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शाम को सुबहे चमन याद आई , किसकी खुश़बू – ए- ब़दन याद आई , दिन श़ुआओं मे उलझते गुज़रा , रात आई तो किरन याद आई , चांद जब दूर उफ़क में डूबा , तेरे गेसू की थक़न याद आई ,
श़ुक्रिया !
शाम को सुबहे चमन याद आई ,
किसकी खुश़बू – ए- ब़दन याद आई ,
दिन श़ुआओं मे उलझते गुज़रा ,
रात आई तो किरन याद आई ,
चांद जब दूर उफ़क में डूबा ,
तेरे गेसू की थक़न याद आई ,
श़ुक्रिया !