Pakhi Jain 152 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Pakhi Jain 29 Sep 2021 · 1 min read लघुकथा शीर्षक :--गूंज "क्या लगाती हो भाभी,दिन पर दिन.निखरती जा रही हो!सच कहें तो हमें अब जलन होने लगी है।"आँगन में फैलकर बैठी देवरानी बोली "हाँ मम्मी,ताई जी को देख कर... Hindi · लघु कथा 2 4 330 Share Pakhi Jain 29 Sep 2021 · 1 min read पाखी_मन शीर्षक :--अवसर (छंदमुक्त ,स्वतंत्र सृजन) मिला अवसर उन्हीं को था , बने संबंध जिनसे आत्मीय । पंक्ति में पहले आकर भी , रहे खड़े, पीछेछिपे ,दीन हीन । श्रम,उमंग,अंतहीन इंतजार... Hindi · कविता 2 2 387 Share Previous Page 4