Shyam Sundar Subramanian Tag: कविता 565 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Shyam Sundar Subramanian 19 May 2024 · 1 min read रुख़्सत इस शहर की यादगारों को साथ ले चला हूँ , बीते हुए लम्हों का हिसाब साथ ले चला हूँ , रंजिशे, अदावतें छोड़, प्यार साथ ले चला हूँ , सरगर्मी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 68 Share Shyam Sundar Subramanian 18 May 2024 · 1 min read खुली किताब एहसास के पन्नों पर लिखी हुई एक खुली किताब हूँ, गुज़री हक़ीक़त का सिलसिलेवार हिसाब हूँ , यादों की धूल भी कुछ लगी हुई है, साज़िशों से कुछ पन्ने भी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 51 Share Shyam Sundar Subramanian 15 May 2024 · 1 min read समझौता गुज़रे हुए पलों सा एहसास ना कराओ मुझे , पीछे छूट गया जो साथ याद ना दिलाओ मुझे , एक नई राह में सफ़र का आगाज़ कर चुका हूं मैं... Hindi · कविता 1 131 Share Shyam Sundar Subramanian 10 May 2024 · 1 min read आवाहन देश के युवाओं जागो उठो अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य को पहचानो ! आस्था के नाम पर अंधविश्वास के तिमिर से बाहर आओ ! जाति एवं संप्रदाय के नाम पर विघटनकारी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 83 Share Shyam Sundar Subramanian 9 May 2024 · 1 min read ज़िंदगी - एक सवाल रिश्तों का संसार है ज़िंदगी ये , रिश्तों का जंजाल है ज़िंदगी ये , कोई हंस रहा है किसी की ज़िंदगी पे , किसी पर हंस रही है ज़िंदगी ये... Hindi · कविता 91 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read नज़र नज़र से नज़र का असर है , जो इन नज़रों से बेख़बर है , वो एहसास -ए- शु’ऊर से बेअसर है , किसी ने जन्नत देखी है नज़रों में ,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 44 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read ज़िंदगी के सौदागर ज़िंदगी की बोली लगती है , क्या तुम ज़िंदगी खरीद पाओगे ? क्या उसकी कीमत तुम चुका पाओगे ? तड़पते जिस्मो जाँ से बग़ावत करती रूह को क्या तुम मना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 69 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read अपने इंसान दुनिया जीतकर भी अपनों से हार जाता है , कभी-कभी अपनों से जीतकर भी अपने आप से हार जाता है , कभी-कभी उसके अपने ही उसकी हार का कारण... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 2 46 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read तेरे शहर में कैसी चली है अब के हवा तेरे शहर में , हर शख़्स हुआ है ब़दग़ुमा तेरे शहर में , इंसां बन गए हैं फ़िरकाप़रस्तों की कठपुतलियाँ तेरे शहर में ,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 69 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read जी चाहता है वो हुस्ऩ -ए – मुजस्स़म मुमताज़ किसी तआ’रुफ़ का मोहताज़ नहीं, उस नज़र- ए – नाय़ाब को किसी तारीफ़ की दरकार नहीं, इक शोला सा है भड़का , कय़ामत के... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 50 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read मुंतज़िर जिंदगी के इस सफर में मुझे सबने संगे राह समझा, मुझे ठोकर देखकर गुजरते रहे मैं सब कुछ सहता रहा, फर्ज़ से मजबूर ,जज़्बातों से मा’ज़ूर मैं कुछ ना कह... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 74 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read अपने पराए उनके ख़तों को जलाकर देख लिया , उनकी यादों को भुलाकर देख लिया , उनकी तस्वीर को छुपाकर देख लिया , दिल से उनका एहसास मिटता नहीं , ज़ेहन में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 48 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read आरज़ू हसरत नहीं आलीशान महलों की, आरज़ू है इक छोटे से आशियाने की, जो दो दिलों के नूर से रोश़न रहे, जहां दो दिलों का प्यार पले , ज़िंदादिली से ये... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 52 Share Shyam Sundar Subramanian 3 May 2024 · 1 min read चंद पल खुशी के दिल में कुछ अरमान संजोए रखता हूँ , इक एहसास सा महकाए रखता हूँ , वो गुज़रे हसीन लम्हों की यादें , सोज़ -ए – पिन्हाँ जगाती वो बरसातें ,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 39 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read पाक-चाहत कुछ ऐसे होते हैं ,जो दिलो जाँ से अहदे वफ़ा निभाते हैं , कुछ ऐसे होते हैं ,जो भी मरास़िम थे उसे भूल जाते हैं , दौर -ए – इश्क़... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 45 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read क़ुसूरवार ज़िंदगी का खालीपन कुछ रह–रह कर सालता है , सब कुछ हासिल करने पर भी कुछ खाली सा लगता है , ज़िंदगी की दौड़ में औरों से आगे निकलने की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 48 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read कोश़िश मुश्किलें आसान हो जाएंगी ज़रा कोश़िश तो करके देखो ! मुसीबतें सब हल हो जाएगी ज़रा हौसला रखके तो देखो ! इज़्ज़त के मायने समझो ज़रा इज़्ज़त कमाके तो देखो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 41 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read प्यार प्यार की इंतहा नहीं होती , प्यार की ज़ुबाँ नहीं होती , प्यार तो एक ए़़हसास है , जो दिल से म़हसूस किया, और नज़रों से बयां किया जाता है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 55 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read 'आशिक़ी क्या पहली नज़र में प्यार हो जाता है ? जुबाँ गुमसुम रहती है नजरों से इज़हार हो जाता है , दिल से दिल की राह बनती है , ए़हसास ए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 35 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read हिम्मत और मेहनत खोजता क्या है ? अपने हाथों की लकीरों में मुक़द्दर ! वो तो बदलेगा जब होगी तुझमें जुऩूने मश़क्कत ! वक्त से पहले कुछ भी मय़स्सर नहीं होता ! ग़र... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 54 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read कामय़ाबी वह जो खुद महफ़िलों की श़ान था , पर अंदर ही अंदर कुछ परेशान था , दौल़त श़ोहरत इज़्जत सब उसने कमाई , पर इस तरह ज़िंदगी उसको रास़ ना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 63 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read इंसानियत का आग़ाज़ व़क्त बदलते ही हाल़ात बदलते हैं , हाल़ात बदलते हैं माहौल़ बदलते हैं , माहौल़ बदलते ही ए़हसास बदलते हैं , ए़हसास बदलते ही जज़्बात बदलते हैं , जज़्बात बदलते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 49 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read ख़ौफ़ कल रात जब में वापस घर को लौट रहा था ! तब मुझे लगा कि कोई मेरा पीछा कर रहा है ! मुड़ कर देखा तो एक साया नजर आया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 43 Share Shyam Sundar Subramanian 2 May 2024 · 1 min read बे-फ़िक्र ज़िंदगानी किसी को हमारी फ़िक्र नहीं , हम सबकी फ़िक्र क्यों करें ? सब अपने में ही मस्त हैं हम भी , अपने में ही क्यों ना मस्त रहें ? हर... Hindi · कविता 107 Share Shyam Sundar Subramanian 27 Apr 2024 · 1 min read हौसला दिल में बसी कसक को लबों तक आने दो , दर्दे दिल ना छुपाओ मा'रिज़ -ए -इज़हार में आओ , दर्द दिल में छुपाते-छुपाते कहीं नासूर ना हो जाए ,... Hindi · कविता 89 Share Shyam Sundar Subramanian 27 Apr 2024 · 1 min read आत्मवंचना ये क्या दिन देखने को मिल रहे हैं ? हम अपने आप को बातों के छद्म से छल रहे हैं , कभी झूठे वादों के , कभी भविष्य के सपनों... Hindi · आत्मप्रश्न · कविता 1 2 112 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Apr 2024 · 1 min read ज़िंदगी का दस्तूर सूरत ,दौलत , शौहरत , जब तक हैं उतना ही साथ है , वरना साथ का एहसास , बस कहने- सुनने की बात है , वक्त बदलते मरासिम भी बदल... Hindi · कविता · हक़ीक़त 73 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read अस्तित्व पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है ! और शीशे पर पत्थर पड़ते ही , शीशा चूर-चूर बिखरता है ! हर बार शीशे को तोड़कर पत्थर अपनी ह़स्ती जताता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 81 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read पत्थर की अभिलाषा राह पर पड़े पत्थर ने सोचा इक दिन यह भी क्या जीवन है ? नित प्रतिदिन ठोकरें खाता फिरता हूं ! दिशाहीन मैं इधर-उधर लुढ़कता टूटता बिखरता रहता हूं !... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 63 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read संदेश अंतर्मन तिमिर नष्ट हो , जागृत हो आशा किरण , स्पंदित हो सद्भाव , नष्ट हो व्याप्त घृणा विकिरण , प्रेम मुदित मनस बने , संचरित हो सद् विचार ,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 58 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read काव्य भावना किसलय की मुस्कान बनी , मृगनयनी का श्रृंगार बनी , चंद्र किरण चंचल किरणों का वर्णन बनी, नभ आच्छादित नक्षत्र मंडल सौंदर्य भान बनी , रवि आगम प्रकाश पुंजों का... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 73 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read प्रतिशोध क्रोध , वैमनस्य, प्रतिस्पर्धा की उत्पत्ति , विवेक भंजन नकारात्मक संहारक शक्ति , अंतस अनल उत्सर्जित दहन भावना , घृणा प्रेरित विनाशक प्रतिकार कामना , ह्रदय कंटक बनी कष्ट कारक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 92 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read प्रेम प्रेम एक लगन है , इसमें रहते प्रेमी मगन हैं , यह हृदय से हृदय का स्पंदन है , यह बुझाए ना बुझे वह अगन है , यह एक सतत... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 78 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read सत्याधार का अवसान सत्य क्यों इतना प्रतीत निष्ठुर है ? असत्य क्यों इतना प्रतीत मधुर है ? क्यों सत्य सबसे अलग इतना एकाकी पड़ गया है ? क्यों असत्य का साथ देने वालों... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 42 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read जीवन संगीत समय के आगार पर मानव क्षण भर का मेहमान है , सांसों के तार पर रचित जीवन संगीत के धुनों की पहचान है , कभी मिलन ,कभी विरह , कभी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 70 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read संघर्ष संघर्ष जीवन में निरंतर विद्यमान रहता है , जो विभिन्न रूपों में प्रभावित करता रहता है , कभी खुद अपने शरीर एवं मनस से , कभी अपने दृष्टिकोण एवं मान्यताओं... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 51 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read मुस्कान शिशु की स्मित मुस्कान करती हृदय प्रफुल्लित , पलभर में दुःखों को भूलकर मन होता आनंदित , निर्विकार परमेश्वर की वह साकार अबोध कृति , उसमें स्फुरित अपरिमित विकीर्ण वह... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 47 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read जीवन एक मृगतृष्णा जीवन एक मृगतृष्णा है , जिसमें आसक्ति अपनी ओर आकर्षित करती है , आत्मीय संबंधों की विभक्ति अंतर्वेदना निर्मित करती है , स्वप्निल आशाओं ,आकांक्षाओं , अभिलाषाओं के मनस पटल... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 29 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read जीवनमंथन मैं कौन हूं ? कहां से आया था? कहां जाना है? इन सबसे अनिभिज्ञ कुछ पाकर खुश होता, कुछ खोकर दुःखी होता, अपने अहं में डूबा हुआ भ्रम टूटने पर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 53 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read यथार्थ कल्पना लोक में विचरण कितना सुखद होता है , परंतु उस व्योम के बादल छंटने पर यथार्थ का अनुभव दुःखद होता है, हम समझ नही पाते सत्य सदैव कड़वा होता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 58 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read अहं मुँह अंधेरे सवेरे किसी ने मुझे झिंझोड़कर जगाया, उठकर देखा तो सामने एक साए को खड़ा पाया, मैंने पूछा कौन हो तुम? तुमने मुझे क्यों जगाया? उसने कहा मैं तुम्हारा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 38 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read भाव - श्रृंखला समुद्र से विशाल अंतर्मन निहित गतिशील भावनाओं की तरंगें, कभी अभिनव कल्पनाओं विभोर उमंगें, कभी नियति प्रभावित संतप्त मनोभाव, कभी परिस्थितिजन्य असहाय भाव, कभी अंतरतम मनोबल क्षीणता भाव, कभी आत्मविश्वास,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 73 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read अंदर का चोर घर के पिछले दरवाजे से चुपके से घुसने वाला वो कोई चोर नहीं है, वह घर वाला है जिसके दिल में बैठा चोर वही है, यह दिल में बैठा चोर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 60 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 2 min read गौमाता की व्यथा मैं उसे रोज अपने दरवाजे पर आते देखा करता.! कातर दृष्टि से व्यक्त उसकी मूक याचना देखा करता ! उसे कुछ बासी रोटियों से तृप्त आभार व्यक्त करते देखा करता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 77 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read जीवन संवाद एक दिन चींटी ने मधुमक्खी से कहा, तुम्हारे और मेरे जीवन का लक्ष्य परिश्रम है, मैं परिश्रमरत् संघर्षपूर्ण जीवन निर्वाह करती हूं, तुम भी जीवन भर परिश्रम कर मधुसंचय करती... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 67 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read अस्तित्व कभी किसी शिल्पकार की मूर्ति में, कभी किसी चित्रकार की कृति में, कभी किसी कवि की भावाभिव्यक्ति में, कभी किसी गायक के गायन श्रुति में, कभी किसी वादक के वाद्य... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 54 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read आत्मसंवाद एक दिन मन ने प्रज्ञा से कहा, तुम मुझ पर हमेशा लगाम लगाए रखती हो, मुझे अपने मर्जी की नहीं करने देती हो, मैं उन्मुक्त रहना चाहती हूं, अपनी उड़ान... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 47 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read बचपन एक बचपन अपने अधनंगे बदन को मैले कुचैले कपड़ों मे समेटता, अपनी फटी बाँह से बहती नाक को पौछता, बचा खुचा खाकर भूखे पेट सर्द रातों में बुझी भट्टी की... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 43 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read मौन मौन एक मूक भाषा है ! मौन अंतरात्मा की अभिव्यक्ति है ! मौन निशब्द भावनाओं का व्यक्त मूक प्रतिवेदन है ! मौन हृदय से हृदय तक संवेदनाओं का स्पंदन है... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 35 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Apr 2024 · 1 min read मजदूर की अतंर्व्यथा मैं उस बेबस लाचार मजदूर को देखता हूं, जो रोज सुबह सवेरे चौराहे पर इकट्ठी दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ का हिस्सा बनता है, अपनी बारी आने का इंतज़ार करता है,... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 40 Share Previous Page 2 Next