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11 Sep 2024 · 1 min read

ज़िंदा दोस्ती

क्या हुआ ? कैसे हुआ ? कब हुआ ?
समझ ना पाऊं !
एक ही दिन में तू कैसे बदल गया ?
समझ ना पाऊं !

किसी की साज़िश है या ज़माने की फ़ितरत ?
दो दोस्तों में फूट डालने है की जो है बद-निय्यत !

तूने गैरों की बातों में आकर अहदे दोस्ती को
भुला दिया !
दिल से दिल के राब्ते को वहम की आग में
जला दिया !

इक दिन तेरे शक के ये बादल छंटेंगें !
तेरे अपने नज़दीकी भी जब तुझसे दूरियाँ बनाऐंगे !

तब मेरी दोस्ती की तूझे बहुत याद आऐगी !
मेरी यादें तुझे बेचैन कर बहुत रुलाएगी !

उस दिन तू मेरे पास चले आना !
तुझे मेरी दोस्ती का वास्ता कतई शर्मिंंदा ना होना !

तेरे इस्तिक़बाल को मेरी बाहें हमेशा खुली रहेंगी !
सोज़ -ए-दोस्ती मेरे दिल में ताउम्र ज़िंदा रहेगी !

Language: Hindi
98 Views
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