Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2020 · 1 min read

क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं

क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं
मैं तो वो हूं जो तनहाई में भी जाने क्या क्या बकती हूॅं

क्या आसान रास्ते से मिली थी मैं तुमको उस पहले दिन
जाने भी दो कोई नई … अब खुद को मुश्किल करती हूॅं।

अच्छा सुनो उस दिन गिरा था पेशानी पे जो इक बोसा
रूह की प्यास बुझी थी लेकिन बदन पे साकित करती हूॅं।

उस मिट्टी की क्या बात कहूं “पुर्दिल” नाम ए – यार से जो महकती है
उसके यादों के कफ़न तले ही चलो उस मिट्टी को मिट्टी मैं करती हूॅं।

~ सिद्धार्थ

साकित : मौन

Language: Hindi
2 Likes · 357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
Mahendra Narayan
"लाभ का लोभ”
पंकज कुमार कर्ण
कभी कम नहीं हो यह नूर
कभी कम नहीं हो यह नूर
gurudeenverma198
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
'अशांत' शेखर
अनहोनी करते प्रभो, रखो मनुज विश्वास (कुंडलिया)*
अनहोनी करते प्रभो, रखो मनुज विश्वास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आसान नहीं होता...
आसान नहीं होता...
Dr. Seema Varma
मईया कि महिमा
मईया कि महिमा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वो गली भी सूनी हों गयीं
वो गली भी सूनी हों गयीं
The_dk_poetry
सविनय अभिनंदन करता हूॅं हिंदुस्तानी बेटी का
सविनय अभिनंदन करता हूॅं हिंदुस्तानी बेटी का
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
23/118.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/118.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शीतलहर
शीतलहर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
लौट कर न आएगा
लौट कर न आएगा
Dr fauzia Naseem shad
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
🙅आम चुनाव🙅
🙅आम चुनाव🙅
*Author प्रणय प्रभात*
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
Rituraj shivem verma
कौन सोचता बोलो तुम ही...
कौन सोचता बोलो तुम ही...
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐प्रेम कौतुक-536💐
💐प्रेम कौतुक-536💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सारी हदों को तोड़कर कबूला था हमने तुमको।
सारी हदों को तोड़कर कबूला था हमने तुमको।
Taj Mohammad
मुस्कुराना जरूरी है
मुस्कुराना जरूरी है
Mamta Rani
Sometimes a thought comes
Sometimes a thought comes
Bidyadhar Mantry
गले लगाना पड़ता है
गले लगाना पड़ता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
केवट का भाग्य
केवट का भाग्य
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
!! रे, मन !!
!! रे, मन !!
Chunnu Lal Gupta
असर
असर
Shyam Sundar Subramanian
मैं गलत नहीं हूँ
मैं गलत नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
कलियुग की संतानें
कलियुग की संतानें
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
पूरी कर  दी  आस  है, मोदी  की  सरकार
पूरी कर दी आस है, मोदी की सरकार
Anil Mishra Prahari
Loading...