अहसासों की पंखुड़ियाँ
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
पाठकगण मेरा लेखनी अभिव्यक्ति मात्र नहीं है अपितु ये मेरे भीतर आन्दोलित समाज का गतिशील प्रतिविम्ब है जो वक्त के साथ गढ़ता, बदलता और विकसित होता चला गया। इसी बहाव में मेरे अनुभव परिपक्व होते चले गए। मेरी लेखनी के...