Mugdha shiddharth Language: Hindi 841 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Mugdha shiddharth 25 Oct 2020 · 1 min read सोचती हूं ... सोचती हूं ... भूल जाऊं तुम्हें भूल जाती हूं जैसे ऑंख के आंगन में उतरे ख़वाब सहर होते ही वैसे सोचती हूं ... मिटा दूं मानस पटल से तुम्हें ठीक... Hindi · कविता 2 283 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2020 · 1 min read वो छैला है पुर्दिल चांद गगन का वो जो दूर गगन में दागदार सा चांद है न मुझको उसी को तकना है शफ़्फ़ाक दरिया का चांद तुम रख लो मुझ को क्या उसका क्या करना है शीशे... Hindi · कविता 3 280 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2020 · 1 min read वो शख्स वो शख्स ... फूल था या धूल था ना मालूम क्या था वो आ बैठा जबसे मेरे जिस्त ए किताब में महकता भी रहा बहकता भी रहा वो कभी गर्द... Hindi · कविता 4 371 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2020 · 1 min read गुल पत्थरों से मिल कर संगसारी करती है उड़ने का हौसला नहीं अब दीवार अच्छी लगती है जीस्त ए सफर में अब उदासी संग संग चलती है हमारे रंगीन लिबास में ही ढूंढो अब एहले खुशी ऑंखों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 222 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2020 · 1 min read लब ए बाम लब ए बाम पे आज फिर माहताब न आया सितारों से सजा फलक आज मुझे फिर न भाया बैठी रही में दरिया किनारे खुद को भींच हाय मलाह ने फिर... Hindi · कविता 2 1 260 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2020 · 1 min read चांद उतर गए सारे दिलकश रंग दिन के आंगन से रात के गोद में खेलतें है रंग मेरे काजल से मैं वो इनसा नहीं जिसे देखा गया था हंसते हुए मैं... Hindi · कविता 2 1 278 Share Mugdha shiddharth 21 Oct 2020 · 1 min read इश्क जाते हुए इश्क को कौन रोए पैहम बारिश की पहली बूंद थी मेरी मिट्टी में गिरी और मिट्टी हो गई मुझ से लिपटी थी दो पल के लिए मेरे अंदरू... Hindi · कविता 2 1 275 Share Mugdha shiddharth 21 Oct 2020 · 1 min read प्रेम की हत्या मैंने खुद को कई बार पकड़ा है खुद में ही तांका झाकी करते हुए कितनी ही बार मैंने खुद की कलाइयां मडोडी और पूछा है खुद से ये किस की... Hindi · कविता 2 498 Share Mugdha shiddharth 21 Oct 2020 · 1 min read प्रेम सापित है ... कुछ लोग वहीं खड़े रह जाते हैैं आजन्म जिस जगह से फूटती है किसी विशेष के मन के छुअन से प्रेम की गंगोत्री ... प्रेम सापित है ... प्रेम में... Hindi · मुक्तक 2 509 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2020 · 1 min read तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं हाथ बढ़ाऊं भी तो कैसे हाथ मेरे छोटे हैं मैं उसके नाम का ख़वाब देखूं भी तो कैसे मेरी ऑंखों के... Hindi · कविता 2 1 719 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2020 · 1 min read चाॅंद चाहने से भला चाॅंद कब हुस्न के जुड़े में सजता है अबोध मन चाॅंद की परछाईं को भी अपना समझता है शाम के मुहाने जब दिन सूरज से बिछड़ता है... Hindi · कविता 3 1 425 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2020 · 1 min read हमने पलट कर जाना तुमको देखना छोड़ दिया हमने पलट कर जाना तुमको देखना ही छोड़ दिया जहाँ से आती थी सदा तुम्हारी उस रस्ते पे पग धडना छोड़ दिया तबसे हम तो खुद के भी सगे न... Hindi · घनाक्षरी 3 1 502 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2020 · 1 min read ऑंखों से मेरे अब ख़ूनाब रीस्ते हैं ऑंखों से मेरे अब ख़ूनाब रीस्ते हैं लबों पे अब गम ए मुस्क दहकते हैं बूझ गए है चाॅंद सितारे फलक पे फिर भी तेरे याद के जुगनू मेरे ख्वाब... Hindi · कविता 3 414 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2020 · 1 min read इक जाॅं है जो बेकरार है तेरी इंतजारी में तेरी एक चुप ने टूटे हुए को और कितना तोड़ा क्या कभी जान पाएगा ? मैंने तिनका तिनका था खुद को जोड़ा बस तेरे दीदार को महफ़िल में चली आती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 220 Share Mugdha shiddharth 15 Oct 2020 · 1 min read सिसकता गम कितनी हसरत से मांगी थी दुआ मैंने न देखूं कभी भी सोगवार तुझे ये क्या और क्युं हो गया जानाॅं तेरे रात और दिन में दिखे गम ए दरार मुझे... Hindi · कविता 3 277 Share Mugdha shiddharth 15 Oct 2020 · 1 min read वक़्त लगता है मेरी जाॅं इस जहां से जाते जाते वक़्त लगता है मेरी जाॅं इस जहां से जाते जाते वक़्त होता तो तेरी पेशानी पे इक बोसा हम लुटाते जाते वक़्त की टहनी पे भूख लगे हैं और पत्ते... Hindi · कविता 3 376 Share Mugdha shiddharth 15 Oct 2020 · 1 min read जागी पलकों पे भी हम उसके राधे थे कितनी रातें जाग के काटी थी मैंने कितने दिन रहे मुझ पे सवाली थे कितने चांद सितारे ऑंखों से नोचे थे मैंने फिर भी दिल का आंगन खाली का खाली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 211 Share Mugdha shiddharth 25 Sep 2020 · 1 min read अभी नहीं मरूंगी मैं धमनियों में बहते दर्द के चिकनी ढलान पे जब खोजती हूं मैं … अपने ही देह को जो गड़ मड हो गया है दर्द के फ़र्द में दर्द को पहने... Hindi · कविता 3 2 491 Share Mugdha shiddharth 23 Sep 2020 · 1 min read जब आप सुबह उठ कर जब आप सुबह उठ कर और रात सोने से पहले पेट को महसूस करते हुए रशोई की ओर देखते हैं खोजते हैं रशोइ की मालकिन को असल में आप खोज... Hindi · कविता 2 249 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read जो नारे लगा रहे थे जो नारे लगा रहे थे जो नारे लगवा रहे थे उन दोनों का पेट भरा था जो चुप थे ... हाॅंथ बांधे सब देख रहे थे वो भूखे थे ....... Hindi · कविता 3 1 302 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read सोचती हूं सोचती हूॅं ... जिस दिन ये किसान सौंप देंगे धरती को अपना फावड़ा और हसूआ और देह के कब्र में दफना देंगे मिट्टी का मिट्टी से प्यार को क्या धरती... Hindi · कविता 4 2 312 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read भूखे लोग भूखे लोग खाली थाली बढ़ाते हैं कि थाली खाली है भरने का उपाय करो फ़कीर लोग उन्हें समझाते हैं खाली थाली बजाओ कि भूख डर कर भाग जाए ऎसा तुम... Hindi · कविता 3 471 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read भाषण जिस देश के लोग भाषण सुनकर ये कहे कि ... "नून रोटी खाएंगे फलाने को जीताएंगे" उस देश के लोगों को कोई अधिकार नहीं कि रोजगार की मांग करे ...... Hindi · कविता 4 296 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक बहुत शोर है वादी में कि आदम भूखा नंगा है मुझे ऎसा लिबास चाहिए भूख जिस में दिखता नहीं ~ सिद्धार्थ फिर तुम मुझे याद आए फिर यादों ने ली... Hindi · कविता 3 251 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read लौट जाना नियति है ... लौट जाना नियति है ... इसे स्वीकार करना कठिन है मगर असम्भव नहीं ... हम सभी लौट जाने के लिए ही आए हैं पेड़, पौधे, बादल, पानी, हम और तुम... Hindi · कविता 5 281 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read पत्ते कभी हरे थे ये पत्ते कभी हरे थे, पेड़ पे लगे थे अब जर्द होकर गिर पड़े हैं समेट रही हूं अन्न पकाने के काम आएंगे ... भूख मिटाने के ये भी सहायक... Hindi · कविता 4 267 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक अब कहीं भी चाय पे चर्चा नहीं होता चर्चा तो होता है अगर्चा चाय नहीं होता ~ सिद्धार्थ भूख से बड़ा कोई भी धर्म नहीं रोटी से बड़ा कोई भगवान... Hindi · कविता 4 292 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read स्त्रियां सीख लेती हैं स्त्रियां सीख लेती हैं बचपन के दहलीज पे ही संभलना और संभालना अपना टूटना, बिखरना भी सब कुछ सीख लिया था मैंने भी ... स्त्री हूं न ... स्त्रित्व के... Hindi · कविता 4 2 345 Share Mugdha shiddharth 13 Sep 2020 · 1 min read चलिए ये भी तो अच्छा ही किया आपने चलिए ये भी तो अच्छा ही किया आपने लोग कहते थे जिसे पागल उसे भुला दिया आपने रोती न थी जो ऑंखें अज़िय्यत ए जिंदगी पर उन ऑंखों को भी... Hindi · कविता 3 243 Share Mugdha shiddharth 13 Sep 2020 · 1 min read माॅं ? माॅं हर बात तुझी से शुरू और ख़तम होती है मगर अफ़सोस तुझी से बात नहीं होती है ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 3 264 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read लोग यूॅं ही मर जाते हैैं लोग यूॅं ही मर जाते हैैं कुछ लोग रोते भी हैं कुछ लोग रोने का नाटक भी करते हैं मगर पीछे कुछ तो छूट जाता है और वही कुछ मरने... Hindi · कविता 5 1 213 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read कोई झंझोरो मुझे कोई झंझोरो मुझे मेरे अंतस् को हिलाओ करो कोई जादू टोना कि मैं खुद में ही अनागत हो रही हूॅं मुझसे मैं ही विदा हो रही हूॅं ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 4 266 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read असमंजस असमंजस ... जाऊं या रुकूं देखूं या फेर लूं ऑंखें उसे क्या चाहिए मेरा रुक जाना ... या चले जाना लहलहाते फसलों से उफनती नदी की ओर बढ़ जाना ...... Hindi · कविता 3 440 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक जुबां लड़खड़ाए तो कोई नई ... लखड़ाने दो जो बात कहनी हो कह दो उसे फ़साने में ~ सिद्धार्थ शब्द सीधे और सरल थे अर्थ मगर कुछ खास था इक... Hindi · मुक्तक 2 333 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक हॅंसीं खूबसूरत थी उसकी वो लड़की से माॅं हो रही थी ~ सिद्धार्थ इस वक़्त के दरम्यान साथी दरारे ही दरारें है जिधर देखो बस भूख ने हाॅंथ अपने पसारे... Hindi · कविता 3 445 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read किसी घोर चुप्पी के प्रहर में हम - तुम मर जाएंगे किसी घोर चुप्पी के प्रहर में हम - तुम और तमाम हमसे जुड़े लोग मर जाएंगे ... एक अफ़सोस के साथ ... कि हमें बोलना था भूख के ख़िलाफ़ हमें... Hindi · कविता 3 2 519 Share Mugdha shiddharth 10 Sep 2020 · 1 min read क्या रोइए ऐसे दुख पे जो आप से आप को लगा है क्या रोइए ऐसे दुख पे जो आप से आप को लगा चलिए उठिए मुस्काइए कि घाव अब रिसने लगा है हमें दरकार थी कि इक बार पुकारे वो हमको हाय... Hindi · कविता 2 249 Share Mugdha shiddharth 9 Sep 2020 · 1 min read कदमों से मुहब्बत को कभी नापा नहीं जाता कदमों से मुहब्बत को कभी नापा नहीं जाता ये वो रोग है जिसका दाग कभी नहीं जाता उनकी मर्जी वो दो चार कदम हाथ पकड़ के चले निभाने का हुनर... Hindi · कविता 4 428 Share Mugdha shiddharth 9 Sep 2020 · 1 min read क्यूॅं रोये ऑंखें मेरी क्यूॅं रोये ऑंखें मेरी और क्यूॅं धोए भला वो खुद को इसकी तो बस इतनी सी तलब देखे ये खुश उसको तारों भरी रात में चाॅंद संध्या के साथ बडा... Hindi · कविता 4 371 Share Mugdha shiddharth 9 Sep 2020 · 1 min read मैंने कभी हाॅंथ उठा कर दुआ नहीं मांगी मैंने कभी हाॅंथ उठा कर दुआ नहीं मांगी न ही कभी किसी मन्दिर में पत्थरों के देवता से कोई आशीष मांगी हाॅं झूठ नहीं कहूंगी कई बार जोड़े थे हाॅंथ... Hindi · कविता 5 2 373 Share Mugdha shiddharth 8 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक खुश रहें सब और क्या ही मेरी मिट्टी चाहेगी मिट्टी उठ कर आखिर मिट्टी को ही तो जाएगी । ~ सिद्धार्थ सभी अच्छे ही हो महफ़िल में ये जरूरी तो... Hindi · कविता 4 1 462 Share Mugdha shiddharth 8 Sep 2020 · 1 min read मैंने तुमको ही तो बस याद किया था ... सड़क से लेकर बाहन तक पटरी से लेकर ट्रेन तक अल्साई फूलों पे बैठी तितली से लेकर फूलों को पानी देते माली तक खाना बनाती औरतों से लेकर पतंग लुटते... Hindi · कविता 4 404 Share Mugdha shiddharth 7 Sep 2020 · 1 min read मैं हो रही हूं ख़राब ख़राब होने दो मैं हो रही हूं ख़राब मुझे ख़राब होने दो आज चाॅंद के कांधे पे सर कर रोने दो सोचती हूं झटक दूं उसको अपनी यादों से खैर छोड़ो जहां है... Hindi · कविता 2 209 Share Mugdha shiddharth 7 Sep 2020 · 1 min read सुखन भला क्यूॅं कर सूख गया सब टोकते है मुझको तेरा सुखन भला क्यूॅं कर सूख गया इक मचलती नदी हर्फों की किस घाट पे जाके सूख गया अब किस तरह कहें किस किस को जाकर... Hindi · कविता 4 234 Share Mugdha shiddharth 7 Sep 2020 · 1 min read क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं मैं तो वो हूं जो तनहाई में भी जाने क्या क्या बकती हूॅं क्या आसान रास्ते से मिली थी... Hindi · कविता 2 382 Share Mugdha shiddharth 6 Sep 2020 · 1 min read क्या ही मांग लेती मैं तुमसे क्या ही मांग लेती मैं तुमसे जब देखना भी मेरा तुम से देखा न गया अब कहते हो कोई देखता ही नहीं जब चश्म ए चिराग़ बूझ सा गया। थी... Hindi · तेवरी 4 1 440 Share Mugdha shiddharth 6 Sep 2020 · 1 min read यार नहीं माना शाइस्ता दिल मेरा बहुत ख़राब है जाना चिंख़ कर कहते हैं हम दिल मानता नहीं जाना। वो दिल मेरा उनकी गली में ही घुमा करता है हर वक़्त दहलीज को... Hindi · कविता 4 283 Share Mugdha shiddharth 5 Sep 2020 · 1 min read खिसिआए हुए हैं हम को मनाओ न हम खिसियाए हुए हैं इन दिनों हम न, तुम से रिसियाए हुए हैं । मान जाएंगे एके गो टॉफी में बालों में हाथ फिराओ न आओ... Hindi · कविता 4 429 Share Mugdha shiddharth 5 Sep 2020 · 1 min read तेरी याद है हम हैं और मय की मुखतारी है तेरी याद है हम हैं और मय की मुखतारी है धुआं धुआं है कमरा और दिल में दुश्वारी है। जाने शराब पी है हमने या पी गया है शराब मुझे... Hindi · कविता 3 408 Share Mugdha shiddharth 1 Sep 2020 · 1 min read इश्क में यार जां से अधिक अज़ीज़ है मसला मुहब्बत का नहीं यार मसले हैं मुहब्बत में सभी समझाइश झेलनी पड़ती है यार मुहब्बत में मुझे बिल्कुल नहीं शऊर रिवायती मुहब्बत की तुम तहज़ीबी लोग ही पढ़ो कलमे... Hindi · कविता 3 481 Share Previous Page 2 Next