Mugdha shiddharth Tag: कविता 458 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read मैं डूब गई थी रात ख्वाब के दरिया में मैं डूब गई थी रात ख्वाब के दरिया में किसी ने पलट कर देखा ही नहीं दरिया में कोई रस्सी लाओ लाश निकालो सड न जाए लाश कहीं दरिया में... Hindi · कविता 7 2 380 Share Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read खाली टूटे बर्तन खाली टूटे बर्तनों को मैंने हमेशा गमले का शक्ल दिया छोटे छोटे पेड़ लगाए और शहर में रह कर भी गांव का नकल किया मेरी इस आदत ने खाली जगहों... Hindi · कविता 6 1 364 Share Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read सुबह की धूप सी वो लड़की कितनी तकलीफ में वो रही होगी सुलगती सी बात जाने किस तरह अपने प्राण से कही होगी रौंदा होगा किसी ने ख्वाब में ख्वाब उसके उसी के टीस में कुछ... Hindi · कविता 3 5 335 Share Mugdha shiddharth 16 Dec 2020 · 1 min read तज के अपने अहंकार को तज के अपने अहंकार को आवाज दो उस झंकार को बिन जिसके महल खंडर हुआ पुकार लो उस दिलदार को शम्स को गर कैद करोगे फिर तिमिर से गिला क्या... Hindi · कविता 5 1 646 Share Mugdha shiddharth 15 Dec 2020 · 1 min read तुम देवता उठा लाए थे तुम देवता उठा लाए थे आदमियों में देवता का क्या काम देवताओं को पूजे जाने की चाहत भूख प्यास का उसे रहता कहां है भान देवता देवता के लिए ही... Hindi · कविता 1 1 343 Share Mugdha shiddharth 13 Dec 2020 · 1 min read चुप बैठ गया वो जो मुझको रोने चीखने के लिए बोलता था वो खुद आसमान में जाकर चुप बैठ गया आज ही हमने चुप्पी तोड़ी आज ही जाना सुनने वाला इस जहां को... Hindi · कविता 3 310 Share Mugdha shiddharth 12 Dec 2020 · 1 min read मैं एक दिन खुद को युधिष्ठिर मैं एक दिन खुद को युधिष्ठिर और अपने साहिबों को द्रोपदी करूंगी… और खोज के अरब देशों से लाऊंगी किसी दुर्जेय दुर्योधन को जिसका सुयोधन से संग साथ छूटे कई... Hindi · कविता 3 296 Share Mugdha shiddharth 9 Dec 2020 · 1 min read सुनो ... तुम मेरी जात पे सियासत अब न करो सुनो ... तुम मेरी जात पे सियासत अब न करो अपनी खून से हमने इस मीट्टी को सींचा है बैलों के साथ मिलकर हमने हल कंधे से खींचा है जब... Hindi · कविता 1 5 454 Share Mugdha shiddharth 8 Dec 2020 · 1 min read जिस पय की हमें जरुर हो जिस पय की हमें जरुर हो वो पय हमारे सिरहाने होता यार कुछ और न होता बस एक मयखाना बीच दीवानखाने होता ... ? उसका लम्स मचलता यादों की पेशानी... Hindi · कविता 3 2 287 Share Mugdha shiddharth 7 Dec 2020 · 1 min read उम्र ने लकीरें खींच दी है वर्ना उम्र ने लकीरें खींच दी है वर्ना किसी दर पर हम भी देते धरना शीरीं-फरहाद रहे होंगे कभी कहीं, अरे हम भी खोद देते प्यार का एक झरना ~सिद्धार्थ Hindi · कविता 4 328 Share Mugdha shiddharth 7 Dec 2020 · 1 min read कोई क्यूॅं कर जंग करे दिल की तनहाइयों से कोई क्यूॅं कर जंग करे दिल का ये भी एक दिलकश रंग है इसे भी कोई क्यूॅं कर तंग करे हिज्र के बाहों में अकसर ही... Hindi · कविता 2 462 Share Mugdha shiddharth 7 Dec 2020 · 1 min read जानाॅं एक तुम्हारी याद और यह मांद चांद जानाॅं उसकी गवाही में ख़वाब हुए रेज़ा रेज़ा जानाॅं मैं कहां कहां से समेटूं यादों में कैसे कैद करुं पूरे के पूरे बिखरे... Hindi · कविता 410 Share Mugdha shiddharth 6 Dec 2020 · 1 min read मुक्तक बूंद दरिया का हो या के चश्म का जब से बिकने लगे हैं प्यास ... हर कंठ के घाट पे साहिब सिसकने ने लगे हैं ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 4 528 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read दिल गुनहगार था दिल गुनहगार था ऑंखों ने सजा पाई मैं लैट आई थी ऑंखें जाने कैसे भूल आई तमाम रात उसी की याद में सिसकती रही ऑंखें मैं हाॅंथ उठा के आंसू... Hindi · कविता 1 432 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read दर्द बना है पैरहन मेरा दर्द बना है पैरहन मेरा चेहरा फक्क रहता है उसके ही ख़वाब बूनूंगा ऑंखें मुझ से कहता है पलट कर देखने भर की फुर्सत नहीं जिसको हाय ये दिल उसी... Hindi · कविता 1 260 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read छोड़ दूंगी तुम्हें भी छोड़ दूंगी तुम्हें भी जरा सांसों का साथ तो छूटने दो वो इक गली है जो मेरे दिल के अंदर बिखरा है जहां तेरे यादों का समंदर हर एक बूंद... Hindi · कविता 1 280 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read वो ऑंसू जो पुतलियों पे सूख गए वो ऑंसू जो पुतलियों पे सूख गए उनको तुम खुल कर बह जाने दो उदासी के नील-स्याह सुर्मा को ठहाकों के ऑंच में ही घुल जाने दो रात का अंधेरा... Hindi · कविता 1 357 Share Mugdha shiddharth 4 Dec 2020 · 1 min read हम छोड़ आए हैं तुम को हम छोड़ आए हैं तुम को बस इतना ही पहचानते हैं खुद को जब भी तुम आवाज़ दोगे रोक न पाएंगे खुद को जैसे रोक नहीं पाता पहाड़ जल श्रोत... Hindi · कविता 1 276 Share Mugdha shiddharth 31 Oct 2020 · 1 min read तिजोरियों में गेहूं नहीं उगते तिजोरियों में गेहूं नहीं उगते आसमान से धान नहीं टपकते टपकाने पड़ते हैं लहू धरा में चीरने पड़ते हैं छाती धरा के बोन होते हैं बीज के संग खाब कमोने... Hindi · कविता 1 1 346 Share Mugdha shiddharth 31 Oct 2020 · 1 min read मैं कुछ नहीं समझती मैं समझती हूं कि मैं कुछ नहीं समझती मैं ये भी नहीं समझती कि मैं क्या नहीं समझती मैं दिए के नीचे दुबके अंधेरे को देखती तो हूं मगर तेल... Hindi · कविता 2 370 Share Mugdha shiddharth 31 Oct 2020 · 1 min read हे देवताओं हे देवताओं कभी किसी रात क्यूं नहीं उचटती तुम्हारी नींद जब भूख से बिलखते बच्चे अपनी माॅंओं के सुखी छाती में ढूंढ़ते हैं दूध जिव्हा के सतह पर जीवन रस... Hindi · कविता 2 1 439 Share Mugdha shiddharth 31 Oct 2020 · 1 min read आबाद रहेगी ये गुल ये गुलिस्ताँ आबाद है आबाद रहेगी हमारे नक्स ए खारिज पे भी शादाब रहेगी जब तक रहेगा जीवन और भूख दहर में सरसों के खेतों में तितलियां आबाद... Hindi · कविता 2 374 Share Mugdha shiddharth 30 Oct 2020 · 1 min read मगर कोई नहीं बहुत कुछ कहना था... मगर कोई नहीं पिछली रात के आंगन में मैं रोई नहीं मन आंगन के पिछले हिस्से में एक दरख़्त है टंगे रहे तुम चाॅंद बन के... Hindi · कविता 4 502 Share Mugdha shiddharth 30 Oct 2020 · 1 min read उम्र उम्र का क्या है चलता सूरज है शाम ढले ढल जायेगा वो मुहब्बत ही क्या ____ जो झुर्रियों से शरमाएगा जवां बदन के शाख पे जो खिलते है अक्से नूर... Hindi · कविता 4 2 628 Share Mugdha shiddharth 30 Oct 2020 · 1 min read साईं बदन के शाख पे कुछ तितलियां बैठी थी साईं ... नाम मुहब्बत था, किसी बहेलिए ने उड़ा दी है साईं अब सूखता है बदन ए शाख बुला दो न साईं... Hindi · कविता 3 288 Share Mugdha shiddharth 29 Oct 2020 · 1 min read कभी नींद लेते हैं ये रात के दामन में छिटके अंधेरे कभी नींद देते हैं कभी नींद लेते हैं कभी पलकों पे कच्चे पक्के से ख़वाब बुनते हैं ये रात के दामन में छिटके... Hindi · कविता 3 347 Share Mugdha shiddharth 28 Oct 2020 · 1 min read जा मैं नहीं जाता यादों के घर में लोचा है कोई बात कोई ख्यालात टिक कर रह नहीं पाता इक ये तेरे चश्म के शो'बदे हैं जो कहता है जा मैं नहीं जाता तेरी... Hindi · कविता 3 1 289 Share Mugdha shiddharth 28 Oct 2020 · 1 min read प्राण तुम्हारे आने से भी अब क्या ही होगा प्राण तुम्हारे आने से भी अब क्या ही होगा धरती के नीचे जिस्म फूलों सा खिल रहा होगा तकते थे जो नयन निस दिन राह तिहारे अब नील गगन के... Hindi · कविता 2 507 Share Mugdha shiddharth 27 Oct 2020 · 1 min read मैं मजदूर हूं साहब मैं मजदूर हूं साहब मेरा नक्स हर ज़र्रे में नजर आएगा खाओगे काजू की रोटी या बजाओगे मन्दिर का घंटी हर ज़र्रे में मेहनत मेरा नुमाया हो जाएगा मैं मजदूर... Hindi · कविता 2 468 Share Mugdha shiddharth 27 Oct 2020 · 1 min read मैं जब भी देखती हूॅं मैं जब भी देखती हूॅं ऊॅंची चमकती मिनारे शहर के बीच और सड़क के किनारे सोचती हूं ... खूॅं जिनका पसीना बन इंट पत्थरों में घुल गया वो सोते क्यूं... Hindi · कविता 3 284 Share Mugdha shiddharth 27 Oct 2020 · 1 min read रात के दलदल में न जाने कब मेरे नींद धंस गए रातों के दलदल में न जाने कब मेरे नींद धंस गए हम जागते में भी तेरे ख़्वाबों के जंगल में फंसे गए जाने किस किस से कब तलक झूठ बोलेंगे... Hindi · कविता 2 296 Share Mugdha shiddharth 26 Oct 2020 · 1 min read दवा जिस दवा के इस्म में हर्फ़-दर-हर्फ़ तेरा इस्म-ए-अज़ीम न आता था मैंने वो दवा नजाकत से उठाई और खिड़की से फेंक दी ~ सिद्धार्थ इस्म = नाम Hindi · कविता 3 453 Share Mugdha shiddharth 26 Oct 2020 · 1 min read खेत से बिछड़ने का वक़्त नजदीक हैं पीले पड़ते अपने बदन के कमरे में थकी थकी सांसों को मुट्ठी में भींचे उतरी जब खेत की मेड से नीचे धान के जर्द होते बाल ने फुसफुसाते हुए मेरे... Hindi · कविता 2 318 Share Mugdha shiddharth 26 Oct 2020 · 1 min read मेरे बस में नहीं तुम से दूर जाना "जानाॅं" मेरे बस में नहीं चश्म के दरिया को सूखाना धूप के ज्यूॅं बस में नहीं जिस्म से गर लिपटे होते दम भर में नोच फेकती... Hindi · कविता 4 1 328 Share Mugdha shiddharth 25 Oct 2020 · 1 min read सोचती हूं ... सोचती हूं ... भूल जाऊं तुम्हें भूल जाती हूं जैसे ऑंख के आंगन में उतरे ख़वाब सहर होते ही वैसे सोचती हूं ... मिटा दूं मानस पटल से तुम्हें ठीक... Hindi · कविता 2 263 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2020 · 1 min read वो छैला है पुर्दिल चांद गगन का वो जो दूर गगन में दागदार सा चांद है न मुझको उसी को तकना है शफ़्फ़ाक दरिया का चांद तुम रख लो मुझ को क्या उसका क्या करना है शीशे... Hindi · कविता 3 252 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2020 · 1 min read वो शख्स वो शख्स ... फूल था या धूल था ना मालूम क्या था वो आ बैठा जबसे मेरे जिस्त ए किताब में महकता भी रहा बहकता भी रहा वो कभी गर्द... Hindi · कविता 4 347 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2020 · 1 min read लब ए बाम लब ए बाम पे आज फिर माहताब न आया सितारों से सजा फलक आज मुझे फिर न भाया बैठी रही में दरिया किनारे खुद को भींच हाय मलाह ने फिर... Hindi · कविता 2 1 238 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2020 · 1 min read चांद उतर गए सारे दिलकश रंग दिन के आंगन से रात के गोद में खेलतें है रंग मेरे काजल से मैं वो इनसा नहीं जिसे देखा गया था हंसते हुए मैं... Hindi · कविता 2 1 258 Share Mugdha shiddharth 21 Oct 2020 · 1 min read इश्क जाते हुए इश्क को कौन रोए पैहम बारिश की पहली बूंद थी मेरी मिट्टी में गिरी और मिट्टी हो गई मुझ से लिपटी थी दो पल के लिए मेरे अंदरू... Hindi · कविता 2 1 252 Share Mugdha shiddharth 21 Oct 2020 · 1 min read प्रेम की हत्या मैंने खुद को कई बार पकड़ा है खुद में ही तांका झाकी करते हुए कितनी ही बार मैंने खुद की कलाइयां मडोडी और पूछा है खुद से ये किस की... Hindi · कविता 2 443 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2020 · 1 min read तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं हाथ बढ़ाऊं भी तो कैसे हाथ मेरे छोटे हैं मैं उसके नाम का ख़वाब देखूं भी तो कैसे मेरी ऑंखों के... Hindi · कविता 2 1 617 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2020 · 1 min read चाॅंद चाहने से भला चाॅंद कब हुस्न के जुड़े में सजता है अबोध मन चाॅंद की परछाईं को भी अपना समझता है शाम के मुहाने जब दिन सूरज से बिछड़ता है... Hindi · कविता 3 1 392 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2020 · 1 min read ऑंखों से मेरे अब ख़ूनाब रीस्ते हैं ऑंखों से मेरे अब ख़ूनाब रीस्ते हैं लबों पे अब गम ए मुस्क दहकते हैं बूझ गए है चाॅंद सितारे फलक पे फिर भी तेरे याद के जुगनू मेरे ख्वाब... Hindi · कविता 3 380 Share Mugdha shiddharth 15 Oct 2020 · 1 min read सिसकता गम कितनी हसरत से मांगी थी दुआ मैंने न देखूं कभी भी सोगवार तुझे ये क्या और क्युं हो गया जानाॅं तेरे रात और दिन में दिखे गम ए दरार मुझे... Hindi · कविता 3 253 Share Mugdha shiddharth 15 Oct 2020 · 1 min read वक़्त लगता है मेरी जाॅं इस जहां से जाते जाते वक़्त लगता है मेरी जाॅं इस जहां से जाते जाते वक़्त होता तो तेरी पेशानी पे इक बोसा हम लुटाते जाते वक़्त की टहनी पे भूख लगे हैं और पत्ते... Hindi · कविता 3 333 Share Mugdha shiddharth 25 Sep 2020 · 1 min read अभी नहीं मरूंगी मैं धमनियों में बहते दर्द के चिकनी ढलान पे जब खोजती हूं मैं … अपने ही देह को जो गड़ मड हो गया है दर्द के फ़र्द में दर्द को पहने... Hindi · कविता 3 2 439 Share Mugdha shiddharth 23 Sep 2020 · 1 min read जब आप सुबह उठ कर जब आप सुबह उठ कर और रात सोने से पहले पेट को महसूस करते हुए रशोई की ओर देखते हैं खोजते हैं रशोइ की मालकिन को असल में आप खोज... Hindi · कविता 2 230 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read जो नारे लगा रहे थे जो नारे लगा रहे थे जो नारे लगवा रहे थे उन दोनों का पेट भरा था जो चुप थे ... हाॅंथ बांधे सब देख रहे थे वो भूखे थे ....... Hindi · कविता 3 1 280 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read सोचती हूं सोचती हूॅं ... जिस दिन ये किसान सौंप देंगे धरती को अपना फावड़ा और हसूआ और देह के कब्र में दफना देंगे मिट्टी का मिट्टी से प्यार को क्या धरती... Hindi · कविता 4 2 282 Share Page 1 Next