व्यवस्था

व्यवस्था
सब बना लेते हैं
दूर जाने वाले भी
छूटकर रह जाने वाले भी..
बात बस प्रभाव की होती है!
कहीं किसी ऑंख में
एक ऑंसू
कंकड़ सा बनकर गड़ने लगता है
तो किसी की ऑंखें
निर्विकार भाव से
प्रतीक्षारत मिलती हैं!
रश्मि ‘लहर’
व्यवस्था
सब बना लेते हैं
दूर जाने वाले भी
छूटकर रह जाने वाले भी..
बात बस प्रभाव की होती है!
कहीं किसी ऑंख में
एक ऑंसू
कंकड़ सा बनकर गड़ने लगता है
तो किसी की ऑंखें
निर्विकार भाव से
प्रतीक्षारत मिलती हैं!
रश्मि ‘लहर’