हूँ। गद्य के क्षेत्र में उनका लेखन अति उत्तम है और शीघ्र ही उनकी कहानी संग्रह मुझे प्राप्त होगी।
अगले क्रम में डा. रजनीअग्रवाल जी का विस्तृत परिचय है ।जो उनके व्यक्तित्व का विहंगम सौंदर्यबोध कराता है।
शकंतला अग्रवाल जी राजस्थान की उस भूमि से हैं जो धार्मिक आस्था का केंद्र है– देवली ,टोंक।
हाल ही में आपके द्वारा प्रदत्त दो पुस्तकें प्राप्त हुईं।निःसंदेह कलम पर मजबूत पकड़ है तो भावों की गहराई भी।

अंतिम परिचय अलका त्रिपाठी जी का ।कसी काया और स्मित पूर्ण मुखड़ा सहज ही अपनी और आकर्षित कर लेता है। परिचय आज इस पुस्तक से हुआ। निःसंदेह तारीफेकाबिल । इनकी कुछ रचनायें पढ़ी फेसबुक पर ।चलता है चाँद…की फेसबुक पर तारीफ सुनी थी आज आद.अमरनाथ जी के कारण उक्त पुस्तक से भी परिचय हो गया। जिसतरह अलग अलग खंडों में विभाजित कर पुस्तक की समीक्षा की गयी है वह पाठक के लिए मार्गदर्शन का काम करती है।

अस्तु ,बहुत बहुत आभार इस पुस्तक को मुझे सौंपने हेतु। यह पुस्तक लेखन में मेरा मार्गदर्शन करने में अहम् भूमिका निभाएगी, ऐसी आशा है।साथ ही क्षमा प्रार्थी हूँ कि बहुत देर बाद.पुस्तक के बारे में “पाखी_मन” की बात कर सकी।
सभी के लेखकीय उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं।
साथ ही आद. अमरनाथ अग्रवाल सर की भी आभारी हूँ ।उनकी कलम सक्षम है कांच को भी तराश कर हीरा बनाने में ।
मनोरमा जैन पाखी
मेहगाँव, जिला भिंड
मध्यप्रदेश

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 381 Views
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