आदत से इबादत तक हमारा प्यार आ पहुँचा,
प्रेरणा - एक विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
करके शठ शठता चले
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
शीर्षक - 'शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता'
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
चुरा लेना खुबसूरत लम्हें उम्र से,
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
मैंने ख़ुद को सही से समझा नहीं और
सबकी आंखों में एक डर देखा।
आध्यात्मिक जीवन का अर्थ है कि हम अपने शरीर विचार भावना से पर
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जो हैं रूठे मैं उनको मनाती चली
तबियत ख़राब कर देती है ...
पहले वो दीवार पर नक़्शा लगाए - संदीप ठाकुर