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दर्द के रूप में तुम्हारा मेरे हृदय में वास है , यही मेरी काया का स्पंदन , अस्तित्व का उच्छवास है, जब तक मैं उऋण न हो जाऊँ , जगत से कैसे आत्म मुक्ति पाऊँँ ,
धन्यवाद !
सच … ?
दर्द के रूप में तुम्हारा मेरे हृदय में वास है ,
यही मेरी काया का स्पंदन , अस्तित्व का उच्छवास है,
जब तक मैं उऋण न हो जाऊँ ,
जगत से कैसे आत्म मुक्ति पाऊँँ ,
धन्यवाद !
सच … ?