के.आर.परमाल 'मयंक' 103 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Feb 2021 · 1 min read बिरह का पंछी!! तुम्हारे बिरह की श़मा में जल रहा हूँ, तुम्हारी यादों के संग-संग चल रहा हूँ ! ख़लने लगा हूँ अब दोस्तों को अपने, सोचते हैं वे कि मैं बेढंग चल... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 15 57 967 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 17 Aug 2020 · 1 min read कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं!! उन्मुक्त हो मैं चल नहीं सकता, कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं! अपना कमाया खर्च नहीं सकता, कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं! हक सबका उत्पाद में मेरे, हक जता मैं नहीं... Hindi · कविता 7 6 217 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Jan 2021 · 1 min read *कोरोना गजब ढा गया तू* ओ कोरोना ओ कोरोना, गजब ढा गया तू, सोचा था न कभी किसी ने, जगत छा गया तू ! चला चाइना चाल चुलबुली, मची विश्व में अजब खलबली ! हर... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 759 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Sep 2019 · 1 min read *देश पर जान कुर्बान करूँ* देश पर जान कुर्बान करूँ मैं, जन्म मिले सौ बार अगर, सौ बार मरूँ मैं, पल-पल जीवन, कण-कण तन का, स्वदेश पर न्यौछावर करूँ मैं । पर्वत-सा दृढ़ कर, निश्चय... Hindi · कविता 3 196 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Sep 2019 · 1 min read 'मानवता की ललकार' तुम मरे तो भारतभूमि ने सहर्ष तुम्हें स्वीकार किया । इहलोक से परमलोक तक मानवता का नाम दिया। हमें जिन्दा रहकर भी न जीने का अधिकार दिया ! जिन्दा लाश... Hindi · कविता 3 515 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Oct 2019 · 1 min read माटी के सपूत हे माटी के सपूत! तुम्हें शत-शत नमन, बंजर पड़ी धरा भी तुम बना देते चमन। बाजुओं में जमाने की ताक़त है तुम्हारे । तुम पर ही आश्रित हैं शहर-गांव हमारे... Hindi · कविता 3 595 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Aug 2020 · 1 min read कबहिं खुलेगा स्कूल..! कबहिं खुलेगा स्कूल,पापा कबहिं खुलेगा स्कूल..! अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋषि, ए.बी. सी. गया भूल....! पापा कबहिं ....! वन टू वाली मैडम जी का, चेहरा रहा न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 283 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 21 Jan 2021 · 1 min read 'अनुशासन अच्छा चाहिए' शासन अच्छा चाहिए, अनुशासन अच्छा चाहिए| जीवन सफल बनाना है तो, स्वशासन अच्छा चाहिए|| रहो फ्री ना, करो कोई पेशा, कद्र समय की करो हमेशा| पेशा हेतु भी तो, अनुशासन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 267 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Feb 2021 · 1 min read पुत्रियाँ पितृ अंतर्नोद हैं पुत्रियाँ, मातृ हरित गोद हैं पुत्रियाँ! आकाश से ऊँची, संसार से विशाल, समुद्र से भी गहरी हैं पुत्रियाँ! चाँद सी शीतल, चाँदनी सी उज्ज्वल सूरज सी तेज़,... Hindi · कविता 3 2 454 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Feb 2021 · 1 min read 'सुमंगल जन्म दिवस' जन्म दिवस के सुअवसर पर, मंगल कामना देता हूँ| पूरण हो हर चाह आपकी, अंतरंग सदा दुआएँ देता हूँ|| कष्ट तनिक भी छू न पाएँ, कंटक सब प्रसून बनें| जीवनभर... Hindi · कविता 3 3 303 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Feb 2021 · 1 min read "कहो कहाँ क्या तुमने कमाया!" धन दौलत ज़ायदाद ज़मीन, जगत तुमने क्या खूब कमाया| महल अटारी सदन दुमंजिल, मज़बूरों को बस नाच नचाया| कहो कहाँ क्या तुमने कमाया! रोशन आसमां पहले तुम्हारा, पाई धरा सब... Hindi · कविता 3 2 324 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2019 · 1 min read मुझे नज़र आता है बेटी ! मुझे नज़र आता है बेटी, तुझमें सब संसार। तू शीतल चंदन-सी खुशबू,तू रमणीक बहार।। गर्जन-तर्जन तू बादल-सी,तू बिजली-सा तार। सूरज-सी आभा है तुझमें, शीतलता चंदा-सी। निर्मल गंगा-सी पावन, तू पृथ्वी-सा... Hindi · कविता 2 210 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Oct 2019 · 1 min read 'धरती पुत्र किसान' न धूप कभी विचलित करती, न छाँह कभी आलस भरती। संतोष सदा गहना जिसका, वह देशरत्न कोई और नहीं। वह धरती-पुत्र किसान है। चाहे अतुलित बरसातें हों, सूखे का प्रचण्ड... Hindi · कविता 2 910 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Nov 2019 · 1 min read 'परहित पर परतीति' जल गईं तीलियां सारी, चिंगारी भी न रही, बन गए रिश्ते बेसक, कोई दूरी भी न रही। अवगुण ही हों किसी में ये हो नहीं सकता, गुण खोजने की मुझमें... Hindi · कविता 2 313 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2020 · 1 min read दोगला पंथी रुक जाता हूँ चलते चलते, थम जाती हैं सांँसें। देख दोगला रूप जहां का,मुंद जाती हैं आँखें।। मखमल-सी कोमल वाणी है,और चमकता तेज। अंत: कुटिल कटारी रखते,काले-दिल-निस्तेज।। बहिर्मुखी उमंग लिए... Hindi · कविता 2 366 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2020 · 1 min read अत्याचारी दौर निकल अकेली ना घर से बेटी, साया बाहर शैतानों का। जहाँ फूल झड़ते बातों में डेरा वहीं हैवानों का।। आज दरिंदे औरंगजेब से बदतर सोचें रखते हैं । अपनी हवस... Hindi · कविता 2 1 417 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Jan 2021 · 1 min read *ना करो ऐसा ओ कोरोना !! * *ना करो ऐसा, ओ कोरोना! करो ना!! * दहशत में बैठी है सब जनता, कहते-सुनते कुछ नहीं बनता! दहल रहा जग तेरे डर से, बार-बार है यही निवेदन! भीषण संहार... Hindi · कविता 2 4 275 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Feb 2021 · 1 min read 'सत्ता-प्रहरी' सुना न देखा आज तक, राजा बोबै शूल | सत्तामत्त प्रमुख जी, राज-धरम गये भूल || बनी बनाई मिट गई, राजन सिगरी बात | उँगली ऊँची कर रहे, जिनकी न... Hindi · कविता 2 2 316 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Feb 2021 · 1 min read 'अंतरंग अर्द्धाङ्गनी' अंतर्मन अंतरंग, तुम मेरी जीवन तरंग, पुष्पित नंदनवन, तुम मेरी सुमधुर गंध| अंग अंग सुकांति, अनवरत मेरी शांति, व्योम-क्षिति मिलन, तुम प्रिय विश्रांति| पल पल चहल पहल, तुम मेरी शुभेक्षा,... Hindi · कविता 2 3 314 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Feb 2021 · 1 min read पुलवामा रणवीर नमन हे वीर! तुम्हारा बलिदान, सदा रहेगा याद हमें| नमन हिन्दुस्तान करे, सदा पुलवामा वीर तुम्हें|| आवाम सुरक्षित हे रणवीरो! देश तुम्हारे ही बूते| ताक़त हमारे देश की, हिम्मत तुम्हारे बलबूते|... Hindi · कविता 2 2 281 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Feb 2021 · 1 min read विचरते भावों को फिर पंख देते हैं विचरते भावों को चलो आज फिर पंख देते हैं, गगन में उड़ते पंछी को चलो फिर संग देते हैं| चुरा लें लो गगन सारे, चाँदनी चाँद और तारे, बिखरते चाँद-तारों... Hindi · मुक्तक 2 1 366 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Mar 2021 · 1 min read एक शेर मेरे दूर जाने पर कभी अश्क न बहाना, बिन सोचे-समझे कहीं इश्क न लड़ाना। समन्दर से भी गहरी है मयंक मोहब्बत, थाह की चाहत में व्यर्थ वक्त न गँवाना। ✍के.आर.परमाल... Hindi · शेर 2 483 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 16 Mar 2021 · 1 min read "कनकलता" मंद-मंद मुस्का रही प्रभात किरण की लाली, मूँछों पर दे ताव खड़ी कनकलता हरियाली| चमचम चमके स्वर्णिम गेहूँ हरे खेत की बाली, पीत अम्बरी ओढ़ चुनरिया चले पवन निराली| 'मयंक'... Hindi · कविता 2 1 531 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 22 Mar 2021 · 1 min read बूँद की बलि देख दशा जल की मेरी जान जली, मिला न जल वहाँ मची खलबली| जल की हर बूँद देती अपनी बलि, बूँद ने कहा मैं छोड़ धरा चली||1|| सुन हरी धरा... Hindi · गीत 2 359 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Mar 2021 · 1 min read कोरोना का पुनरागमन लो फिर आ गया कोरोना, स्कूलों की ताला बंदी, बच्चों की मानसिक वृद्धि पर, आज़ादी की ताला बंदी| प्रायवेट शिक्षकों पर फिर आई, बेबाक आर्थिक तंगी| इक तरफा है कहर... Hindi · कविता 2 1 350 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 26 Sep 2019 · 1 min read 'न काँटा-कील होती माँ' मेरे जीवन की धड़कन है, मेरी पलकों की फड़कन है। बरसते बादलों के बीच, बिजली सी कड़कन है। प्यारी माँ रूप सृष्टि का, दिया जीवन ये उपकारी कभी इन्दु सी... Hindi · कविता 1 473 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 26 Sep 2019 · 1 min read 'मलिनता का प्रहार' हो क्या गया जाने निगोड़े समाज को, ताक में रख दी है सारी लोक लाज को। अब शिक्षा - मंदिर भी बचे न सुपावन, देख यूँ हृदय रोये, बरसे ज्यों... Hindi · कविता 1 213 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Sep 2019 · 1 min read 'बेटी' बेटी कुल का चाँद बनेगी, बेटी सुर का तार। उज्ज्वल दीपक बनेगी बेटी, चमकेगा घर -द्वार । गगन गरजना बनेगी बेटी, पृथ्वी-सा आधार । सूरज-सा तेज़ बनेगी बेटी, सरिता-सी निर्मल... Hindi · कविता 1 220 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Sep 2019 · 1 min read 'केसह पताका' वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम्, देश हमारा हिंदुस्तान, बसती इसमें अपनी जान। बोलो वन्दे....... 'केसह' रंग पताका इसकी सदा बढ़ाये शान। इसको फहराने की ख़ातिर, हुए कई बलिदान । बोलो... Hindi · कविता 1 207 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 29 Sep 2019 · 1 min read 'मोड़ दो रुख' मोड़ दो रुख हवाओं का गर बाधा बन बहने लगें। फूँक दो मंत्र कानों में लबों पर शब्द बहने लगें। झुकें न वे जो झुकते हैं थकें न वे जो... Hindi · कविता 1 377 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2019 · 1 min read *मैं ऐसा देश बनाऊँगा* "मैं ऐसा देश बनाऊँगा" जहाँ प्रेम रहे और समता हो, जहाँ हर मानव में ममता हो , बसती जन-जन मानवता हो। मैं ऐसा वतन बनाऊँगा । मैं ऐसा देश बनाऊँगा।... Hindi · कविता 1 449 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Oct 2019 · 1 min read *विरह की शमा में* तुम्हारे विरह की श़मा में जल रहा हूँ, तुम्हारी यादों के संग-संग चल रहा हूँ ! ख़लने लगा हूँ अब तो दोस्तों को अपने, वे सोचते हैं कि मैं बेढंग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 224 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Oct 2019 · 1 min read *गुरु वेदना* *आज गुरु की गरिमा, तार-तार हो गई। * गुरु और शिष्य में तकरार हो गई। झूठ की सच पर इस तरह मार हो गई, *'गुरु कुम्हार शिष्य कुंंभ'* की युक्ति... Hindi · कविता 1 588 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 13 Oct 2019 · 1 min read ' सच्चाई गाँव की' यही है सच्चाई मेरे गाँव की मानो, यही है सच्चाई मेरे गाँव की! बाहर-बाहर, भाई-भाई, अंदर-अंदर, कैंची लगाई! रेवड़ियाँ - सी बाँट रहे हैं, अपने-अपने छाँट रहे हैं! चिंता है... Hindi · कविता 1 184 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 15 Oct 2019 · 1 min read *बेसुध सियासत* सोफा गद्दीदार गद्दारों को नींद बहुत आती है, घर में बिलख रही माँ, सियासत खिलखिलाती है। उजड़ रही है मांग किसी की गोद उजड़ रही, उजड़ा बहन का प्यार वो... Hindi · कविता 1 197 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 17 Oct 2019 · 1 min read @इत्रों की खुशबू मंद पड़ गई@ सारे इत्रों की खुशबू आज मंद पड़ गई । धरती अतुलित जलमय हो गई, सृष्टि अनंत आनंदमय हो गई, मिट्टी भई प्रसन्न आज गंध बढ़ गई ।। सराबोर नदियाँ और... Hindi · कविता 1 364 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 19 Oct 2019 · 1 min read @माँ! तुम नहीं हो@ दरिद्रता-दीन-दुर्दिन बीत गये सारे, पर माँ! तुम नहीं हो, मिलती भरपेट रोटियाँ साँझ-सकारे पर माँ! तुम नहीं हो! करते हैं प्यार अपार ये संसार वाले, पर माँ! तुम नहीं हो,... Hindi · कविता 1 422 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 22 Oct 2019 · 1 min read 'मैं निकला बेचने देश को' झटपट बदला वेष को, त्याग स्व परिवेश को! श्वेत जामा पहनकर मैं, निकला बेचने देश को!! समझ न पायी जनता जुमले भड़कावे में आई, पाँचों उँगली घी में अपनी,मथनी हाथ... Hindi · कविता 1 266 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 27 Oct 2019 · 1 min read "शुभ दीपावली" आओ सब मिल मनाएँ हम दीवाली, कोई घर न रहे अब खाली! आओ सब मिल दीप जलाएँ, खुशियों में सब घुल-मिल जाएँ! बैर-भाव सब भूल-भालकर, एक-दूजे के घर-घर जाकर! बाँटें... Hindi · कविता 1 452 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Nov 2019 · 1 min read *क्वाँरा दिल* 1. थे अरमान दिल के जमीं पर उतरकर, कारवाँ मोहब्बत संग-दिल बनाएँगे। महबूब की तंग-गलियों से गुजरकर, जमीं-आसमां दो दिलों से मिलाएँगे। देगा ना ग़र ये ज़माना इज़ाज़त, कसम-ए-मुहब्बत तोड़... Hindi · मुक्तक 1 323 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Nov 2019 · 1 min read *टूटे ख्वाबों की तसवीर* टूटे हुए ख्वाबों की तसवीर बनाई है मैंने, ग़मों में मुस्कराने की तासीर बनाई है मैंने। भरा है सैलाब इन बेजुबान आँखों में, जिसे छुपाने की तदवीर बनाई है मैंने... Hindi · कविता 1 420 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 4 Jan 2020 · 1 min read परिवर्तन की आस नववर्षी शुभकामना में, सबसे मुझको कहना है! देश-समाज सुसमृद्धि हेतु, सुन्दर छविमय बने ये सेतु, जाति-पाँति की तोड़ दीवारें, मिलकर सबको रहना है! नूतनवर्षी शुभकामना में, सबको संदेश ये देना... Hindi · कविता 1 2 373 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2020 · 1 min read *'जय गुरु देव* गुरु की दी हुई ज़िंदगी, सदा करुँ गुरु जी बंदगी। गुरु बिन बने न ज़िंदगी, गुरु नामे क्या शर्मिंदगी।। ग्यान ध्यान सम्मान गुरु से, गुरु जगत पहचान। मयंक गुरु गुण... Hindi · दोहा 1 473 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Mar 2020 · 1 min read @प्रेम रंग की होली@ 1. मन से हटा बैर और द्वेष भावना को, दिल में एकता का भाव भर लीजिए। भूलकर रंजिशें, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या, अहंकारी भावना का नाश कर दीजिए। मोंगर,... Hindi · मुक्तक 1 2 269 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Mar 2020 · 1 min read *मद्यमय मध्यप्रदेश* मधु-सी कोमल अंगों वाली, जब मधुशाला खोलेगी। मध्यप्रदेश 'मद्यप्रदेश' बनेगा, ढक्कन महिला तोड़ेगी।। न्यून था अत्याचार नारी, अब अति आचार बढ़ाएगी। करुण-प्रेम से ममतामयी, अब मदिरापान कराएगी।। मधुर-मधुर वाणी उसकी,... Hindi · कविता 1 1 255 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 8 Mar 2020 · 1 min read नारी १. वैसे तो दोनों की समाज में बराबरी। एक को पुरुष कहें दूसरी को हैं नारी। शक्ति-रूप नारी है सृष्टि-रूप है नारी। माँ-बहन-बेटी, बीबी का रूप है नारी। नारी न... Hindi · मुक्तक 1 1 307 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 23 Mar 2020 · 1 min read *विज्ञान और मानव* उड़ रहे थे हम अपनी अहम नियत में, छानना चाहा समंदर क़ाबिलियत में! घुटने टिके विज्ञान तेरे एक झटके में, समेटकर रख दिया झट तूने मटके में! अब आलम है... Hindi · कविता 1 268 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Sep 2020 · 1 min read $ समरसता की चाह $ समरसता हो अगर देश में,जाति-पाँति का भेद नहीं। मिल जुलकर रहें किसी को हो किसी से बैर नहीं।। पा प्रज्ञान रविदास का, हम शत् प्रसून खिलाएँगे। ऊँच-नीच का भेद परन्तु,... Hindi · कविता 1 206 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 29 Sep 2020 · 1 min read कहाँ से चले आते हो दहक रहा संसार फिर क्यों नहीं जल जाते हो। जाने करने अत्याचार कहाँ से तुम चले आते हो।। माँ-बहन-बीबी और बच्चे सब अपने ही तो हैं। जाने फिर क्यों तुम... Hindi · कविता 1 244 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Oct 2020 · 1 min read तस्दीक-ए-हिफ़ाज़त अरि दल भंजन कर सके, न कोई ऐसा वीर यहाँ। नारी के सम्मान की खातिर, आवाज बने शमशीर जहाँ। उठ चल स्वरक्षा कर बेटी , बचा शिवा सा वीर कहाँ।... Hindi · कविता 1 386 Share Page 1 Next