Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Mar 2025 · 1 min read

*सुनिश्चित*

डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त

लौट कर पास मेरे आयेगा हर ख़्याल मेरा ।
सोच से सोच, सोच कर ही मैने है ये बोला ।

कल्पना नहीं ये मात्र मेरी निश्चिन्त रहिएगा।
पहले किया सुनिश्चित फ़िर जाकर ये बोला।

मन को समझने के लिए मन के आचरण को
समझना होगा । आपका मन आपका है,
अकुंश भी आपको ही रखना होगा।

वृति बदलाव और संस्कृति विधान नहीं बदलते दौर बदल जाता है।
ढलती उम्र से पहले इन्सान का अनुभव भीं पक जाता है।

गौर कीजिए हैरान न होइये, सोच से सोच, सोच कर ही प्रतिक्रिया दीजिए।
लौट कर पास मेरे आयेगा हर ख़्याल मेरा ।
सोच से सोच, सोच कर ही मैने है ये बोला ।

मन को समझने के लिए मन के आचरण को
समझना होगा । आपका मन आपका है,
अकुंश भी आपको ही रखना होगा।

पलायन करना या पलायन ले लेना बहुत आसान है, ये जिन्दगी आपकी है । यकीनन।
एक बार ही मिलेगी, यही कायदा है और यही बानगी है। यकीनन।

वृति , बदलाव और संस्कृति विधान नहीं बदलते दौर बदल जाता है।
ढलती उम्र से पहले इन्सान का अनुभव भीं पक जाता है।

लौट कर पास मेरे आयेगा हर ख़्याल मेरा ।
सोच से सोच, सोच कर ही मैने है ये बोला ।

Loading...