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22 May 2024 · 1 min read

जिन्दगी तेरे लिये

कितने जख्म खाये
कितने दर भटके
ढूँढ़ती रही हर निगाह में तुझे,
करती रही सफर बुझे बुझे,
अन्धेरे में टटोलती रही,
उजाले में तुम्हारी तस्वीर बनाई,
तुझे पाने की चाहत में बेचैन
कई रातें आँखों में गुजार दी
अतीत को याद किया,
वर्तमान को ज़ाया किया,
भविष्य के सपने सँजोये,
आज में,
कदमों को गिनकर तेरी
उम्र का अन्दाजा लगाया,
फिर अचानक भींगती
आँखे मुस्करा उठी,
उन्नीदी सी अहसास में
अपने ही भीतर तुम्हारी झलक पाई,
जिन्दगी तू तो इसी पल में थी,
गुजरते हरेक लम्हें में मुझसे रूबरू थी।
.…….………….पूनम समर्थ (आगाज ए दिल)

Language: Hindi
1 Like · 184 Views
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Books from पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
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