करके शठ शठता चले

मित्रों, सादर समर्पित है कुण्डलिया
विषय-विश्वेश्वर महादेव
करके शठता शठ चले, जैसे कोई भूल।
महाकाल के सामने, सत्य वचन ही मूल||
सत्य वचन ही मूल, सत्य ही बोलो मौला।
छल करके क्या मिला, कपट को जबसे तौला||
कहें प्रेम कवि राय, मुक्ति काशी में मरके|
शिवा सनातन सत्य, ध्यान शिव जी का करके||
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम