आपके कथन से मैं सहमत हूं कि विजयादशमी के दिन रावण दहन का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है । नवरात्रि में नौ दिवस संकल्प पूर्वक व्रत रखकर सकारात्मक भावों को जागृत कर नकारात्मकता नष्ट करने की कामना की जाती है। एवं विजयदशमी के दिन नकारात्मक प्रवृत्तियों जिन्हें राक्षसी प्रवृत्तियाँ कह कर भी परिभाषित किया गया है ; के उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है । यदि हम विस्तृत रूप से इस विषय में विवेचना करें तो हमें यह विदित होगा कि रावण दहन की परंपरा देश के सभी भागों में प्रचलित नहीं है। इसका प्रमुख कारण मुझे प्रतीत होता है कि जिन क्षेत्रों में रामलीला मंचन का आयोजन प्रचलित है वहां पर विजयदशमी का पर्व रावण दहन के माध्यम से रावण संहार प्रतीकात्मक पर्व के रूप में मनाया जाता रहा है। जिसने कालांतर में राक्षसी प्रवृत्तियों के नाश के प्रतीकात्मक पर्व का स्थान ले लिया है। आपके चिंतन प्रेरक विचारों का स्वागत है। धन्यवाद !
आपके कथन से मैं सहमत हूं कि विजयादशमी के दिन रावण दहन का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है । नवरात्रि में नौ दिवस संकल्प पूर्वक व्रत रखकर सकारात्मक भावों को जागृत कर नकारात्मकता नष्ट करने की कामना की जाती है। एवं विजयदशमी के दिन नकारात्मक प्रवृत्तियों जिन्हें राक्षसी प्रवृत्तियाँ कह कर भी परिभाषित किया गया है ; के उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है । यदि हम विस्तृत रूप से इस विषय में विवेचना करें तो हमें यह विदित होगा कि रावण दहन की परंपरा देश के सभी भागों में प्रचलित नहीं है। इसका प्रमुख कारण मुझे प्रतीत होता है कि जिन क्षेत्रों में रामलीला मंचन का आयोजन प्रचलित है वहां पर विजयदशमी का पर्व रावण दहन के माध्यम से रावण संहार प्रतीकात्मक पर्व के रूप में मनाया जाता रहा है। जिसने कालांतर में राक्षसी प्रवृत्तियों के नाश के प्रतीकात्मक पर्व का स्थान ले लिया है। आपके चिंतन प्रेरक विचारों का स्वागत है। धन्यवाद !
धन्यवाद सर ,आपने तार्किक रुप से विचार दिये।