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11 Jun 2018 · 1 min read

मेरा तेरा कोई मेल नही, तुम ज्ञान के सागर हो मैं बहता नाला। मेरा तेरा कोई मोल नही, तुम खान के हीरे हो मैं पत्थर कला।।

मेरा तेरा कोई मेल नही, तुम ज्ञान के सागर हो मैं बहता नाला।
मेरा तेरा कोई मोल नही, तुम खान के हीरे हो मैं पत्थर कला।।

©प्रशान्त तिवारी”अभिराम”

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