Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2017 · 1 min read

माँ के लिए बेटियां

?????
मॉ के लिए बेटियां
ईश्वर का दिया हुआ,
वह अनमोल उपहार है,
जिसमें
वह अपना बचपन जीती है,
अपने सपने,
अपना अरमान,
पूरे होते देखती है,
जो उसे नहीं मिला
उसमे पूर्ण होती है।
?लक्ष्मी सिंह ?

2 Likes · 544 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
स्मृतियाँ  है प्रकाशित हमारे निलय में,
स्मृतियाँ है प्रकाशित हमारे निलय में,
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
देख सिसकता भोला बचपन...
देख सिसकता भोला बचपन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कितना प्यार करता हू
कितना प्यार करता हू
Basant Bhagawan Roy
बदलती जिंदगी की राहें
बदलती जिंदगी की राहें
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
जब कभी प्यार  की वकालत होगी
जब कभी प्यार की वकालत होगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"मैं आज़ाद हो गया"
Lohit Tamta
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है....
_सुलेखा.
"नंगे पाँव"
Pushpraj Anant
*मृत्यु : चौदह दोहे*
*मृत्यु : चौदह दोहे*
Ravi Prakash
"ऐ मेरे बचपन तू सुन"
Dr. Kishan tandon kranti
Indulge, Live and Love
Indulge, Live and Love
Dhriti Mishra
इश्क की गली में जाना छोड़ दिया हमने
इश्क की गली में जाना छोड़ दिया हमने
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
💐प्रेम कौतुक-300💐
💐प्रेम कौतुक-300💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
माँ
माँ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
फूल खिलते जा रहे
फूल खिलते जा रहे
surenderpal vaidya
सुबह की चाय है इश्क,
सुबह की चाय है इश्क,
Aniruddh Pandey
जब भी दिल का
जब भी दिल का
Neelam Sharma
कबीर: एक नाकाम पैगम्बर
कबीर: एक नाकाम पैगम्बर
Shekhar Chandra Mitra
जन्मपत्री / मुसाफ़िर बैठा
जन्मपत्री / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
होली कान्हा संग
होली कान्हा संग
Kanchan Khanna
राम जैसा मनोभाव
राम जैसा मनोभाव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
■ बस दो सवाल...
■ बस दो सवाल...
*Author प्रणय प्रभात*
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
Rohit yadav
इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा।
इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
2886.*पूर्णिका*
2886.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Few incomplete wishes💔
Few incomplete wishes💔
Vandana maurya
ऋतु सुषमा बसंत
ऋतु सुषमा बसंत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
पूर्वार्थ
Loading...