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19 Aug 2024 · 1 min read

अटूट प्रेम

हे मित्र ! तेरे शब्द बाण मेरे हृदय को चीर गए ,
मेरे अंतस्थ बसे तेरे प्रेम को विखंडित कर गए ,

फिर भी मुझे क्यों आभास होता है ?

मेरे खंड- खंड हृदय में अब भी तू बसता है ,
मेरे तेरे प्रति प्रेम का स्थान कोई नही ले सकता है ,

मेरे प्रेम का स्पंदन तेरे हृदय को
अवश्य उद्वेलित करेगा ,
जब तू अपने शब्दों से मुझे हुए
आघात का पश्चाताप करेगा ,

सच्चे मित्रों का हृदय में प्रेम अनंत होता है ,
जो परिस्थिजन्य आघातों से सर्वदा निरापद होता है।

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