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6 Sep 2020 · 1 min read

क्या ही मांग लेती मैं तुमसे

क्या ही मांग लेती मैं तुमसे जब देखना भी मेरा तुम से देखा न गया
अब कहते हो कोई देखता ही नहीं जब चश्म ए चिराग़ बूझ सा गया।

थी कभी मैं भी शायद अपने बदन ए जिंदान में जिंदा सी
अब बदन ए जिंदान में मुहब्बत भी शायद घुट कर मर गया।

किस के कॉल की इंतजारी है जो सांसे चल रही है मेरी पुर्दिल
मैं तो मर गई थी वो तेरे लब्जों का लम्स है जो पुकारता गया।
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 400 Views
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