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11 Mar 2021 · 1 min read

महामोह की महानिशा जीवन में गहराई है

महामोह की महानिशा, जीवन में गहराई है
आत्म ज्योति स्वरूप शिव को, आवरण रहे छुपाई है
तन मन बुद्धि चित्त अहंकार, वासनाओं का मेला है
छुपा हुआ है शिवत्व, शिव बैठा नित्य अकेला है
अनित्य पदार्थों ने जीवन में, मन पर डाला डेरा है
कैसे अपना शिवत्व जगाऊं, कामनाओं ने घेरा है
जकड़ा हुआ स्वयं बंधन में, मुक्तिपथ को खोज रहा
नहीं शिवत्व जगाया अंतर बाहर बन बन डोल रहा
महाशिवरात्रि की महानिशा, निशा है स्वयं में जाने की
अपने अंतस आत्म स्वरूप, अपना शिवत्व जगाने की
वासनाओं का भेद आवरण, अपने अंतस में जाना है
तनमन बुद्धिचित्तअहंकार, निर्मलकर शिव पा जाना है
स्वयं का कल्याण ही शिव है, महा तत्व पा जाना है

ओम नमः शिवाय कल्याण मस्तु

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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